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विश्व बौद्धिक संपदा अधिकार दिवस ● प्रतिवर्ष 26 अप्रैल को नवाच | Utkarsh Ramsnehi Gurukul

विश्व बौद्धिक संपदा अधिकार दिवस
● प्रतिवर्ष 26 अप्रैल को नवाचार एवं रचनात्मकता को बढ़ावा देने और इस संबंध में जागरूकता फैलाने के उद्देश्य से विश्व बौद्धिक संपदा अधिकार दिवस मनाया जाता है।
● लोगों के दिमागी उत्पाद से जुड़े अधिकार ही बौद्धिक संपदा अधिकार कहलाते हैं। इसमें साहित्यिक रचना, शोध, आविष्कार जैसी चीज़ें शामिल होती हैं।
● वर्ष 2023 के लिए विश्व बौद्धिक संपदा अधिकार दिवस की थीम - 'Women and IP: Accelerating Innovation and Creativity है।
● बौद्धिक संपदा अधिकार एक निश्चित समयावधि और एक निर्धारित भौगोलिक क्षेत्र के मद्देनजर दिए जाते हैं। ये अधिकार पाँच प्रकार के होते हैं- 1) कॉपीराइट, 2) पेटेन्ट, 3) ट्रेडमार्क, 4) औद्योगिक डिज़ाइन और 5) भौगोलिक संकेतक।
● विश्व में बौद्धिक संपदा संरक्षण को बढ़ावा देने हेतु वर्ष 1967 में विश्व बौद्धिक संपदा संगठन (WIPO) का गठन किया गया था, जिसका मुख्यालय जिनेवा, स्विट्ज़रलैंड में है।
● भारत वर्ष 1975 में WIPO का सदस्य बना था।
● बौद्धिक संपदा के महत्त्व को पहली बार औद्योगिक संपदा के संरक्षण के लिए पेरिस अभिसमय (1883) और साहित्यिक तथा कलात्मक कार्यों के संरक्षण के लिए बर्न अभिसमय (1886) में मान्यता दी गई थी।
● वर्तमान में दोनों संधियों को विश्व बौद्धिक संपदा संगठन (World Intellectual Property Organization -WIPO) द्वारा प्रशासित किया जाता है।
● बौद्धिक संपदा अधिकारों के संरक्षण एवं इस बारे में जागरूकता फैलाने के लिए भारत में भी कई कानून एवं नीतियाँ बनाई गई हैं। जिसमें पेटेंट अधिनियम 1970 और पेटेंट (संशोधन) एक्ट 2005, ट्रेडमार्क एक्ट 1999, कॉपीराइट एक्ट 1957 और कॉपीराइट (संशोधन) एक्ट 1999, वस्तुओं का भौगोलिक संकेतन (पंजीकरण और संरक्षण) एक्ट 1999 और डिजाइन एक्ट, 2000 आदि शामिल है।
● 12 मई, 2016 को भारत सरकार ने राष्ट्रीय बौद्धिक संपदा अधिकार नीति को भी मंज़ूरी दी थी जिसके जरिए भारत में बौद्धिक संपदा को संरक्षण और प्रोत्साहन दिया जाता है।
● वर्तमान में WIPO में 193 सदस्य देश शामिल हैं।
● संयुक्त राष्ट्र के सभी सदस्य देश WIPO जैसी विशिष्ट एजेंसियों के सदस्य बनने के हकदार हैं, हालाँकि वे बाध्य नहीं हैं।
● 190 संयुक्त राष्ट्र के सदस्य देशों के साथ-साथ कुक आइलैंड्स, होली सी और नीयू WIPO के सदस्य हैं तथा फिलिस्तीन को स्थायी पर्यवेक्षक का दर्जा प्राप्त है।