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आग लगा दूँगा मैं आग लगा दूँगा मैं दुनिया हिला दूँगा मैं, आग | Brahmacharya™ (ब्रह्मचर्य) Celibacy

आग लगा दूँगा मैं


आग लगा दूँगा मैं
दुनिया हिला दूँगा मैं,
आग लगा दूँगा मैं
दुनिया हिला दूँगा मैं,
भर के ज्वाला सीने में
हर डर को मिटा दूँगा मैं

जिस भय ने तुझको रोका है,
जिस भय ने तुझको रोका है,
नही है सच कुछ भी, ये सब तो धोका है
बढ़ता रह तू आगे,
किसने तुझको रोका है,
किसने तुझको रोका है

बन के ज्वाला मैं, एक आग लगा दूंगा
बन के ज्वाला मैं, एक आग लगा दूंगा
हर डर की जड़ को मैं, जड़ से मिटा दूंगा

एक जिंदा लाश नही तू
न हो मुकम्मल ऐसा काश नही तू
एक जिंदा लाश नही तू
न हो मुकम्मल ऐसा काश नही तू
है खुदा तेरे ही साथ
पहचान न खुद को यार तू
पहचान न खुद को यार तू

जानता हूँ, की आंखे तेरी भी रोती है
जानता हूँ, की आंखे तेरी भी रोती है
कई रातों में भी, कहां ये सोती है
लेकिन क्या तू हार मान लेगा ?
नहीं, कभी नहीं, तो फिर सुन मेरी बात

जब दर्द हो, तो रो लेना
ताने हो तो, सुन लेना,
जब दर्द हो तो रो लेना
ताने हो तो सुन लेना,
शान्त होकर फिर से यार
एक और प्रयास तू कर लेना

दुनिया की बातों को, हँसके तू टालना
हर बुरी आदत को तू, जिंदगी से निकालना
बोले पागल कोई, तो भी तू सह लेना
न रूठना उनसे तू
बस मेहनत से कह देना
ये सीने पर जो घाव है, घाव नही फूलों के गुच्छे है
हमे पागल ही रहने दो ना,
हम पागल ही अच्छे है

अपने दर्द को मैं,अपनी ताकत बनाऊंगा
टूटी हुई तलवारों से, विजेता शमशीर सजाऊँगा
रोती हुई आंखों में मैं, रौनक फिर से लाऊँगा
रोती हुई आंखों में मैं, रौनक फिर से
लाऊँगा
मायूस चेहरों पर मैं, खुशियां बनकर छाऊँगा
अपने दर्द को मैं, अपनी ताकत
बनाऊँगा
फाड़ कर रख दूं हर निराशा को,
ऐसी मैं दहाड़ लगाऊँगा
ऐसी मैं दहाड़ लगाऊँगा