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Sahaj Kriyayog Sadhna Adhyatmik Trust

टेलीग्राम चैनल का लोगो rajyogipk — Sahaj Kriyayog Sadhna Adhyatmik Trust S
टेलीग्राम चैनल का लोगो rajyogipk — Sahaj Kriyayog Sadhna Adhyatmik Trust
चैनल का पता: @rajyogipk
श्रेणियाँ: धर्म
भाषा: हिंदी
देश: भारत
ग्राहकों: 5.22K
चैनल से विवरण

This channel is parallel branch of Adbhut Rajsik Sadhnayen Youtube channel where we will provide you Gupt sadhna's & Dhyaan Gupt mantras..
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नवीनतम संदेश 6

2022-06-20 18:32:10
साधक कल्याण हेतु 19 जून 2022 रविवार रात्रि संस्था द्वारा माता महाविद्या का हवन पूर्ण किया गया। यह हवन प्रत्येक रविवार रात्रि में होता है। साधक निर्धारित शुल्क 155 रुपये / प्रेत्यक हवन/प्रेत्यक व्यक्ति करवा सकते हैं।

नामांकन हेतु संपर्क सूत्र - @sahajky मनीष जी
262 viewsDewanshu, 15:32
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2022-06-20 13:28:18 Bhaiya career unnati ke liye vastu upay kya ho sakte he

उत्तर -
वास्तु (वस्तु) का मूल उद्देश्य स्थान की उर्जा को इस प्रकार से करना होता है जिससे मनुष्य स्थान विशेष के साथ सुखी रह सके. घर एक मंदिर इस पंक्ति का अत्यधिक उपयोग सुना होगा आपने इसका अर्थ है है की धर का निर्माण इस प्रकार से किया जाये जिस तरह की शक्ति एक मंदिर में प्राप्त होती है उसी तरह की शांति मनुष्य को अथवा उर्जा मनुष्य को घर में भी प्राप्त हो.

इसके लिए भगवान् विश्वकर्मा ने अनेक नियम दिए हैं शिल्प में एवं अन्य महा ऋषियों ने भी इसके विषय में जानकारी दी है. मैं अपनी व्यक्तिगत जानकारी के आधार पर यह कहना चाहता हूँ की घर बनाने से पूर्व जितने नियम पालन करने हैं वो कर लेने चाहिए एक बार बन जाने के बाद शत प्रतिशत अनुकूलता लाना संभव नही हो पाता है. अब कई पुस्तक है जिनमे सिर्फ दिशा दे दी जाती है की यहाँ रसोई यहाँ निद्रा कक्ष बनाने चाहिए और उसी के आधार पर सब बना देते हैं जब की ऐसा है नही हो सकता है कई लोग मेरे विचार से सहमत न हो लेकिन मेरी शिक्षा सिविल इंजीनियरिंग में हुई है साथ ही साथ मैंने वास्तु की अनेक पुस्तक का अध्ययन किया है और मैंने यह पाया है की यदि एक बार घर न निर्माण हो गया तो उसमे पूर्ण उर्जा पुनः संतुलित करना संभव नही है कुछ अंश किया जा सकता है जैसे ५० से ६० प्रतिशत जिस हेतु अनिष्ट काल भैरव यन्त्र की स्थापना की जाती है और इसके लिए भी साधक को एक व्यक्ति चाहिए जो उस यन्त्र के साथ सम मेल आना के रखे और आने वाली पीढ़ी भी उसी अनुसार पूजन करें.

मैं स्वयं भी वास्तु अनुसार स्थान विशेष का नक्शा बनाता हूँ लेकिन मुझे काफी समय लगता है क्यूंकि मैं कंप्यूटर के माध्यम से नही बनाता हूँ मुझे सब हाथ से करना पड़ता है और वास्तु के अनुसार निर्माण करने पर जो सामान्य खर्च आता है उससे लगभग ४० प्रतिशत अधिक खर्च आएगा इसलिए वही व्यक्ति इसे करवाते हैं जिनके पास अत्यधिक धनराशी है. जैसे मान लीजिये मुझे एक स्थान का सम्पूर्ण नक्शा बनाने के लिए लगभग ५० दिन से अधिक चाहिए और यदि कंप्यूटर पे वही बनाना पड़ा तो हो सकता है १०० दिन भी लग सकते हैं इसलिए मैं सिर्फ कागज़ पे बना के दे देता हूँ अन्य कार्य व्यक्ति अपने अनुसार किसी और से करवा लेते हैं.

लेकिन मेरे द्वारा बनाये गये घर का नक्षा और सामन्य वास्तु के नक़्शे में बहुत अंतर रहेगा क्यूंकि मैं ऊर्जा को नियंत्रित एवं आवश्यकता अनुसार निर्मित करता हूँ स्थान ना की एक ही प्रकार से. जब व्यक्ति उस स्थान में रहते हैं तो वह शत प्रतिशत तय है की उन्हें मानसिक शारीरिक इस प्रकार की समस्या न के बराबर आएँगी और व्यक्ति मस्तिष्क और शरीर से तभी स्वस्थ रहता है जब आर्थिक रूप से संपन्न है.
646 viewsDewanshu, 10:28
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2022-06-20 11:47:18 Sir ji pranam--ma matngi.tanntr. Ma Tara tanntr . Bhavish me.sansta bana sakti hai ya nhi

उत्तर -
संस्था द्वारा प्रत्येक तंत्र का निर्माण मुहूर्त अनुसार किया जाता है और उसी अनुसार उसे धारण किया जाता है, आज तंत्र के विषय में आप सभी कोई अनेक जानकारी देना आवश्यक है, देखिये सर्वप्रथम सिर्फ ७ ग्रह के तंत्र का निर्माण किया जाता था उसके २ वर्ष बाद राहू एवं केतु तंत्र का निर्माण प्रक्रिया शुरू हुई संस्था द्वारा एक पुस्तक भी प्रकाशित है जिसके माध्यम से आप आपको स्वयं कौन से तंत्र धारण करने हैं उनकी जानकारी प्राप्त कर सकते हैं कुंडली, हस्तरेखा एवं अंक ज्योतिष तीनो के माध्यम से यह पूर्ण जानकारी एक ही पुस्तक में उपलब्ध है इसका शुल्क ३७० + कूरियर शुल्क है आप इसे संस्था द्वारा प्राप्त कर सकते हैं.

इसके बाद माता बगलामुखी का तंत्र निर्माण शुरू हुआ उसके बाद महामृत्युंजय तंत्र का निर्माण हुआ उसके बाद अन्य महाविद्या एवं तंत्र का निर्माण कार्य पूर्ण हुआ आज के समय में संस्था में अम्पूर्ण १० महाविद्या के तंत्र उपलब्ध हैं एवं संस्था द्वारा उपलब्ध तंत्र की सम्पूर्ण जानकारी आप इस लिंक पर क्लिक करके प्राप्त कर सकते हैं.

https://t.me/rajyogipk/5479

साधक अपने लिए विशेष तंत्र का भी निर्माण संस्था द्वारा करवा सकते हैं उसके लिए निर्धारित शुल्क अलग है, व्यक्तिगत तंत्र का निर्माण वही करवाएं जिनका अपना व्यापर है वही बेहतर है.
681 viewsDewanshu, 08:47
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2022-06-20 10:47:29 गुरुदेव प्रश्न यह है कि क्या एक व्यक्ती तीनो प्रकार की साधनाएं जैसे सात्विक राजसिक तामसिक कर सकते हैं तो उसमे ऊर्जा का स्थानांतरण कैसे होता है

उत्तर -
सात्विक राजसिक अथवा तामसिक विधि है किसी भी साधना को संपन्न करने की अर्थात की आप एक ही शक्ति की साधना इन तीनो प्रकार से कर सकते हैं और भी कुछ प्रकार से कर सकते हैं जैसे सात्विक में न्यास विनयोग आदि सम्मिलित हैं, राजसिक में यौगिक क्रिया, तामसिक में पञ्च माकर आदि आदि सम्मिलित हैं. एक ही साधना को एक ही समय पे तीनो प्रकार से करने का कोई लाभ नही है अथव अभिन्न भिन्न साधनाएं एक ही समय पे तीन विधि से करने में कोई लाभ नही है. क्यूंकि यदि भौतिक रूप से तामसिक साधना देखें उसमे मैथुन की प्रक्रिया है जब की राजसिक एवं सात्विक में ब्रह्मचर्य आवश्यक है इस तरह से आप यह तीनो एक साथ करने में दुविधा में फंस सकते हैं. सात्विक और राजसिक में भी इसी प्रकार से मांस आदि की प्रक्रिया बाधा बन सकती है. इसी कारन से तीनो को एक साथ करना उचित प्रतीत नही होता है.

लेकिन यदि कोई साधक करना ही चाहता है तो उसे पञ्च मकार को भी यौगिक क्रिया में परिवर्तित करना होगा जिससे वह तामसिक और राजसिक को एक साथ साध लेंगे और सात्विक प्रक्रिया को ध्यान में परिवर्तित करना होगा इस प्रकार से पूर्ण मंत्र साधना एक साथ की जा सकती है लेकिन यह असंभव में बराबर प्रतीत होती है इसलिए व्यक्तिगत सलाह है की एक बार में एक ही विधि का पालन करते हुए साधना करना उचित है.

साधक आपके प्रश्न @doccult पर भेज सकते हैं.
729 viewsDewanshu, 07:47
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2022-06-20 09:54:24
आयोजित दिल्ली शिविर नवंबर 2017। सन 2016 से संस्था साधकों के उत्थान हेतु ऑनलाइन एवं शिविर माध्यमों से कार्यरत है।
754 viewsDewanshu, edited  06:54
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2022-06-20 09:06:22 अपना भैरव तंत्र के लिए आज नाम और बता देता हूं तो भैरव तंत्र कितने दिन में बन जाएगा मेरे लिए

उत्तर -
यह प्रश्न अनेक साधकों का हो सकता है की तंत्र कितने दिन बाद प्राप्त होगा, जो मूल तंत्र हैं जैसे गणपति तंत्र, भैरव तंत्र यह सामान्यत उपलब्ध रहते हैं धनराशी जमा करने के १ सप्ताह के अंदर आपको भेज दिए जाते हैं अन्य तंत्र जिसमे महा विद्या तंत्र आदि सम्मिलित हैं वह १० से १५ दिन के अंदर भेज दिए जाते हैं. विशेष तंत्र जैसे स्वर्णिम बगलामुखी अथवा माता धूमावती तंत्र अथवा नया कोई भी विशेष तंत्र साधक को पूर्व सूचित किया जाता है उसके बाद ही निर्माण कार्य शुरू होता है क्यूंकि इसका शुल्क अत्यधिक होता है.

साधक आपके प्रश्न @doccult पर भेज सकते हैं.
778 viewsDewanshu, edited  06:06
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2022-06-19 16:24:13 Guru ji apne bhai ki kundali dikhayi hai to use mata chinmastika tantra aur anya grah tantra dharan karne ka paramarsh diya hai grahn dosh hai surya aur chandra rahu ketu neech ke hai tantra dharan karne se grah anukool ho jaayenge guru ji kripa karke bataaye guru ji bada pareshaan hoon.

उत्तर -
कुंडली के विश्लेषण में आप ३ प्रश्न पूछ सकते हैं और अलग अलग प्रश्न के उत्तर में रत्न, तंत्र, दान, उपाय एवं मंत्र जप अथवा साधना के विषय में जानकारी दी जाती है. अब यह आपकी इच्छा है आप किसका चयन करते हैं क्यूंकि उसमे सिर्फ तंत्र धारण करने के लिए ही नही कहा जाता है अन्य निशुल्क उपाय भी दिए गये हैं जिन्हें आप करके अपनी समस्या से छुटकारा पा सकते हैं.

लेकिन वर्तमान समय में मनुष्य के द्वारा श्रम न करने या ऐसा सोचने से कहीं मुझसे कोई गलती हो गयी और मेरा मंत्र जप का लाभ नही मिले अथवा दान नही दे पाया कहीं कोई गलती न हो जाये इन सभी समस्या को दूर करने या इनसे बचने के लिए व्यक्ति तंत्र रत्न आदि धारण करते हैं अथवा अपनी पूजा पाठ किसी अन्य से करवाते हैं.

आपका प्रश्न है क्या तंत्र धारण करने से सभी ग्रह अनुकूल हो जाते हैं - तंत्र धारण करने का अर्थ यह नही है की जीवन की सभी समस्या आपके किये गये कर्म अथवा उनके मिल रहे फल सब तंत्र के माध्यम से बदल जायेंगे यह करने की शक्ति तो स्वयं महाकाल में ही है की आपके काल में पूर्ण परिवर्तन ला दें तंत्र के माध्यम से जो ग्रह आपको वर्तमान समय में जितना नुक्सान दे रहे हैं वह उतना नही देंगे और आपके प्रति अनुकूलता आएगी.

जीवन में यह मार्ग जिसे भक्ति श्रद्धा अथवा साधना कहते हैं इसमें अंत किसी ने नही देखा है सम्पूर्ण विश्व इश्वर की भक्ति में लीन है अनेक प्रकार की प्रक्रिया के माध्यम से वह साम्प्रदाय अनुसार भिन्न हो सकती है लेकिन विश्वास सभी को है की परिवर्तन वह आर्थिक मानसिक आत्मिक आध्यात्मिक सभी इश्वर के द्वारा ही लाया जा सकता है. समस्त परिवर्तन का आदर उर्जा ही होती है जो मानव में पूर्ण विराजमान है और इसी उर्जा का छोटा स्वरूप तंत्र है यदि किसी उर्जा में कुछ कमी है तंत्र के माध्यम से वह बढ़ जाएगी और यदि कोई उर्जा आवश्यकता से अधिक है वह तंत्र के माध्यम से नियंत्रित हो जाएगी. जिस प्रकार से मशीन के माध्यम से चीज़े आसन हो जाती है उसी प्रकार तंत्र के माध्यम से जीवन यापन आसन हो जाता है.
996 viewsDewanshu, 13:24
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2022-06-19 13:54:10 प्रश्न १ - कोई साधना अगर अदृश्य शक्ति दर्शन तंत्र पहन कर करी जाये तो उससे वो शक्ति प्रत्यक्ष दिखने मे मदद मिल सकती है?

प्रश्न २ - Adrishya tantra aur sadhna me kya antar hai

प्रश्न ३. - प्रणाम देवांशु जी

अदृश्य शक्ति दर्शन तंत्र उसके प्रयोग अनुसार, क्या क्या शुल्क है, कृपया बता सकते हैं क्या आप?

उत्तर -
यह दोनों प्रश्न में कुछ अन्तर है २ साधकों द्वारा पूछे गये हैं लेकिन तीनो प्रश्न के उत्तर एक साथ ही देने उचित हैं -

जिस प्रकार से यन्त्र होते हैं जिन्हें स्थान विशेष पे स्थापित किया जाता है उसी प्रकार से तंत्र होते हैं जिन्हें शरीर में धारण किया जाता है तंत्र यन्त्र की तरह अधिकतर धातु में निर्मित किये जाते हैं तंत्र धारण किये जाते हैं उसके लिए आपको साधना करने की आवश्यकता नही है आप उसे सीधे ही धारण कर सकते हैं और उसका फल अथवा लाभ आपको प्राप्त हो जायेगा बिना किसी साधना को किये हुए.

अदृश्य शक्ति तंत्र अथवा अतृप्त शक्ति तंत्र का निर्माण प्रयोग हेतु है यह संभव है की आपने कोई साधना की और वह शक्ति अप्रत्यक्ष रूप से आपके साथ है आप उसके दर्शन इस तंत्र के माध्यम से प्राप्त कर सकते हैं लेकिन साधना काल में इसका कोई विशेष लाभ मिलने की संभावना नही है. इसलिए आप सर्वप्रथम साधना पूर्ण करें उसके बाद धारण करें और यदि साधना काल में धारण कर लेते हैं ऐसी स्थिति में छल हो सकता है की आप किसी अन्य शक्ति के दर्शन होने से अपनी साधना शक्ति को समझ बैठें और साधना पूर्ण ही ना कर पायें.

इस तंत्र के शुल्क की जानकारी सर्वोच्च साधना संगठन में प्रस्तुत है यदि अपने कभी भी संस्था के किसी भी पेड ग्रुप को ज्वाइन किया है तो उसमे आपको जोड़ा गया होगा आप वहां जाके देख सकते हैं क्यूंकि यह तंत्र सार्वजनिक रूप से उपलब्ध नही है.
973 viewsDewanshu, edited  10:54
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2022-06-19 13:17:25 वायू aaur चक्र मे क्या संबंध हैं??

उत्तर -
प्राण वायु का प्रवाह चक्र के माध्यम से होता है. इसे विस्तार में समझते हैं - चक्र का निर्माण नाड़ियों के माध्यम से होता है और प्रत्येक चक्र यदि आप उसका चित्र देखेंगे तो उसपे पंखुड़ी सी होती हैं प्रत्येक पंखुड़ी पर वायु उपस्थित रहती है जिसका प्रवाह चक्र के माध्यम से शरीर में होता है. कुल वायु ४९ हैं जिसमे से मुख्य प्राण एवं अपान हैं वही अन्य वायु में ६ चक्र में प्रवाहित होती हैं. जिसमे आज्ञा चक्र में १ ही वायु २ भाग में विभाजित होती है. तंत्र में इन्हें ४९ देवी/ देवता के रूप में दर्शाया गया है. ७२ मुख्य नाडी जिनका विभाजन ७२००० एवं असंख्य में होता है जिनके माध्यम से असंख्य चक्र का निर्माण होता है शरीर में.

भविष्य में चक्र एवं वायु के अनुसार उनके कार्य के विषय में जानकारी दी जाएगी उसकी लेखनी में समय की अत्यधिक आवश्यकता है.

इस प्रश्न का उत्तर अनेक सह्दक जो क्रिया का अभ्यास नही कर रहे हैं उनके लिए समझना कठिन हो सकता है क्यूंकि उन्हें इस विषय में कोई भी जानकारी नही होगी इसलिए आपको चिंतित होने की आवश्यकता नही है.
910 viewsDewanshu, 10:17
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2022-06-19 12:32:39 Gurudev,
Mai Pramanik Guru ki khoj me hu jinako mai apana jivan samarpit kar saku, guru ke bina sadhanaye viphal hai.Guru ko kaise prapt kare ?


उत्तर -
देखिये गुरु का अर्थ कोई व्यक्ति विशेष से नही है वर्तमान समय में मार्गदर्शक अथवा शिक्षक आपको व्यक्ति के स्वरुप में प्राप्त होते हैं गरु शब्द का अर्थ समझना आवश्यक है -

इस पूर्ण व्याख्या श्री संत कबीर द्वारा की गयी है आप इस दोहे के अर्थ के माध्यम से गुरु शब्द का अर्थ समझ पाएंगे -

https://t.me/rajyogipk/5316

जब आप इस अर्थ को पूर्ण रूप से समझेंगे तब आप इस सत्य को समझेंगे की गुरु के बिना कोई साधना क्यूँ सफल नही होती है यदि आप इस अर्थ को नही समझ पा रहे हैं तो आप अभी गुरु प्राप्ति से दूर हैं.
906 viewsDewanshu, 09:32
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