आहिस्ता चल ऐ ज़िन्दगी कुछ क़र्ज़ चुकाने बाकी हैं, कुछ के दर्द मिट | ☸️ Bahujan Update ✅
आहिस्ता चल ऐ ज़िन्दगी कुछ क़र्ज़ चुकाने बाकी हैं, कुछ के दर्द मिटाने बाकी हैं, कुछ फर्ज निभाने बाकी हैं।
थोड़ी मस्ती थोड़ा सा ईमान बचा पाया हूँ ये क्या कम है अपनी पहचान बचा पाया हूँ, कुछ उम्मीदें, कुछ सपने, कुछ महकती यादें, जीने का मैं इतना ही सामान बचा पाया हूँ।
धम्मप्रभात
विकाश कुमार