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वस्तुनिष्ठ प्रश्न UGC NET PART हिंदी भाषा एवं साहित्य से ज | हिंदी साहित्य / Hindi Sahitya 🌟

वस्तुनिष्ठ प्रश्न
UGC NET PART हिंदी भाषा एवं साहित्य से जुड़े तथ्य

उद्धरण का संधि विच्छेद क्या है?
(A) उत् + धरण
(B) उत + अण
(C) उत् + हरण
(D) उद्ध + रण

Explanation : उद्धरण का संधि विच्छेद उत् + हरण होगा। उत् + हरण = उद्धरण, (त्) + (ह) = (द्ध) यह व्यंजन संधि का उदाहरण है। व्यंजन संधि के नियमानुसार, यदि त, द के आगे 'ह' आए तो त का 'द' और ह का 'ध' हो जाता है; जैसे-उत् + हार = उद्धार।

उन्मना शब्द का तद्भव शब्द क्या है?
(A) अजन्मा
(B) अनमना
(C) ऊमना
(D) इनमें से कोई नहीं

Explanation : उन्मना शब्द का तद्भव शब्द अनमना है। 'अनमना' का अर्थ है-बिना मन के या मन रहित। तद्भव एक संस्कृत शब्द है जो मध्यकालीन भारत-आर्य भाषाओं के सन्दर्भ में उन शब्दों को कहते हैं जो संस्कृत के मूल शब्द नहीं हैं बल्कि संस्कृत के किसी मूल शब्द से व्युत्पन्न (निकले हुए) हैं।

नमस्ते का संधि-विच्छेद क्या है?
(A) नम + स्ते
(B) नम् + स्ते
(C) नमः + ते
(D) नमः + स्ते

Explanation : 'नमस्ते' का संधि-विच्छेद नम: + ते होगा। इसमें विसर्ग संधि (Visarg Sandhi) है। विसर्ग संधि की परिभाषा अनुसार जहाँ विसर्ग (:) के बाद स्वर या व्यंजन आने पर विसर्ग का लोप हो जाता है या विसर्ग के स्थान पर कोई नया वर्ण आ जाता है, वहाँ विसर्ग संधि होती है। जैसे– मनः+वेग = मनोवेग, मनः+बल = मनोबल, मनः+रंजन = मनोरंजन, तपः+बल = तपोबल, तपः+भूमि = तपोभूमि, मनः+हर = मनोहर, वयः+वृद्ध = वयोवृद्ध, मनः+नयन = मनोनयन, शिरः+भाग = शिरोभाग, मनः+व्यथा = मनोव्यथा, मनः+नीत = मनोनीत, रजः+गुण = रजोगुण, मनः+विकार = मनोविकार, पुरः+हित = पुरोहित, यशः+दा = यशोदा आदि।

सुंदर का भाववाचक संज्ञा क्या है?
(A) शोभायमान
(B) सुरूप
(C) सुंदरता
(D) ललित

Explanation : सुंदर शब्द का भाववाचक संज्ञा सुंदरता है। जिस संज्ञा शब्द से किसी के गुण-धर्म, दोष, भाव, दशा, स्वभाव, अवस्था आदि का बोध होता है उन्हें भाववाचक संज्ञा (Bhav Vachak Sangya) कहा जाता है। भाववाचक संज्ञा के अंतर्गत अमूर्त रूप के भावों की संकल्पना की जाती है।

सर्व का भाववाचक संज्ञा क्या है?
(A) सब
(B) सभी
(C) सर्वस्व
(D) सबकी

Explanation : सुंदर शब्द का भाववाचक संज्ञा सुंदरता है। जिस संज्ञा शब्द से किसी के गुण-धर्म, दोष, भाव, दशा, स्वभाव, अवस्था आदि का बोध होता है उन्हें भाववाचक संज्ञा (Bhav Vachak Sangya) कहा जाता है। भाववाचक संज्ञा के अंतर्गत अमूर्त रूप के भावों की संकल्पना की जाती है।