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राजस्थानी साहित्य की कुछ प्रमुख रचनाएँ( पार्ट - 2) [ SPECIA | RAS Exam™

राजस्थानी साहित्य की कुछ प्रमुख रचनाएँ( पार्ट - 2)

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राजरूपक (वीरभाण) : इस डिंगल ग्रन्थ में जोधपुर महाराजा अभयसिंह एवं गुजरात के सूबेदार सरबुलंद खाँ के मध्य युद्ध (1787 ई,) का वर्णन है।

बिहारी सतसई (महाकवि बिहारी) : मध्यप्रदेश में जन्में कविवर बिहारी जयपुर नरेश मिर्जा राजा जयसिंह के दरबारी कवि थे। ब्रजभाषा में रचित इनका यह प्रसिद्ध ग्रन्थ शृंगार रस की उत्कृष्ट रचना है।

बाँकीदास री ख्यात (बाँकीदास) (1838-90 ई,) : जोधपुर के राजा मानसिंह के काव्य गुरू बाँकीदास द्वारा रचित यह ख्यात राजस्थान का इतिहास जानने का स्त्रोत है। इनके ग्रन्थों का संग्रह ‘बाँकीदास ग्रन्थवली‘ के नाम से प्रकाशित है। इनकें अन्य ग्रन्थ मानजसोमण्डल व दातार बावनी भी है।

कुवलमयाला (उद्योतन सूरी) : इस प्राकृत ग्रन्थ की रचना उद्योतन सूरी ने जालौर में रहकर 778 ई, के आसपास की थी जो तत्कालीन राजस्थान के सांस्कृतिक जीवन की अच्छी झाकी प्रस्तुत करता है।

ब्रजनिधि ग्रन्थावली : यह जयपुर के महाराजा प्रतापसिंह द्वारा रचित काव्य ग्रन्थों का संकलन है।

हम्मीद हठ : बूंदी शासन राव सुर्जन के आश्रित कवि चन्द्रशेखर द्वारा रचित।

प्राचीन लिपिमाला, राजपुताने का इनिहास (पं. गौरीशंकर हीराचंद ओझा) : पं. गौरीशंकर हीराचन्द्र ओझा भारतीय इतिहास साहित्य के पुरीधा थे, जिन्होंने हिन्दी में सर्वप्रथम भारतीय लिपि का शास्त्र लेखन कर अपना नाम गिनीज बुक मे लिखवाया। इन्होंने राजस्थान के देशी राज्यों का इतिहास भी लिखा है। इनका जन्म सिरोही रियासत में 1863 ई. में हुआ था।

वचनिया राठौड़ रतन सिंह महे सदासोत री (जग्गा खिड़िया) : इस डिंगल ग्रंथ में जोधपुर महाराजा जसवंतसिंह के नेतृत्व में मुगल सेना एवं शाहजहाँ के विद्रोही पुत्र औरंगजेब व मुराद की संयुक्त सेना के बीच धरमत (उज्जैन, मध्यप्रदेश) के युद्ध में राठौड़ रतनसिंह के वीरतापूर्ण युद्ध एवं बलिदान का वर्णन है।

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