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नित्यानंद कानूनगो ● पूर्व केंद्रीय मंत्री और गुजरात एवं बिहार | Utkarsh Ramsnehi Gurukul

नित्यानंद कानूनगो
● पूर्व केंद्रीय मंत्री और गुजरात एवं बिहार के पूर्व राज्यपाल नित्यानंद कानूनगो का जन्म 4 मई, 1900 को कटक, ओडिशा में हुआ था।
● उनकी शिक्षा रेनशॉ कॉलेज और यूनिवर्सिटी कॉलेज (कलकत्ता) में हुई।
● रेनशॉ कॉलेज में वे हरेकृष्ण महताब, नवकृष्ण चौधरी, निकुंज किशोर दास और भागीरथी महापात्रा जैसे राष्ट्रवादी नेताओं के संपर्क में आए, जिन्होंने उन्हें स्वतंत्रता संग्राम में शामिल होने के लिए प्रेरित किया।
● इन छात्रों ने प्रत्यक्ष रूप से विभिन्न सांस्कृतिक कार्यक्रमों को करने के लिए 'भारती मंदिर' नामक एक संगठन का गठन किया, लेकिन यह राष्ट्र को आजाद करवाने के लिए एक राष्ट्रवादी संगठन की तरह काम कर रहा था।
● वर्ष 1920 में अपनी कानून की डिग्री पूरी करने के बाद, वे सुभाष चंद्र बोस के पिता जानकीनाथ बोस के जूनियर के रूप में ओडिशा स्टेट बार काउंसिल में शामिल हुए।
● वर्ष 1930 में नमक सत्याग्रह आंदोलन के दौरान, वे सत्याग्रहियों को उकसाने के लिए ब्रिटिश सरकार के निशाने पर थे, लेकिन सबूतों के अभाव में उन्हें गिरफ्तार नहीं किया जा सका।
● ब्रिटिश सरकार कर का भुगतान न करने के लिए कटक में 'स्वराज आश्रम' को जब्त करने के लिए पूरी तरह से तैयार थी, तो नित्यानंद कानूनगो ने स्वयं कर का भुगतान किया, जिससे सत्याग्रहियों के साथ उनकी भागीदारी बढ़ा दी गई और उन्हें गिरफ्तार कर लिया गया।
● उनका बार लाइसेंस रद्द कर दिया गया और स्वतंत्रता संग्राम को बढ़ावा देने के लिए उन्हें छह महीने की जेल हुई।
● रिहाई के पश्चात् वे कांग्रेस और स्वतंत्रता संग्राम के समर्पित सदस्य बन गए।
● वर्ष 1937 के चुनाव में वे ओडिशा विधान सभा के लिए भी चुने गए और मंत्री बने।
● स्वतंत्रता के बाद वे वर्ष 1952 से लोकसभा के लिए चुने गए और तीन बार उद्योग, वाणिज्य और नागरिक उड्डयन मंत्रालय में कैबिनेट मंत्री रहे।
● वे वर्ष 1952 से 1961 तक केंद्रीय संगीत नाटक अकादमी की कार्यसमिति के सदस्य भी रहे।
● लंबी बीमारी के बाद 21 जुलाई, 1988 को उनका निधन हो गया।