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इश्क़ किया है मैंने तुमसे, पर तुमसे कोई दरकार नहीं.. ये कुछ ज | मोहब्बत शायरी

इश्क़ किया है मैंने तुमसे,
पर तुमसे कोई दरकार नहीं..

ये कुछ जुदा सा है,अलग सा है,
इसमें कोई इज़हार इक़रार नहीं..

तेरी बंदिशें,तेरी मजबूरियों के बहाने,
इसके बीच मेरा इश्क़ क्यों मुर्दा रहे..

जब रब की तरह तुझे चाहने लगे हैं,
तो बंदों से क्यों पर्दा रहे..

मिलना,मिलाना,दिल्लगी,
अब लगने लगे सब बेकार..

ये रूहानी इश्क़ है मेरा,
और तुम सिर्फ़ उसके किरदार ।