ये रंग-रूप ये रौनक, बजह मगर, के मैं जिंदा क्या रहु मेरा जी तो भर गया, और ये साल भी उदास रहा रूठ कर गया, तुझसे मिले बगेर दिसंबर् गुजर गया S..... 15.2K viewssmile pandit, 23:04