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आज ऑफिस से बाहर निकला तो हूबहू मेरे जैसा एक लड़का मेरे सामने, र | 💫✨💓सायरी for mood💫✨💓

आज ऑफिस से बाहर निकला तो हूबहू मेरे जैसा एक लड़का मेरे सामने, रैल्वेट्रेक के उस पार खड़ा था। हम दोनों एक दूसरे को देखकर सहम गए, वो कुछ कम, मैं कुछ ज़्यादा। मुझे समझ में ही नहीं आया कि ऐसा कैसे मुमकिन हो सकता है, फ़िर मैंने देखा कि वो पल्सर पर सवार हो गया और ईश्वर जाने क्यूँ, मैं भी उसके पीछे अपनी पल्सर लेकर चल दिया।

बाईक एक सड़क के किनारे रुकता है, मेरा हमशक्ल एक गली में मुड़ जाता है और फ़िर मैं देखता हूँ कि वो एक फ्लैट के एक घर में दाख़िल हो जाता है। मैं उस घर को छुपकर देखता हूँ तो मेरी परेशानीयों का कोई ठिकाना ही नहीं रहता।

उस घर में एक बूढ़ी औरत है, जो बिल्कुल मेरी मां की तरह है। एक बूढ़ा शख़्स है, जो बिल्कुल मेरे पिता की तरह है। एक लड़की भी है, जो कि मेरी बहन जैसी है। मैं उस घर को गौर से देखता हूँ तो एहसास होता है कि वो मेरे घर जैसा है, बिल्कुल मेरे घर जैसा।

मेरा वो हमशक्ल अपनी मां से वैसे ही मज़ाक करता है, उन्हें वैसे ही तंग करता है, जैसे मैं कभी अपनी मां को करता था। वो उनके पाँव को उतने ही प्यार से दबाता है, जैसे मैं कभी दबाता था। वो लड़का अपने पिता से उतना ही डरता है, जितना मैं कभी डरता था। वो अपनी बहन को वैसे ही परेशान करता है, जैसे मैं करता था। वो उतना ही शरारती, उतना ही संजीदा, उतना ही बेपरवाह, उतना ही सीधा, उतना ही सादा है, जितना मैं कभी था।

अचानक उस लड़के की नजर दोबारा मुझ पर पड़ जाती है, उसे एहसास हो जाता है कि मैं छुपकर उसको और उसके घर को बड़ी ही हसरत भरी निगाहों से देख रहा हूँ। मैं जल्दी से वहाँ से भागने की कोशिश करता हूँ पर तब तक वो दोबारा मेरे सामने होता है, मैं भागकर सड़क की दूसरी तरफ़ भाग जाता हूँ। सड़क के दो किनारो पर खड़े होकर हम दोनों एक दूसरे को गौर से देखते हैं। उसी वक़्त मुझे एहसास होता है कि वो मेरा हमशक्ल नहीं, ख़ुद मैं हूँ।

वो लड़का बड़ी ही लाचारी भरी नज़रों से मुझे देखता है और एक ऐसी हँसी हँसता है जिसमें मानो घमंड सा हो। उसकी हँसी मानो मुझसे कह रही है कि देखो अब तुम्हारे माता पिता मेरे हैं। तुम्हारी बहन को तंग करने का हक़ अब मेरा है। तुम्हारे भाई से फरमाइशें करने का हक़ अब मेरा है। तुम्हारा घर, तुम्हारा परिवार, तुम्हारे ख़्वाब, तुम्हारी खुशी, तुम्हारी हँसी, यूं समझो कि तुम्हारा सब कुछ अब मेरा है।

उसकी हँसी से मेरा खून खौल उठता है और मैं दौड़कर सड़क पार करता हूँ, जाकर उसके बिलकुल सामने खड़ा होता हूँ और उसका गला कसकर दबाता हूँ और उससे पूछता हूँ, वो होता कौन है मुझसे मेरे माता पिता को छीनने वाला? वो होता कौन है मुझसे मेरे भाई-बहन को छीनने वाला? वो होता कौन है मुझसे मेरी खुशियां छीनने वाला? वो होता कौन है मुझसे, ख़ुद मुझको छीनने वाला?

उसके गले पर मेरी पकड़ कुछ ज़्यादा ही मज़बूत होने लगती है, मुझे एहसास होता है कि उसकी साँसें उखड़ रही हैं, साथ में मेरी भी। उसका गला नीला पड़ रहा है, साथ में मेरा भी। वो मर रहा है और साथ में मैं भी और अचानक वो मेरी आँखों के सामने मर जाता है और मैं भी।

उसकी लाश गिरते ही नोटों की गड्डियों में तबदील हो जाती है। पैसे ने ही तो मेरी जगह ले ली है। पैसे ने ही तो घर के सबसे लाडले बेटे को उसके माता पिता से अलग कर दिया। पैसे ने ही तो मुझे सबसे जुदा कर दिया पर किसी को मेरी कमी महसूस ही नहीं होती, क्योंकि मेरी जगह वो मेरा हमशक्ल, वो पैसा है ना। पैसा ही तो मेरी जगह मेरे घर में रह रहा है।

मेरी लाश गिरते ही मेरी आँखें खुल जाती हैं और मुझे एहसास होता है कि मैंने फिर वही खौफ़नाक सपना देखा था।

फिर मैं उठता हूँ, माथे का पसीना पोंछता हूँ, नहा-धोकर ऑफिस चला जाता हूँ 'पैसे' कमाने, डीजाईन बनाने, ताकि किसी को मेरी कमी महसूस ना हो। भले मुझे ख़ुद अपनी कमी महसूस होती रहे।

ऑफिस से निकलता हूँ तो फ़िर मेरा वो हमशक्ल मेरी आँखों के सामने सड़क के किनारे खड़ा रहता है।

अब लगता है कि सिर्फ़ मुझे ही नहीं, हर किसी को अपना ये हमशक्ल दिखाई देता होगा और वो इस बात पर दूखी होते होंगे कि उसने उनकी जगह ले ली है।

सप्रेम
#बाबाभौकाली