2023-01-10 06:55:01
जन्म लिया जिसके आँगन में जिसके गोद में बड़ा हुआ,
हिंदी हो तुम माँ की जैसी तेरे सहारे खड़ा हुआ।
भले त्रुटियां हो मुझमें मैं अभी तुम्हारे लायक नहीं,
माँ को छोड़ चला जाऊं मैं ऐसा पुत्र नालायक नहीं।
रोम रोम में बसती है तू कैसे तेरा तिरस्कार करूँ,
तुझसे जुड़ा है मेरा भोजन तेरी ही जयकार करूँ।
अंग्रेजी से डर लगता है छड़ी तान कर खड़ी है वो,
देखो कैसे झुठलाती है कहती है तुझसे बड़ी है वो।
खुश होते हो कैसे कह कर इंग्लिश का झंडा गाड़ दिया,
जिस आँचल में पले बड़े उस आँचल को ही फाड़ दिया।
हम हैं तेरे सेवक माता क्यों तुम छुप कर रोती हो,
देश के सारे लोगों को तुम एक धागे में पिरोती हो।
भारत है एक सुंदर काया भाल पे जैसे बिंदी है,
नेह प्रेम की मूर्ति लगती माँ की जैसी हिंदी है।
- समुन्दर सिंह
#VishvaHindiDivasKiHardikBadhai
1.2K viewsआर्यन - Aryan, 03:55