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कुछ आदतों के आदी न बनें इंसान का चरित्र उसकी समस्त आदतों का स | Utkarsh Classes

कुछ आदतों के आदी न बनें

इंसान का चरित्र उसकी समस्त आदतों का सार है। अच्छी हो या बुरी पर यह सच है कि इन्सान कुछ आदतों के जाल में जकड़ा हुआ होता है। कुछ आदतें ताजिन्दगी साथ नहीं छोड़ती कुछ वक्त के साथ जुड़ जाती है या छूट जाती है।

ऐसी कोई आदत न पालें जो आपके कीमती वक्त को दीमक की तरह चाट जाए और आपको कुछ खास मिले नहीं।

यथावसर स्वस्थ तर्क वितर्क करें लेकिन बहस न करें समय बचेगा। जहाँ भी वक्त मिले मनोरंजन करने या खोजने में कोर कसर न रखें लेकिन तापसी भाव से यह भी सोचें कि केवल मनोरंजन से जीवन में काम नहीं बनेगा। जैसे किसी घोड़े को केवल अस्तबल की आदत पड़ जाए तो मीलों सरपट हवा से बातें कर दौड़ने का उसका अंदाज जंग खा जायेगा। बुरी आदतें आपसे सस्ता सौदा करके आपको खरीद लेती है और आपसे वह कार्य करवाती है जो एक मालिक गुलाम से करवाता है।

शास्त्रों में जिसे सांसारिक बंधन कहा है वह संसार की समस्त आदतों का ही बंधन है। अनुभव के समुद्र में गोता लगाकर बाहर आ जाइये वहीं पर तैरते रह गए तो नमक आपको तिल तिल करके गला देगा।

कर्तव्य पथ पर आगे बढ़ाने वाली और हमें कुछ अच्छा हासिल कराने वाली आदतें अगर हम पर धुन की तरह सवार हो तो कुछ भी बुरा नहीं है; लेकिन वे आदतें जो मायूसी लाती हैं, हमें ललचाकर जीवन के बेशकीमती वक्त को खा जाती हैं, जिनका हमारे जीवन के उद्देश्य से दूर दूर तक कोई लेना देना नहीं है; उनसे आप बचकर निकल नहीं पा रहे हैं तो समझ लीजिए आप एक मजबूत मकड़जाल में फंस चुके हैं।

तात्विक और सरल शब्दों में बात की जाय तो बात यह है कि आपको यह सोचना है कि आज के दिन के चौबीस घंटों में आप दस कदम आगे चले हो या कहीं किसी आदत ने आपके हाथ पैर जकड़ लिए है और उसी दिन आपका ही कोई कर्मठ पुरूषार्थी साथी दस कदम आगे निकल तो नहीं गया?

उन दस कदमों को पुनः पाटने के लिए यकीन मानिए इस जीवन में आपको दुबारा चौबीस घंटों का दिन कभी नहीं मिलेगा। मैं शर्त लगाने को तैयार हूँ।


डॉ अर्जुन सिंह साँखला