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रहें तेरे अघोष में ग़र इजाज़त मिले, मैं तुझमें,तू मुझमें हिफ़ा | मोहब्बत शायरी

रहें तेरे अघोष में ग़र इजाज़त मिले,
मैं तुझमें,तू मुझमें हिफ़ाज़त रहें,

होगा सफ़र मुश्किल,समझौते भी कई,
दूरियाँ भी,थोड़ी जहाँ की ख़िलाफ़त मिले,

शर्त बस इतनी की तू थाम कर रक्खे,
चाहे बेइंतहा राह में क़यामत मिले,

क़ैद हो तुझमें,आँखों की हिरासत मिले,
वो इश्क़ ही क्या जिसमे ज़मानत मिले |