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फिर वही माहौल होगा, खेल फिर वही होगा, तूफ़ान के पहले सी शान्ति | UPHESC Assistant Professor GS

फिर वही माहौल होगा,
खेल फिर वही होगा,
तूफ़ान के पहले सी शान्ति के बाद,
कोलाहल फिर वही होगा ।

टूटेंगी फिर लाखों उम्मीदें
अश्रुओं में फूटेंगी,
कुछ अग्रसर होंगे
शिखर पर कुछ चंद होंगे ।

साख पर रख कर के बाजी
हौसले फिर बुलंद होंगे,
लड़ेंगे जंग फिर बहादुर,
संकल्प फिर अटल होंगे ।

फिर वही माहौल होगा,
खेल फिर वही होगा...

एक नई सुबह के साथ फिर मुलाकात होगी।