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मेजर होशियार सिंह 5 मई, 1936 को हरियाणा के सोनीपत जिले के सि | Utkarsh Ramsnehi Gurukul

मेजर होशियार सिंह
5 मई, 1936 को हरियाणा के सोनीपत जिले के सिसना नामक गाँव में जन्मे होशियार सिंह के माता-पिता का नाम मथुरी देवी तथा चौधरी हीरा सिंह था।
किसान परिवार से ताल्लुक रखने वाले होशियार सिंह ने अपनी प्रारंभिक शिक्षा स्थानीय विद्यालय से प्राप्त की और उसके पश्चात् उन्होंने रोहतक के जाट उच्च प्राथमिक विद्यालय तथा जाट कॉलेज में दाखिला लिया। पढ़ाई-लिखाई में मेधावी छात्र रहे होशियार सिंह ने मैट्रिक की परीक्षा प्रथम श्रेणी से उत्तीर्ण की।
वे वॉलीबॉल के उच्चकोटि के खिलाड़ी थे और जल्द ही पंजाब टीम के कप्तान बन गए, इसके फलस्वरूप उनका चयन राष्ट्रीय टीम के लिए हो गया।
होशियार सिंह एक ऐसे गाँव के निवासी थे, जहाँ के 250 से भी अधिक लोगों ने भारतीय सेना में अपनी सेवाएँ दी थीं। ऐसी पृष्ठभूमि के कारण भारतीय सेना में शामिल होने की उनकी तीव्र इच्छा थी।
वर्ष 1957 में एक सिपाही के रूप में वे जाट रेजिमेंट की 2nd बटालियन में शामिल हुए ।
छह वर्षों के बाद प्रथम प्रयास में ही पदोन्नति परीक्षा उत्तीर्ण करके 30 जून, 1963 को वे ग्रेनेडियर्स रेजिमेंट में कमीशन्ड अधिकारी बन गए। नॉर्थ ईस्ट फ्रंटियर एजेंसी (नेफ़ा) में जब वे कार्यरत थे, तभी इनकी बहादुरी के साथ-साथ इनके विलक्षण नेतृत्व कौशल पर लोगों की नज़र पड़ी।
वर्ष 1965 के भारत-पाक युद्ध के दौरान बीकानेर सेक्टर में इन्होंने अत्यंत महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाई।
इस ऑपरेशन के दौरान इन्होंने आगे बढ़कर अदम्य साहस तथा दृढ़ निश्चय का प्रदर्शन किया। अपने बहादुरी भरे कार्यों के लिए इन्होंने ‘मेन्शन इन डिस्पैचेज़’ भी प्राप्त किया।
मेजर होशियार सिंह वर्ष 1971 के युद्ध के लिए अपने जीवनकाल में ही परमवीर चक्र पाने वाले एकमात्र विजेता थे।
6 दिसम्बर, 1998 को इन्होंने अंतिम श्वास ली।