मेरे दुश्मन भी मेरे मुरीद हैं शायद, वक़्त-बेवक्त मेरा नाम लिया करते हैं, मेरी गली से गुजरते हैं छुपा के खंजर, रुबरू होने पर सलाम किया करते हैं। खवाहिश नही मुझे मशहुर होने की। आप मुझे पहचानते हो बस इतना ही काफी है VSG 101.5K views07:56