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चार्ल्स डार्विन चार्ल्स डार्विन का जन्म 12 फरवरी, 1809 को इ | Utkarsh Ramsnehi Gurukul

चार्ल्स डार्विन
चार्ल्स डार्विन का जन्म 12 फरवरी, 1809 को इंग्लैंड के श्रोपशायर के श्रेव्स्बरी में हुआ था।
चार्ल्स डार्विन की प्रारंभिक शिक्षा एक ईसाई मिशनरी स्कूल में हुई।
1825 ई. में सोलह वर्ष की आयु में एडिनबर्ग की मेडिकल यूनिवर्सिटी में दाखिल दिलवाया गया।
एडिनबर्ग यूनिवर्सिटी के बाद डार्विन को 1827 ई. में क्राइस्ट कॉलेज में दाखिल करवाया गया ताकि वे मेडिकल की आगे की पढ़ाई पूरी कर सकें।
बीगल पर विश्व भ्रमण हेतु अपनी समुद्री-यात्रा को वे अपने जीवन की सर्वाधिक महत्त्वपूर्ण घटना मानते थे जिसने उनके व्यवसाय को सुनिश्चित किया।
समुद्री-यात्रा के बारे में उनके प्रकाशनों तथा उनके नमूने इस्तेमाल करने वाले प्रसिद्ध वैज्ञानिकों के कारण, उन्हें लंदन की वैज्ञानिक सोसायटी में प्रवेश पाने का अवसर प्राप्त हुआ।
अपने कैरियर के शुरुआत में डार्विन ने प्रजातियों के जीवाश्म सहित बर्नाकल (विशेष हंस) के अध्ययन में आठ वर्ष व्यतीत किए।
उन्होंने 1851 ई. तथा 1854 ई. में दो खंडों के जोड़ो में बर्नाकल के बारे में पहला सुनिश्चित वर्गीकरण विज्ञान का अध्ययन प्रस्तुत किया।
चार्ल्स डार्विन ने एच. एम. एस. बीगल की यात्रा के 20 साल बाद तक कई पौधों और जीवों की प्रजातियों का अध्ययन किया और 1858 ई. में दुनिया के सामने ‘क्रमविकास का सिद्धांत’ दिया।
इन्होंने अपना प्राकृतिक वरण का सिद्धान्त (Natural Selection Theory) 1859 ई. में अपनी पुस्तक 'प्राकृतिक वरण द्वारा नयी जातियों का उद्भव (Origin of New Species by Natural Selection) में प्रतिपादित किया।
जैव विकास के सिद्धांतों में 'डार्विनवाद' विश्व में सबसे अधिक प्रसिद्ध है।
चार्ल्स डार्विन का मत था कि प्रकृति क्रमिक परिवर्तन द्वारा अपना विकास करती है।
विकासवाद कहलाने वाला यही सिद्धांत आधुनिक जीवविज्ञान की नींव बना।
चार्ल्स डार्विन की मृत्यु 72 वर्ष की आयु में 19 अप्रैल, 1882 को डाउन हाउस, इंग्लैंड में हुई थी।