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Sahaj Kriyayog Sadhna Adhyatmik Trust

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टेलीग्राम चैनल का लोगो rajyogipk — Sahaj Kriyayog Sadhna Adhyatmik Trust
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नवीनतम संदेश 4

2022-07-13 06:18:37
गुरु पूर्णिमा क्रियायोग स्वरूप - वीडियो के माध्यम से ।



1.5K viewsDewanshu, 03:18
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2022-07-13 06:17:06
13 जुलाई 2018, बनारस शिविर के कुछ पल।

संस्था द्वारा 2016 से साधक कल्याण का प्रयास किया जा रहा है। सभी साधक अपने अनमोल समय साधना ध्यान आदि आदि में अवश्य दें इस जीवन का उद्देश्य जन्म मरण के बंधन से मुक्ति ही है।
1.4K viewsDewanshu, 03:17
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2022-07-12 14:13:35 प्रणाम देवंशुजी,
१. श्मशान क्या है.
२. उसका निर्माण कैसे कर सकते हैं.
३. और साधना के लिए श्मशान का चयन कैसे करें.
तकलीफ़ के लिए क्षमा

उत्तर -
यह तीन प्रश्न है और तीनो दिखने में आपस में मिलते हुए लगते हैं लेकिन इनका आपस में कोई सम्बन्ध नही है क्यूंकि श्मशान एक भौतिक स्थान है निर्माण प्रक्रिया एवं साधना दोनों आन्तरिक उर्जा विशेष हैं इसे समझना हर व्यक्ति के बस की बात नही है. अह समाज जिसमे हम रहते हैं इसमें मनुष्य मृत्यु को स्वीकार नही करना चाहता हैं मनुष्य मृत्यु शब्द से भी परहेज़ करता हैं वह किसी के मरने पर मरा हुआ बोलने पर भी डरता है उसे मृत्यु का भय अंदर ही अंदर खाए जाता है लोग सभ्य समाज में ऐसा शब्द उपयोग नही करते हैं उसकी जगह इंग्लिश में Late हिंदी में इश्वर को प्यारे, स्वर्गवासी आदि आदि शब्द का प्रयोग करते हैं जबकि मृत्यु परिवर्तनशील जीवन की अमरता की अनुभूति है यह बंधन ही कर्म बंधन है इतना सूक्ष्म समझने की आवश्यकता नही है.

जब मैंने तंत्र सीखना शुरू किया मेरे एक गुरु रहे चित्रकूट में उन्होंने मुझे काफी समझाने का प्रयास की अनेक प्रकार से तंत्र की सत्यता को मैं मानने को तैयार नही था दर्शन के बाद भी एक समय पर उन्होंने मुझे बनारस भेज दिया और कहा की जाओ वहां मणिकर्णिका में कुछ समय रह के आओ मैंने एक लम्बे समय तक वहां बैठ जाता सूचता रहता लोगों से ना बात करता न किसी से कुछ पूछता लोग मुझे वहां मूर्ख समझते थे की पढ़ा लिखा सभ्य कपडे पहन के ये लड़का इतना समय यहाँ करता क्या है वहां अनेक पंथ के साधकों से मिला सबके अपने मत थे समय बीता एक दिन अचानक से मुझे वह सत्य समझ में आया जो गुरु जी सिखाना चाहते थे की मनुष्य का धर्म सम्प्रदाय इच्छा धन आदि सब व्यर्थ है मृत्यु एक अटल सत्य है, यह सत्य किसी मंदिर में नही सीखा जा सकता है ना ही इस सत्य को किसी प्रमाण की आवश्यकता है पूरे दिन मनुष्य को राख बनते देखना और उसके बाद उसी प्रक्रिया को जल में देखना, एक लम्बे समय के बाद अब मैं बनारस गया मैं अक्षय जी राधा जी एक नाव में स्वर थे मैंने उन्हें दिखाया की कैसे मृत व्यक्ति का जल पर प्रभाव पड़ता है यह मैंने टीवी समझा जब मुझे सत्य के दर्शन हुए.

शमशान सत्य का मंदिर है जहाँ सिर्फ मनुष्य के सिर्फ भौतिक शरीर दाह किया जाता है जिससे यह समझना आवश्यक है की इस सत्य को कोई समाप्त नही कर सकता है इस भूमि से मनुष्य एक अंश लेके भी नही जा सकता है इसी धरती में सब समा जायेगा इसी सत्यता को शमशान दर्शाता है. मृत्यु की सत्यता के विषय में मैंने पूर्ण लेख लिखा है उसे भी पढ़ें. शमशान सर्वाधिक पवित्र है जहाँ मनुष्य किसी भी विचार से मुक्त है क्यूँ की सत्य के दर्शन से ही मनुष्य जीवन में आगे बढ़ता है . आखिर मनुष्य के शरीर को कहीं भी जला सकते हैं फिर भी एक विशेष स्थान में ले जाने की आवश्यकता क्यूँ है ? इसका कारण हैं शरीर से उर्जा का पूर्ण गमन इसे अधिक विस्तार से इसलिए समझना पड़ेगा क्यूंकि साधक का प्रश्न है शमशान कैसे बना सकते हैं.

शमशान पूर्व समय में स्थान विशेष अनुसार बनाया जाता है नदी के समीप जहाँ शरीर से उर्जा का पूर्ण निकास किया जा सके इसके पीछे के सत्य को उजागर करना इसलिए उचित नही है क्यूंकि इसे पूर्ण रूप से समझने हेतु ज्योतिष एवं वास्तु दोनों की आवश्यकता है और छोटी सी गलती भी मनुष्य को नुक्सान दे सकती है इसलिए कई बार कुछ घर ऐसे होते हैं जहाँ रहने से मनुष्य की मृत्यु होती रहती है ऐसे स्थान शमशान हेतु निर्धारित होते हैं, यह कोई प्रक्रिया नही है लेकिन बस उदाहरण है. देखिये किसी घर में शमशान बनाना उचित नही है न ही हर एक स्थान शमशान में परिवर्तित किया जा सकता है जिस प्रकार से मंदिर का निर्माण होता है उससे कहीं अधिक विधि विधान एवं नाना प्रकार की धातु को भूमि में समर्पित करके शमशान का निर्माण होता है. लेकिन यदि साधक करना ही चाहते हैं वह किसी एक इमली के पेड़ का चयन करें जो लगभग ४० से ५० वर्ष पुराना हो और उसी के आस पास निर्माण कर लें.

हर एक शमशान अलग अलग साधना हेतु उचित रहते हैं और सभी शमशान साधना हेतु उचित नही रहते हैं इसलिए इसे ऐसा कहना की कोई भी साधना किसी भी शमशान में की जा सकती है यह उचित नही होगा इसीलिए मैं कभी किसी मंदिर में साधना करने की सलाह नही देता हूँ. वर्तमान समय में व्यक्ति अपनी इच्छा अनुसार मंदिर निर्माण कर रहे हैं इसी प्रकार से कहीं भी गाँव अथवा शहर से दूर मनुष्य शमशान का निर्माण कर दे रहे हैं इसलिए जो शमशान लगभग ५० वर्ष से अधिक पुराने हैं उनमे ही साधना करना अथवा उनके समीप साधना करना उचित है.
1.6K viewsDewanshu, 11:13
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2022-07-12 12:01:17 Pranam guru ji mere 2 prashan h

1. Is bramhand ki sabse badi shakti konsi h?

2. Or us shakti ki sadhna bhi mantra or vidhi?


उत्तर -
मेरा उदीश्य सिर्फ साधक के प्रश्न का उत्तर देना ही नही होता है बल्कि यह भी होता है उससे समबन्धित अनेक प्रश्न के उत्तर साधक को मिल जाएँ लेकिन जब तक साधक प्रश्नोत्तरी को पढेंगे नही तब तक यह संभव नही हो पायेगा इसलिए पढना ज़रूरी है.

ब्रह्माण्ड की सबसे बड़ी शक्ति कौन सी है - जिसके द्वारा इसकी रचना की गयी है वही इस ब्रह्माण्ड की सबसे बड़ी शक्ति हो सकती है लेकिन इसका अर्थ यह नही की प्रत्येक रचना का रचनाकार ही सर्वोच्च है इसे समझना अत्यंत आवश्यक है, साधक यह समझने का प्रयास करें की मनुष्य की इच्छा हमेशा अनन्त की है सर्वोच्च की है सर्वाधिक की है, दृष्टि कभी एक लोटा जल देख के नही खुश होती समुद्र से ख़ुशी अथवा अनंत से खुसी आती है लेकिन यह अथ भी नही है की मनुष्य प्यासा है और उसे एक लोटा जल की ख़ुशी के स्थान पर समुद्र की ख़ुशी आवश्यक है, किसी मधुर संगीत को बाजे में सुनना और उसे की प्रकृति में सुनना दोनों में अत्यधिक अंतर है.

क्या भूमि जल आकाश अग्नि वायु किसी के अधीन हो सकती हैं ? इसका अर्थ है नही प्रकृति की रचना को स्वयं रचनाकार ही नियंत्रित कर सकते हैं क्या इस सृष्टि के रचनाकार को सिद्ध किया जा सकता है ? इसके लिए महाऋषियों ने अत्यंत गुप्त सूत्र दिया की रचनाकार ने स्वयं को सभी रचनाओं में विद्दमान किया हुआ है "यत पिंडे-तत ब्रह्माण्डे" यह शरीर सम्पूर्ण ब्रह्माण्ड है इसी कारण से यदि कोई इस शरीर को सिद्ध कर लेता है वह सम्पूर्ण रचना को सिद्ध कर लेगा.

इस सिद्धि का कोई भौतिक लाभ नही है लेकिन इसे सिद्ध करके मनुष्य स्वयं निरकार में परिवर्तित हो जायेगा यह उसी में मिल जायेगा समा जायगा और इसे ही मोक्ष कहा गया है.

इस सम्पूर्ण ब्रह्माण्ड को बनाने वाले स्वयं शिव हैं इनकी साधना कुछ इस प्रकार है -

मंत्र - बम बम हूम हूम योगिरूपा शिवाय नमः

इस मंत्र का जप निरंतर करते रहें और क्रिया का अभ्यास करें संभव हो तो हवन करें आम की लकड़ी में बेल का गूदा , शहद, जों, काला तिल, आदि से हवन करें. कितने दिन करना है इसका कोई अंत नही है आजीवन करें जब शिव की इच्छा होगी तब आप यौगिक मार्ग के इस संसार से मुक्ति र्पप्त कर लेंगे.
1.5K viewsDewanshu, 09:01
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2022-07-12 07:00:52 प्रणाम गुरुजी

मेरे एक मित्र हैं उनका कहना है कि 16-17 वर्ष की आयु में उनसे कुछ गलत कार्य हो गए थे (उनके अनुसर दिमाग पर प्रेशर हद्द से जदा हो गया था) बाद में अपयश होने लगा और हमेशा ही होता रहता है जब जब वो अपने ब्रह्मचर्य खंडित करते हैं

कभी कभी जब पूजा पथ भक्ति का मन होता है तो भी उन परेशान करने वाली गतिविधिया बढ़ जाती है जब भी किसी साधना की करने की सोचे भी है तो भी असमन्य रूप से उन्‍हें लोग परेशन करने लगते हैं, सदाचारी है किंटू किसी से कुछ बोल नहीं पाते ऐसी विकट स्थिति में व्यक्ति क्या करें


उत्तर
- कमुकता अथवा उत्तेजना अनुचित नही लेकिन उसका उपयोग निर्धारित करता है कि फल क्या होगा।

उदाहरण हेतु मनुष्य ऊर्जा का दुरुपयोग अपने आलस्य के कारण सर्वाधिक करता है जब तक आवश्यकता ना हो शरीर को आदेश ना दें जैसे

मान लीजिए सुबह बिस्तर से उठना है पहले शरीर को आदेश दिया कि अब उठते हैं उसके बाद नही 1 घंटे और सो लेते हैं

या कहीं चलते हैं शरीर मे ऊर्जा का प्रवाह चलने के अनुसार हुआ उसके बाद नही गए

आज मैं 100 किलो वजन उठाऊंगा लेकिन उठाने का प्रयास भी नही किया

अथवा

संभोग के बारे में सोचते हुए हस्तमैथुन करना।

समझने का प्रयास करें जब भी अपने कुछ भी सोचा आपके शरीर ने उस अनुसार शरीर मे ऊर्जा का प्रवाह कर दिया यह ऊर्जा सिर्फ भौतिक शरीर से ही नही सूक्ष्म शरीर से भी आती है ऊर्जा जब तक पूर्ण उपयोग नही होती वह किसी स्थान शरीर के जहां अपने विशेष रूप से कार्य हेतु ऊर्जा का आवाहन किया है वही सुरक्षित हो जाती है। ऐसी स्थिति में यदि वह कार्य ना किया जाए तो वह ऊर्जा कहा जाएगी ? कार्य बदलने से ऊर्जा का दूसरा रूप नवीन स्थान पर जाएगा।

ऐसे में क्या होगा ? ऐसे में मनुष्य जब एकाग्र होने का प्रयास करेगा वही ऊर्जा कभी खुजली, कभी झुंझनी कभी कामुकता के रूप में शरीर एवं मस्तिष्क की प्रक्रिया को बाधित करेगी।

इसलिए शरीर मे ऊर्जा का उतना ही प्रसार करें जितना ज़रूरी है।

यह आपके प्रश्न का सीधा उत्तर नही है लेकिन इसे समझने से आपके समस्त प्रश्न के उत्तर मिल जाएंगे।
1.5K viewsDewanshu, 04:00
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2022-07-11 14:52:41 सादर प्रणाम गुरु जी मेरा प्रशन यह है कि मै संथा से बहुत दिनो से जुडा हू टेलिग्राम के माध्यम से आपसे सानुरोध प्रार्थना है कि आप कम समय मे कोई ऐसी साधना के विषय मे बताइये जिससे कि हमारी आर्थिक समस्या खत्म हो जाये आपका बहुत आभार होगा


उत्तर -
आपका प्रथम मेसेज मुझे 9 मई २०२२ को प्राप्त हुआ है आपको संस्था से जुड़े हुए प्रश्नोत्तरी के दिवस तक २ माह पूर्ण हो चुके हैं.

साधकों को यह समझना आवश्यक है की जिस प्रकार से आर्थिक समस्या एक दिवस में नही आती है धीरे धीरे आर्थिक समस्याएँ आनी शुरू होती हैं और वह धीरे धीरे बढती जाती हैं इसी कारण से मनुष्य को कभी भी इस प्रकार का निर्णय जल्दीबाजी में नही लेना चाहिए ना ही ऐसा कोई प्रयोग करना चाहिए जिसमे शारीरिक मानसिक हानि हो जाए.

एक सामान्य व्यक्ति कोई साधक नही होते हैं की वह कभी भी किसी भी प्रकार का प्रयोग करने में सक्षम हो वर्तमान समय की समस्या क्या है मनुष्य को सब कुछ तुरंत चाहिए और साधना अथवा तंत्र यह वह प्रक्रिया नही अथवा इसका जन्म जिस समय हुआ है उस समय मनुष्य अपने जीवन का बहुत बड़ा समय देते थे इसी कार्य में तब जाके नाना प्रकार की सिद्धियाँ प्राप्त करते थे और अपने जीवन में कुछ विशेष करते थे.

देखिये जब मनुष्य किसी भी एकदम कम दिन की साधना का चयन करता है उदाहरण हेतु १ दिवस अर्थात वह अपने जीवन के कुछ वर्षों की समस्या को एक दिन मे पूर्ण रूप से समाप्त करना चाहता है अधिकतर यह आर्थिक समस्या होती है,

जितनी भी एक दिवसीय नकारात्मक साधनाएं हैं वही जल्दी फल दे सकती हैं और ऐसे में मानिसक हानि अर्थात मनुष्य का मानसिक रूप से पागल होना अथवा शारीरिक हानि अर्थात अंग भंग होना सम्मिलित है कई बार यदि साधक ने रक्षा तंत्र धारण किये हुए हैं तो ऐसी स्थिति में परिवावार में किसी व्यक्ति पर समस्या आजाती है इसलिए जब तक व्यक्ति को साधना का पूर्ण अनुभव ना हो उसे ऐसा कुछ नही करना चाहिए.

यदि साधक करना ही चाहते हैं तो इसे कोशिश करें - इसमें हवन करना होता है ३२ माला का

मंत्र - क्रीं क्रां क्रोंग न्यूं कट कट नीर प्रेतनी मत्स्य नाशिनी द्युत विजेता क्रों क्रां क्रीं हूम फट स्वाहा

नोट - इसमें गकार का प्रयोग है

बबूल की लकड़ी पर सूखी मछली से हवन करें और शराब से तर्पण मार्जन करें गिनती हेतु रुद्राक्ष एवं तुलसी एक अलावा कोई भी माला ले सकते हैं यदि हवन नही आकर सकते हैं जप संख्या ३ गुनी कर दीजिये माला हड्डी की होगी दिशा दक्षिण आसन लाल दिवस अमावस्या अथवा ग्रहण.

इस साधना के माध्यम से सिर्फ आर्थिक लाभ मिलते हैं ने किसी प्रकार के लाभ नही मिलते हैं साथ ही यदि साधक को जानकारी नही है वह स्वयं की हानि कर सकता है इसलिए सावधानी से साधना करें.
1.6K viewsDewanshu, edited  11:52
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2022-07-11 08:36:05 1. बचपन से जिन जिन्न को कहानियों में सुना उसे सिद्ध करने का आसन तरीका

2. कलवा सिद्ध होते ही करता है हर जायज़ नाजायज़ काम

3. 3 दिन सिद्ध होने वाली देगी हर सवाल का जवाब

4. सूर्य की रोशनी से कैसे मुर्दा जिंदा !

5. 1 माला से सिद्ध होगी किन्नरी जो देगी वरदान

6. मुम्बई में स्थित सिद्धि विनायक आपके घर आएंगे


समस्त साधनाएं जुलाई माह 2022 के पेड ग्रुप में उपलब्ध हैं, साधकों हेतु निर्धारित शुल्क 640 रहेगा आज रात्रि 10 बजे तक।

संपर्क सूत्र मनीष जी @sahajky
1.6K viewsDewanshu, 05:36
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2022-07-10 18:41:06 Guru ji
Mera prashan , kisi yantra ko dharan karne se karz se mukti mil skti hai kya? Agar ha to aisa kon sa yantra hai jisse labh hoga

उत्तर -
कर्ज आज के समय में एक घम्भीर समस्या है सम्पूर्ण विश्व की, इसका मूल कारण है मनुष्य का इस कर्ज को समझ ना पाना कैसे इससे मुक्ति प्राप्त कर सकते हैं उसके विषय में भी हम समझेंगे लेकिन पहले यह समझना आवश्यक है जिससे कोई भी यहाँ जुड़ा साधक कर्ज लेने से पूर्व क्या क्या ध्यान दें -

कर्ज तभी लीजिये जब शत प्रतिशत आपके पास चुकाने की खुद में समर्थता हो, किसी अन्य व्यक्ति के निर्देशनुसार कर्ज न लें और उतना ही कर्ज लें जो आप आसानी से चुका सकें

यदि किसी कारणवश कर्ज चुका नही पा रहे हैं ऐसी स्थिति में आप कर्ज की अवधि को ज्यादा ना बढ़ाएं बजाय की आप नए प्रयास करें जिसमे से एक प्रयास साधना भी है.

पूर्व अनुभव के आधार पर मैं आपको बता रहा हूँ जो व्यक्ति कर्ज में होता है वह शारीरिक एवं मानसिक रूप से इतना समर्थ नही होता है की वह किसी प्रकार की साधना को बिना गलती किये पूर्ण कर सके इस लिए बहुत सोच समझ के साधना करें और समस्त नियम का पालन अवश्य करें अन्यथा साधना शुल्क भी एक कर्ज के सामान हो जायेगा

अब समझते हैं तंत्र अथवा यन्त्र के विषय में - जुआ सट्टा तंत्र, मरघट लक्ष्मी यन्त्र एवं माता छिन्नमस्ता तंत्र यह लाभ दे सकते हैं लेकिन तंत्र धारण करना अथवा यन्त्र स्थापित करने का अर्थ यह नही की आपके समीप स्वयं से धन वर्षा होने लगेगी अथवा आप के पास स्वतः की धन आगमन होने लगेगा.

यन्त्र तंत्र दोनों ही उर्जा के स्रोत है और इनके माध्यम से आप जिस भी कार्य में निवेश करते हैं उसमे आपको नुक्सान नही होता है यही कारण है की मनुष्य कुंडली अवलोकन अथवा हस्तरेखा परिक्षण करवा के ही कार्य शुरू करते हैं जिससे नुक्सान की समस्या सामने ना आये.

यदि कोई साधक साधना करना चाहते हैं वह - तांत्रिक लक्ष्मी, महामाई कर्ज मुक्ति साधना अथवा धन कुबेर साधना कर सकते हैं यह कुछ छोटी साधनाएं हैं यदि साधक सक्षम हैं तो धन लक्ष्मी यक्षिणी साधना , गौरांगी यक्षिणी साधना आदि भी कर सकते हैं.
1.7K viewsDewanshu, 15:41
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2022-07-10 06:16:45
प्रणाम, माता महाविद्या हवन - 10 जुलाई 2022

साधक कल्याण हेतु प्रत्येक रविवार रात्रि 8 बजे से माता महाविद्या हवन किया जाता है।

हवन के माध्यम से साधकों को नाना प्रकार के लाभ प्राप्त हुए हैं कुछ ही साधक अपने अनुभव साझा करते हैं और अनेक साधक यह सोचते हैं कि अनुभव साझा करने से कहीं गुप्तता भंग न हो जाये इसलिए नही करते हैं।

माता महाविद्या हवन का निर्धारित शुल्क 155/प्रत्येक व्यक्ति/प्रत्येक हवन है।

चित्र - 3 जुलाई 2022 हवन।

संपर्क सूत्र @sahajky
2.5K viewsDewanshu, edited  03:16
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2022-07-09 20:33:50 प्रणाम गुरु देव सादर चरणस्पर्श, में श्मशान जागरण साधना के बारे में आपसे व्यक्तिगत रूप से मिलने का इच्छुक हूं, क्या आपसे भेंट हो सकती है,

उत्तर -
प्रत्येक अमावस्या संस्था द्वारा तामसिक हवन शमशान में ही किया जाता है लेकिन संस्था निर्जन शमशान पर हवन करती है और वहीं से सिखाया जाता है साधक को क्यूंकि जीवित शमशान में जागरण होने से कई बार मनुष्य की मृत्यु की संभावनाएं रहती है इसलिए शिक्षा निर्जन शमशान से शुरू की जाती है अथवा किसी जंगल में जो आधिकारिक रूप से भी जंगल हैं.

इस हवन को तामसिक हवन कहते हैं जिसमे शमशान में कुंवारे कच्चे मुर्ग एवं मुर्गी की हवन होती है साथ ही कच्ची देसी शराब का तर्पण मार्जन यदि किसी को सिर्फ हवन करवानी होती है वह अलग है यदि किसी को शंशान जागरण करना सीखना होता है उसके नियम अलग हैं.

आप यदि संस्था में १ वर्ष तक सेवा देना चाहते हैं ऐसी स्थिति में कर्म मित्र बनते हैं तो ही आपको शमशान जागरण सिखाया जायेगा और कितने भी दिन की शक्ति हो उसे एक दिन में सिद्ध करने के काबिल बनाया जायेगा. आप तो स्वयं से अघोर हैं आपको समय भी कम लगेगा. सामान्य साधकों से आपके प्रश्न जानवर, डर इन सबके बारे में कम रहेंगे ना,

साधक अपने नाम के आधार पर हवन करवा सकते हैं तामसिक जिसके अनगिनत लाभ मिलते हैं लेकिन कम से कम १२ माह करवाएं, मैंने यह पाया है साधक अनेक ऐसी नशा पट्टी जैसी जगह में प्रत्येक माह हजारों रूपये बर्बाद करते हैं और उस समय भी यही सोचते हैं की जीवन में कुछ अच्छा नही चल रहा है इससे बेहतर हैं इश्वर अथवा दैत्य किसी को भोग देके देखिये कुछ तो भला होगा जिनका हुआ है वह सब जानते ही हैं वो अपने लोगों को जोड़ रहे हैं लेकिन सारी जिम्मेदारी इनकी ही नही है.

शमशान जागरण की विषय को सार्वजानिक रूप से सिखाना मैंने दिसंबर २०१९ से शुरू किआ उससे पहले कई वर्ष तक मैं सिर्फ जानने वालों को ही सिखाता था लेकिन मेरे पेड ग्रुप दिसम्बर २०१९ के दी गयी शमशान जागरण साधना और शमशान की साधना घर पे करने की विधि से सबसे ज्यादा साधक सफल हुए और आज भी वो सफल हो रहे हैं क्यूंकि शमशान जागरण सीख चुके हैं.

सबसे बड़ी बात वो लगातार ३ वर्ष इ मेरे ही मार्गदर्शन में अभ्यास कर रहे हैं वर्ना आजके समय में प्रत्येक १० में मार्गदर्शक बदल जाते हैं वह उचित नही है कम से कम जितनी सूचना मुझे है वो पूरी ले लिजिउये उसके बाद अन्य मार्गदर्शक के पास जाइए जिससे आप शक्तिवान बने अलग अलग तरह की शक्ति में.


लेकिन कई लोग डरते हैं तामसिक हवन से उनके लिए महाविद्या हवन होता है प्रत्येक रविवार रात्रि ८ बजे होता है ये हवन आप निर्धारित शुल्क 155 प्रत्येक व्यक्ति प्रत्येक हवन पर नामाकन करवा सकते हैं - साधक जिन्होंने कभी हवन किया है वह स्वयं से जानते हैं इस धनराशी में वह स्वयं भी हवन नही कर सकते है इसीलिए संस्था द्वारा धनराशी कम राखी हिया जिससे हजारों लोग इसमें भाग लें हर सप्ताह.

कल रात्री १० जुलाई २०२२ रात्री ८ बजे माता महाविद्या का हवन पूर्ण किया जायेगा जिन भी साधकों को नामाकन करवानी है वह मनीष जी से समपर्क करें = @sahajy

पिछले सप्ताह के हवन का चित्र - https://t.me/c/1577351373/25
1.7K viewsDewanshu, edited  17:33
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