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वस्तुनिष्ठ प्रश्न : SET 16 [ #Top_5_Details ] UGC NET PART | हिंदी साहित्य / Hindi Sahitya 🌟

वस्तुनिष्ठ प्रश्न : SET 16 [ #Top_5_Details ]
UGC NET PART हिंदी व्याकरण एवं उनसे जुड़े तथ्य

11. पुलक प्रकट करती है धरती हरित तृणों की नोकों से में कौन सा अलंकार है?
(A) यमक अलंकार
(B) श्लेष अलंकार
(C) उत्प्रेक्षा अलंकार
(D) मानवीकरण अलंकार

Explanation : पुलक प्रकट करती है धरती हरित तृणों की नोकों से, मानो झूम रहे हों तरु भी मंद पवन के झोंकों से में उत्प्रेक्षा अलंकार है। धरती की खुशहाली उसके हरित भूमि से होती है घास धरती की खुशी को जाहिर करते हैं जैसे वृक्ष झूल कर करते हैं। इसलिए इस पंक्ति में उत्प्रेक्षा अलंकार होगा। उत्प्रेक्षा का शाब्दिक अर्थ है ‘देखने की उत्कट इच्छा’। जिस वाक्य में उपमेय और उपमान भिन्न होने पर भी समानता का भाव उत्पन्न करता है वहां उत्प्रेक्षा अलंकार माना जाता है। जहां रूप गुण आदि समान प्रतीत होने के कारण उपमेय में उपमान की संभावना या कल्पना की जाए और उसे व्यक्त करने के लिए मनु, मानो, जानो, जनु, ज्यों आदि वाचक शब्दों का प्रयोग किया जाए, वहां उत्प्रेक्षा अलंकार माना जाता है।

12. चांद से सुंदर मुख में कौन सा अलंकार है?
(A) यमक अलंकार
(B) श्लेष अलंकार
(C) उत्प्रेक्षा अलंकार
(D) मानवीकरण अलंकार

Explanation : चांद से सुंदर मुख में उत्प्रेक्षा अलंकार है। मुख ऐसा लग रहा है जैसे मानो चंद्रमा हो। मुख तथा चंद्रमा के बीच समानता स्थापित किया गया है। इसलिए यहां उत्प्रेक्षा अलंकार है। उत्प्रेक्षा का शाब्दिक अर्थ है ‘देखने की उत्कट इच्छा’। जिस वाक्य में उपमेय और उपमान भिन्न होने पर भी समानता का भाव उत्पन्न करता है वहां उत्प्रेक्षा अलंकार माना जाता है। जहां रूप गुण आदि समान प्रतीत होने के कारण उपमेय में उपमान की संभावना या कल्पना की जाए और उसे व्यक्त करने के लिए मनु, मानो, जानो, जनु, ज्यों आदि वाचक शब्दों का प्रयोग किया जाए, वहां उत्प्रेक्षा अलंकार माना जाता है।

13. उसका मुखड़ा चंद्रमा के समान सुंदर है में कौन सा अलंकार है?
(A) यमक अलंकार
(B) श्लेष अलंकार
(C) उत्प्रेक्षा अलंकार
(D) मानवीकरण अलंकार

Explanation : उसका मुखड़ा चंद्रमा के समान सुंदर है में उत्प्रेक्षा अलंकार है। यहां मुख (उपमेय) को चंद्रमा (उपमान) मान लिया गया है। इसलिए यहां उत्प्रेक्षा अलंकार है। उत्प्रेक्षा का शाब्दिक अर्थ है ‘देखने की उत्कट इच्छा’। जिस वाक्य में उपमेय और उपमान भिन्न होने पर भी समानता का भाव उत्पन्न करता है वहां उत्प्रेक्षा अलंकार माना जाता है। जहां रूप गुण आदि समान प्रतीत होने के कारण उपमेय में उपमान की संभावना या कल्पना की जाए और उसे व्यक्त करने के लिए मनु, मानो, जानो, जनु, ज्यों आदि वाचक शब्दों का प्रयोग किया जाए, वहां उत्प्रेक्षा अलंकार माना जाता है।

14. मुख मानो चंद्रमा है में कौन सा अलंकार है?
(A) यमक अलंकार
(B) उत्प्रेक्षा अलंकार
(C) श्लेष अलंकार
(D) मानवीकरण अलंकार

Explanation : मुख मानो चंद्रमा है में उत्प्रेक्षा अलंकार है। यहां मुख (उपमेय) को चंद्रमा (उपमान) मान लिया गया है। इसलिए यहां उत्प्रेक्षा अलंकार है। उत्प्रेक्षा का शाब्दिक अर्थ है ‘देखने की उत्कट इच्छा’। जिस वाक्य में उपमेय और उपमान भिन्न होने पर भी समानता का भाव उत्पन्न करता है वहां उत्प्रेक्षा अलंकार माना जाता है। जहां रूप गुण आदि समान प्रतीत होने के कारण उपमेय में उपमान की संभावना या कल्पना की जाए और उसे व्यक्त करने के लिए मनु, मानो, जानो, जनु, ज्यों आदि वाचक शब्दों का प्रयोग किया जाए, वहां उत्प्रेक्षा अलंकार माना जाता है।

15. ले चला साथ मैं तुझे कनक ज्यों भिक्षुक लेकर स्वर्ण झनक में कौन सा अलंकार है?
(A) यमक अलंकार
(B) उत्प्रेक्षा अलंकार
(C) श्लेष अलंकार
(D) मानवीकरण अलंकार

Explanation : ले चला साथ मैं तुझे कनक ज्यों भिक्षुक लेकर स्वर्ण झनक में उत्प्रेक्षा अलंकार है। यहां धतूरे से दूर रहने की बात कही गई है, जिस प्रकार भिक्षुक स्वर्ण की झनक से दूर रहता है। उत्प्रेक्षा का शाब्दिक अर्थ है ‘देखने की उत्कट इच्छा’। जिस वाक्य में उपमेय और उपमान भिन्न होने पर भी समानता का भाव उत्पन्न करता है वहां उत्प्रेक्षा अलंकार माना जाता है। जहां रूप गुण आदि समान प्रतीत होने के कारण उपमेय में उपमान की संभावना या कल्पना की जाए और उसे व्यक्त करने के लिए मनु, मानो, जानो, जनु, ज्यों आदि वाचक शब्दों का प्रयोग किया जाए, वहां उत्प्रेक्षा अलंकार माना जाता है।
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