कोई चेहरा मिटा के और आंख से हटा के चंद छींटें उड़ा के जो गया छप | 🌹 शायरी 🌹
कोई चेहरा मिटा के और आंख से हटा के चंद छींटें उड़ा के जो गया छपाक से पहचान ले गया एक चेहरा गिरा जैसे मोहरा गिरा जैसे धूप को ग्रहण लग गया छपाक से पहचान ले गया
ना चाह न चाहत कोई ना कोई ऐसा वादा है हा
ना चाह न चाहत कोई ना कोई ऐसा वादा है हाथ में अंधेरा और आंख में इरादा
कोई चेहरा मिटा के और आंख से हटा के हिन्दी ट्रैक्स डॉट इन चंद छींटें उड़ा के जो गया छपाक से पहचान ले गया
एक चेहरा गिरा जैसे मोहरा गिरा जैसे धूप को ग्रहण लग गया छपाक से पहचान ले गया
बेमानी सा जुनून था बिन आग के धुआं बेमानी सा जुनून था बिन आग के धुआं ना होश ना ख्याल सोच अंधा कौन
कोई चेहरा मिटा के और आंख से हटा के चंद छींटें उड़ा के जो गया छपाक से पहचान ले गया
एक चेहरा गिरा जैसे मोहरा गिरा जैसे धूप को ग्रहण लग गया छपाक से पहचान ले गया
आरज़ू थी शौक थे वो सारे हट गए कितने सारे जीने के तागे कट गए आरज़ू थी शौक थे वो सारे हट गए कितने सारे जीने के तागे कट गए
सब झुलस गया
कोई चेहरा मिटा के
एक चेहरा गिरा जैसे मोहरा गिरा जैसे धूप को ग्रहण लग गया छपाक से पहचान ले गया छपाक से पहचान ले गया