शमशेर बहादुर सिंह स्वातंत्र्योत्तर हिंदी कविता के प्रमुख कवि | Utkarsh Ramsnehi Gurukul
शमशेर बहादुर सिंह
स्वातंत्र्योत्तर हिंदी कविता के प्रमुख कवि शमशेर बहादुर सिंह का जन्म 13 जनवरी, 1911 को देहरादून (उत्तराखण्ड) में हुआ।
उनकी आरंभिक शिक्षा देहरादून तथा हाईस्कूल-इंटर गोंडा से हुई।
शमशेर बहादुर सिंह ‘दूसरा तार सप्तक’ के कवि थे।
शमशेर बहादुर सिंह ने इलाहाबाद विश्वविद्यालय से प्रसिद्ध चित्रकार उकील-बंधुओं से कला - प्रशिक्षण लिया।
अनूठे काव्य- बिंबों का सृजन करने वाले शमशेर केवल असाधारण कवि ही नहीं, एक अनूठे गद्य-लेखक भी थे।
'दोआब', 'प्लाट का मोर्चा', जैसी गद्य रचनाओं के माध्यम से उन्हें विशिष्ट गद्यकार के रूप में पहचाना जा सकता है।
कुछ कविताएँ, कुछ और कविताएँ, चुका भी नहीं हूँ मैं, इतने पास अपने, काल तुझसे होड़ है मेरी (काव्य-संग्रह); कुछ गद्य रचनाएँ, कुछ और गद्य रचनाएँ (गद्य-संग्रह) इत्यादि उनकी प्रमुख कृतियाँ हैं।
'रूपाभ', 'कहानी', 'नया साहित्य', 'माया', 'नया पथ', 'मनोहर कहानियाँ' आदि के संपादन में इनका महत्त्वपूर्ण सहयोग रहा।
शमशेर बहादुर सिंह उर्दू-हिन्दी कोश प्रोजेक्ट में संपादक रहे और विक्रम विश्वविद्यालय के 'प्रेमचंद सृजनपीठ' के अध्यक्ष रहे।
शमशेर बहादुर सिंह को वर्ष 1977 में साहित्य अकादमी, वर्ष 1987 में मैथिली शरण गुप्त पुरस्कार तथा वर्ष 1989 में कबीर सम्मान प्राप्त हुआ।
12 मई, 1993 को उनका देहांत हो गया।