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न हार बड़ी न जीत बड़ी जीवन के इस महासंग्राम में आपके लिए छाती छ | Utkarsh Classes

न हार बड़ी न जीत बड़ी

जीवन के इस महासंग्राम में आपके लिए छाती छलनी करने वाले पल भी आयेंगे तो कुछ ऐसे भी आयेंगे जिन्हें आप छाती से लगाये रखना चाहेंगे।जिन्दगी में कहीं भी हार मिलती है तो सच्चाई यह है कि सीख देने के मामले में वह जीत से ज्यादा महत्वपूर्ण है लेकिन आपके कानों में पड़ने वाले आसपास के लोगों के स्वर आपको दुःखी करेंगे। ऐसे में किसी की दया का पात्र बनने के बजाय शरीर व मन पर लगी धूल झाड़कर आगे बढ़ने का समय होता है। हार का अस्तित्व जिन्दगी की लिखी पटकथा वाली पुस्तक में एक वाक्य के अंत में आने वाले विराम जितना ही है।

हम हार या जीत को जिन्दगी में मिलने या खोने वाले अवसरों से जोड़कर देखते हैं। जीवन में अवसरों को बनाने का अवसर कभी खत्म नहीं होता; बल्कि हर हार के बाद आप स्वतः ही एक बेहतर अवसर की ओर आगे बढ़ रहे होते है; शर्त यह है कि अभी भी आप दृढ़-निश्चयी हैं और आपकी छाती में पड़ी वेदना खुद वेदनाग्रस्त होकर नष्ट होने की तरफ बढ़ रही है।

जिन्दगी कितनी भी पटरी से उतर जाए आपने अगर आज इसी पल ठान लिया कि इसे पुनः पटरी पर चढ़ाना है तो फिर से कुछ ही दिनों बाद जिन्दगी सरपट दौड़ने लगेगी। संघर्ष-पथ पर जो भी मिले उसे सहजता से स्वीकार करो। जीवन में छोटे या बड़े होने की पदवी आपको दुनिया देती है जिसमें दुनिया कभी भी सही नहीं होती है।

आपकी जिंदगी में आपने खुद के लिए और दूसरों के लिए कितनी मधुर स्मृतियाँ संजोयी है। यह आपकी संचित निधि है। कर्तव्य-पथ पर डटे हुए योद्धा के लिए न हार बड़ी होती है न ही जीत। उसके लिए अगर कुछ बड़ा होता है तो वह है उसकी दृढ़ता, हर परिस्थिति में आत्मबल ढूंढने की क्षमता, सफलता के सौपानों पर चढ़कर विनम्र होने की क्षमता, कम से कम साधनों के साथ जिन्दगी को बेहतर जीने की क्षमता और सबसे बड़ी बात हारने पर भी नई तैयारी के साथ जीतने की उत्कट इच्छा पालने की क्षमता।

अगर रोने के हज़ार कारण है तो मुस्कुराने के भी हजार कारण है। हमारी तलाश के तरीके तय करेंगे कि जब हम दुनिया से रुखसत हुए तब कितने अमीर या गरीब थे।

डॉ अर्जुन सिंह साँखला