2021-12-15 17:33:46
कहीं हाथ से निकल न जाए!
कल गीता जयंती श्रृंखला का आखिरी दिन था। देखते ही देखते एक माह बीत गया।
जानते हैं और क्या बीत रहा है?
2021, ये साल, सिर्फ 16 दिन शेष।
जानते हैं इसके अतिरिक्त और क्या बीत रहा है?
हमारा और आपका जीवन।
और इसके कितने दिन शेष?
कोई नहीं जानता!
गीता जयंती का दिन पूर्व निर्धारित था, इसलिए हम आपको रोज़ कह सकते थे कि यदि कल नहीं कर पाए तो आज कीजिए, पूरे हफ्ते नहीं कर पाए तो अब कीजिए, पूरे महीने नहीं कर पाए तो आखिरी दिन तो कर ही लीजिए।
लेकिन मृत्यु का दिन निर्धारित नहीं है, यहाँ तो जीवन है या नहीं है।
ऐसे में एक बात तो पक्की है कि जो दिन अभी हाथ में है उसका सही उपयोग कीजिए क्योंकि कल का किसको पता?
इसलिए इस साल कुछ अलग करते हैं, नए साल के जश्न से पहले, इस जाने वाले साल के साथ "काल" के महत्व को समझते हैं। बड़ी रोचक व सारगर्भित बात है कि भारत में काल का अर्थ समय भी है और मृत्यु भी।
इसलिए कहना गलत नहीं होगा कि समय गँवाना, जीवन गँवाना ही है।
जीवन के महत्व को समझें, समय के महत्व को समझें और एक सार्थक दिशा की ओर बढ़ें।
काल पर आधारित इस श्रृंखला के लिए हम आपके लिए जीवन के 4 बड़े विषयों पर 4 नए कोर्स लेकर आए हैं।
ये सभी कोर्सेस उपनिषदों के सूत्रों पर आधारित हैं:
जीवन में नए अनुभवों की माँग क्यों?
https://solutions.acharyaprashant.org/course/suh28?cm=4
तनावमुक्त जीवन कैसे जिएँ?
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ब्रह्म विद्या: सभी दुखों का अंत
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क्या करें जब मन में विचार घूमते हों?
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