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बावन इमली शहीद स्थल 28 अप्रैल विशेष यह स्मारक स्वतंत्रता सेन | 🪷 आज की प्रेरणा 🪷

बावन इमली शहीद स्थल
28 अप्रैल विशेष

यह स्मारक स्वतंत्रता सेनानियों द्वारा बलिदानों
का प्रतीक है 28 अप्रैल, 1858 को, ब्रिटिश
सेना ने “इमली” पेड़ पर बावन स्वतंत्रता
सेनानियों को फांसी दी थी। “इमली” पेड़ अभी
भी मौजूद है, लोगों का मानना ​​है कि नरसंहार के
बाद वृक्ष का विकास बंद हो गया है। जिला के
बिंदकी उपविभाग में यह जगह शहर के खजुहा
के बहुत करीब है।
बावनी इमली शहीद स्थल उत्तरप्रदेश के
फतेहपुर जिले के बिन्दकी उपखण्ड में खजुआ
कस्बे के निकट पारादान में स्थित है। ठाकुर
जोधा सिंह अटैया, बिंदकी के अटैया रसूलपुर
(अब पधारा) गांव के निवासी थे। वो झाँसी की
रानी लक्ष्मीबाई से प्रभावित होकर क्रांतिकारी
जोधा सिंह अटैया बन गए थे। जोधा सिंह ने
अपने दो साथियो दरियाव सिंह और शिवदयाल
सिंह के साथ मिलकर गोरिल्ला युद्ध की
शुरुआत करी और अंग्रेज़ो की नाक में दम करके
रख दिया।
जोधा सिंह ने 27अक्टूबर 1857 को
महमूदपुर गांव में एक दरोगा व एक अंग्रेज
सिपाही को घेरकरमार डाला था। सात दिसंबर
1857 को गंगापार रानीपुर पुलिस चौकी पर
हमला कर एक अंग्रेज परस्त को भी मार डाला।
इसी क्रांतिकारी गुट ने 9 दिसंबर को जहानाबाद
में तहसीलदार को बंदी बना कर सरकारी
खजाना लूट लिया था। साहसी जोधा सिंह
अटैया को सरकारी कार्यालय लूटने एवं जलाये
जाने के कारण अंग्रेजों ने उन्हें डकैत घोषित कर
दिया। चार फरवरी 1858 को जोधा सिंह अटैया
पर ब्रिगेडियर करथ्यू ने आक्रमण किया लेकिन
वो बच निकले। लेकिन जैसा की हमारे कई
क्रांतिकारि अपनों की ही मुखबरी का शिकार
बने ऐसा ही जोधा सिंह और उनके साथियो के
साथ हुआ।
28 अप्रैल से 4 मई तक शहीदों के शव पेड़
पर झूलते रहे जोधा सिंह 28 अप्रैल 1858 को
अपने इक्यावन साथियों के साथ खजुआ लौट
रहे थे तभी मुखबिर की सूचना पर कर्नल
क्रिस्टाइल की सेना ने उन्हें सभी साथियों सहित
बंदी बना लिया और सभी को इस इमली के पेड़
पर एक साथ फांसी दे दी गयी। बर्बरता की चरम
सीमा यह रही कि शवों को पेड़ से उतारा भी नहीं
गया। कई दिनों तक यह शव इसी पेड़ पर झूलते
रहे। चार मई की रात अपने सशस्त्र साथियों के
साथ महराज सिंह बावनी इमली आये और शवों
को उतारकर शिवराजपुर गंगा घाट में इन
नरकंकालों की अंत्येष्टि की। तभी से यह इमली
का पेड़ भारत माता के इन अमर सपूतो की
निशानी बन गया। आज भी यहां पर शहीद
दिवस 28 अप्रेल को और अन्य राष्ट्रीय पर्वो पर
लोग पुष्पांजलि अर्पित करने पहुंचते है।


साभार:- कुटुंब App
@TodaysInspiration