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पण्डिता रमाबाई जन्मतिथि- 23 अप्रैल पंडिता | 🪷 आज की प्रेरणा 🪷

पण्डिता रमाबाई

जन्मतिथि- 23 अप्रैल

पंडिता रमाबाई प्रख्यात विदुषी
समाजसुधारक और भारतीय नारियों को उनकी
पिछड़ी हुई स्थिति से ऊपर उठाने के लिए
समर्पित थीं। मेधावी क्रेटर का नाम रामाबाई
मेधावी के नाम पर रखा गया।
पंडिता रमाबाई मेधावी का जन्म 23
अप्रैल, 1858 ई. में मैसूर रियासत में हुआ था।
उनके पिता 'अनंत शास्त्री' विद्वान् और
स्त्री-शिक्षा के समर्थक थे। परन्तु उस समय की
पारिवारिक रूढ़िवादिता इसमें बाधा बनी रही।
पिता रमा के बचपन में ही साधु-संतों की
मेहमानदारी के कारण निर्धन हो गए और उन्हें
पत्नी तथा रमा की एक बहन और भाई के साथ
गांव-गांव में पौराणिक कथाएँ सुनाकर पेट
पालना पड़ा।
पंडिता रमाबाई असाधारण प्रतिभावान थी।
अपने पिता से संस्कृत भाषा का ज्ञान प्राप्त
करके 12 वर्ष की उम्र में ही 20 हज़ार श्लोक
कंठस्थ कर लिए थे। देशाटन के कारण उसने
मराठी के साथ-साथ कन्नड़, हिन्दी, तथा बंगला
भाषाएँ भी सीख लीं। 20 वर्ष की उम्र में ही
रमाबाई को संस्कृत के ज्ञान के लिए सरस्वती
और पंडिता की उपाधियाँ प्राप्त हुई। तभी से वे
पंडिता रमाबाई के नाम से जानी गई।
1876-1877 के भीषण अकाल में दुर्बल पिता
और माता का शीघ्र ही देहांत हो गया। अब ये
बच्चे पैदल भटकते रहे और तीन वर्ष में इन्होंने 4
हज़ार मील की यात्रा की। 22 साल में शादी होने
के बाद उन्होंने बाल विवाह के विरोध में और
विधवाओं के हालातों पर बोलना शुरू किया।
मेडिकल की उपाधि हासिल करके वो ब्रिटेन गईं।
यूएस गईं और स्नातक की उपाधि ली। पति की
मौत के बाद उन्‍होंने पुणे में आर्य महिला समाज
की स्थापना की। एक कवयित्री और लेखिका
बनाने के क्रम में उन्होंने जीवन में खूब यात्राएं
कीं। रमाबाई सात भाषाएं जानती थीं,
धर्मपरिवर्तन कर ईसाई बन गईं और उन्होंने
बाइबल की अनुवाद मराठी में किया।
22 वर्ष की उम्र में पंडिता रमाबाई कोलकाता
पहुंची। उन्होंने बाल विधवाओं और विधवाओं
की दयनीय दशा सुधारने का बीड़ा उठाया। उनके
संस्कृत ज्ञान और भाषणों से बंगाल के समाज में
हलचल मच गई। भाई की मृत्यु के बाद रमाबाई
ने 'विपिन बिहारी' नामक अछूत जाति के एक
वकील से विवाह किया, परन्तु एक नन्हीं बच्ची
को छोड़कर डेढ़ वर्ष के बाद ही हैजे की बीमारी
में वह भी चल बसा। अछूत से विवाह करने के
कारण रमाबाई को कट्टरपंथियों के आक्रोश का
सामना करना पड़ा और वह पूना आकर
स्त्री-शिक्षा के काम में लग गई।

साभार:- कुटुंब App
@TodaysInspiration