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व्यंजन संधि। व्यंजन संधि :- जब व्यंजन को व्यंजन या स्वर | हिंदी व्याकरण साहित्य | Hindi Grammar Sahitya

व्यंजन संधि।

व्यंजन संधि :- जब व्यंजन को व्यंजन या स्वर के साथ मिलाने से जो परिवर्तन होता है , उसे व्यंजन संधि कहते हैं।

उदहारण :-

  दिक् + अम्बर  = दिगम्बर

   अभि + सेक = अभिषेक

व्यंजन संधि के नियम :-

◆(1) जब किसी वर्ग के पहले वर्ण क्, च्, ट्, त्, प् का मिलन किसी वर्ग के तीसरे या चौथे वर्ण से या य्, र्, ल्, व्, ह से या किसी स्वर से हो जाये तो  क् को ग्  , च् को ज् , ट् को ड् , त् को  द् , और प् को ब् में बदल दिया जाता है अगर स्वर मिलता है तो जो स्वर की मात्रा होगी वो हलन्त वर्ण में लग जाएगी लेकिन अगर व्यंजन का मिलन होता है तो वे हलन्त ही रहेंगे।

उदहारण :- क् के  ग् में बदलने के उदहारण –

 दिक् + अम्बर = दिगम्बर

 दिक् + गज = दिग्गज

 वाक् +ईश = वागीश

च् के ज् में बदलने के उदहारण :-

   अच् +अन्त = अजन्त

अच् + आदि =अजादी

ट् के ड् में बदलन के उदहारण :-

     षट् + आनन = षडानन

     षट् + यन्त्र = षड्यन्त्र

     षड्दर्शन = षट् + दर्शन

     षड्विकार = षट् + विकार

               षडंग = षट् + अंग

त् के  द् में बदलने के उदहारण :-

    तत् + उपरान्त = तदुपरान्त

    सदाशय = सत् + आशय

    तदनन्तर = तत् + अनन्तर

    उद्घाटन = उत् + घाटन

    जगदम्बा = जगत् + अम्बा

प् के ब् में बदलने के उदहारण :-

    अप् + द = अब्द

      अब्ज = अप् + ज

◆(2) यदि किसी वर्ग के पहले वर्ण (क्, च्, ट्, त्, प्) का मिलन न या म वर्ण ( ङ,ञ ज, ण, न, म) के साथ हो तो क् को ङ्, च् को ज्, ट् को  ण्, त् को न्, तथा प् को म् में बदल दिया जाता है।

उदहारण :- क् के ङ् में बदलने के उदहारण :-

 वाक् + मय = वाङ्मय

दिङ्मण्डल = दिक् + मण्डल

प्राङ्मुख = प्राक् + मुख

ट् के  ण् में बदलने के उदहारण :-

    षट् + मास = षण्मास

    षट् + मूर्ति = षण्मूर्ति

   षण्मुख = षट् + मुख

त् के  न् में बदलने के उदहारण :-

   उत् + नति = उन्नति

   जगत् + नाथ = जगन्नाथ

  उत् + मूलन = उन्मूलन

प् के म् में बदलने के उदहारण :-

   अप् + मय = अम्मय