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Sahaj Kriyayog Sadhna Adhyatmik Trust

टेलीग्राम चैनल का लोगो rajyogipk — Sahaj Kriyayog Sadhna Adhyatmik Trust S
टेलीग्राम चैनल का लोगो rajyogipk — Sahaj Kriyayog Sadhna Adhyatmik Trust
चैनल का पता: @rajyogipk
श्रेणियाँ: धर्म
भाषा: हिंदी
देश: भारत
ग्राहकों: 5.22K
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This channel is parallel branch of Adbhut Rajsik Sadhnayen Youtube channel where we will provide you Gupt sadhna's & Dhyaan Gupt mantras..
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Dewanshu@CM4

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नवीनतम संदेश 3

2022-07-19 07:12:24 हर्ष एवं प्रेम - संस्था स्थापना दिवस

दिनांक 24 जुलाई को संस्था की स्थापना सम्पन्न हुई थी, इसलिए संस्था द्वारा यह निर्णय लिया गया है कि इस 24 जुलाई को -

1) संस्था द्वारा निर्मित प्रत्येक आयुर्वेदिक औषधि पर 12.8% छूट प्रदान की जाएगी।

2) सिद्ध मद्य - 9.1% की छूट प्रदान की जाएगी।

3) साधना समाग्री - माला एवं आसान पर 8.2% की छूट प्रदान की जाएगी।

4) तंत्र - ग्रह एवं महाविद्या तंत्र पर 5.5% की छूट प्रदान की जाएगी।

5) दीक्षा एवं पेड ग्रुप - समस्त पुराने पेड ग्रुप एवं राजसिक साधना दीक्षा का के निर्धारित शुल्क 730 रहेगा।

नोट - यह सुविधा मात्र 24 जुलाई 2022 हेतु है उससे पहले या उसके बाद इस सुविधा का लाभ किसी को प्राप्त नही होगा।

संपर्क सूत्र मनीष जी @sahajky
938 viewsDewanshu, 04:12
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2022-07-18 10:30:19 जुलाई माह पेड ग्रुप 2022 -

मौला जिन्न - बचपन मे जिस जिन्न किस्से कहानी सुने मात्र 5 माला में इसे सिद्ध करने की तिलस्मी विधि।

कच्चा कलवा - 250 ग्राम मांस
से कलवा सिद्ध करने की विधि, सिद्ध होते ही करता है माला माल।

मत्स्य मंजली - कल क्या होगा जाने आज, कौन सा शेयर खरीदें, क्या होगा परिणाम किसी भी काम का। 3 दिवस में सिद्ध होने वाली मंजली।

रत्वर्ग किन्नरी - 1 माला से सिद्ध होने वाली अत्यंत धार्मिक किन्नरी।

चौकी लगाएं - 1 माला से लगेगी नरसिंह की चौकी और मिलेगी ख्याति और आशीर्वाद की शक्ति।

मारण मटकी - कोसों दूर बनाएं मटकी और दें अपने शत्रु को जीवन हानि, किसी समाग्री की ज़रूरत नही।

हनुमान चालीसा - की आध्यात्मिक व्याख्या

लौह भस्म से कैसे करें खुद को लौह के समान


मृत्युभय उत्पन्न - शत्रु कितना भी शक्तिशाली क्यों न हो आप से हमेशा डरेगा और सब करेंगे आपकी इच्छा से काम

महाघोर काली - घर मे रहके करेंगे माता की अघोर शक्ति की सिद्धि और पाएं लाखों वरदान
जिससे इंसान हो या शमशान सब होगा आपके अधीन।

निर्विकल्प समाधि - क्या होती है समाधि ? सविकल्प और निर्विकल्प समाधि।

कामराज यंत्र - 1 घंटे से कम में बना ये यंत्र जो बना पहनते ही बनाएगा आपको पौरुष को कई गुना ज्यादा।

सूर्यकिरण मृतसंजीवनी - सूर्य की किरण से कैसे जीवित हो सकते हैं मृत इसका अत्यंत गोपनीय विधि जिसमे किस समाग्री की आवश्यकता नही।

18/3 - क्रिया के महत्वपूर्ण आसान में से एक जिसको सिद्धि देती है शक्ति

सौंदर्य - आयुर्वेद - चेहरे को सुंदर करने की विधि। खुद बनाएं और कमाएं।

शीघ्र विवाह - नही हो रही है शादी ? बढ़ रही है उम्र बस ये 1 जड़ बना के लीजिए पहन होगी शादी तुरन्त।

आज्ञा चक्र - पूर्ण सिद्धांत क्या होगा जब जागेगा चक्र। तीसरी आँख का सिद्धांत।

लिंग मुद्रा - वीर्य की शक्ति को कई गुना वृद्धि, ठंडी में गर्मी पैदा करने वाली।

हमजाद इल्मी - ऐसी साधना जिसमे सिद्ध होगा खुद का हमजाद वो भी सिर्फ एक दीपक जलाने से, इसमे इल्म की ज़रूरत नही। कर देगा वशीकरण भी

शमशानी लक्ष्मी यंत्र - सारी शमशान की आर्थिक शक्तियों को जोड़ के आपको धनवान बनाएगा एक रात में बनने वाला ये यंत्र।

जीवन यापन - जीवन कैसे जियें कभी न हो दुख या समस्या।

त्रियंक डायन - 3 दिवस में सिद्ध होने वाली वो डायन जो देगी हर एक तरह के जुए में विजय।

लिंग भोगिनी पिशाचिनी - रूपांतर करके शारीरिक रूप से कामसुख देने वाली पिशाचिनी।

निर्धारित शुल्क आज रात्रि (18 जुलाई 2022) 10 बजे तक - 501 उसके बाद 1280

संपर्क सूत्र - मनीष जी @sahajky
1.3K viewsDewanshu, edited  07:30
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2022-07-18 07:48:00 जुलाई माह 2022 के पेड ग्रुप संबंधित सभी साधनाएं एवं पोस्ट पूर्ण हो गए हैं।

साधक आज रात्रि 10 बजे तक निर्धारित शुल्क 501 में ग्रुप जॉइन कर सकते हैं।

साधना का नाम एवं अन्य पोस्ट attached pdf में उपलब्ध हैं आप इसे खोल के देख सकते हैं।

संपर्क सूत्र - मनीष जी @sahajky
1.2K viewsDewanshu, 04:48
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2022-07-17 10:09:32
संस्था द्वारा प्रत्येक सप्ताह रविवार को साधक कल्याण हेतु माता महाविद्या हवन किया जाता है।

आज रात्रि (17-07-2022) 8 बजे यह हवन किया जाएगा। साधक निर्धारित शुल्क 155/प्रति साधक/ प्रत्येक हवन हेतु जमा करके नामांकन करवा सकते हैं।

संपर्क सूत्र मनीष जी @sahajky
1.4K viewsDewanshu, 07:09
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2022-07-16 08:40:29 गुरु जी प्रणाम
मेरा प्रश्न ये है कि अगर हमारे अंदर पहले से कोई शक्ति है तो उसे कैसे पहचाने या शक्तिशाली बनायें

उत्तर -
एक मनुष्य के अंदर ब्रह्माण्ड की समस्त शातियाँ पहले से मौजूद हैं जैसे जैसे मनुष्य उन्हें समझता जाता है वह साकार से निरकार कार की यात्रा करता है इस बीच वह समस्त तत्त्व एवं वायु पर नियंत्रण प्राप्त करता है - विप्र से अवतार तक की समस्त चरण को पूर्ण करता है, ये समस्त चरण उसे अन्नमय से शिव तक की यात्रा करवाते हैं.

उपरलिखित पंक्ति को समझना कठिन हो सकता है, कुछ आसन शब्द में समझते हैं मनुष्य में किसी न किसी चक्र में अधिक उर्जा रहती है उसी अनुसार उसकी शक्ति का बोध किया जा सकता है की किस शक्ति की प्रधानता है मनुष्य इसकी जांच हेतु काया क्रमवीक्षण आवश्यक है इसी के माध्यम से मनुष्य में स्वत किसकी शक्ति की अधिकता है यह जाना जा सकता है.

स्वयं से कैसे पहचाने - स्वतः यह जानने के लिए आपको क्रिया का अभ्यास करना होगा और कुछ माह अथवा वर्ष में आपको यह बोध हो पायेगा, यदि साधक जल्द से जल्द करना चाहते हैं वह देवी विश्वेश्वरी की साधना करें और इसकी प्राप्ति करें.

इस उत्तर को कम शब्दों में इसलिए दिया है क्यूंकि इस्पे एक विशेष विडियो बनाया जायेगा.


साधकों की रूचि मंत्र साधना में अधिक दिखती है इसलिए जल्द की एक साधना प्रश्नोत्तरी शुरू की जाएगी जिसमे साधक की इच्छा अनुसार साधना दी जाएगी लेकिन इसलिए नियम एवं प्रश्नोत्तरी जिस दिन की जाएगी उस दिन बता दिए जायेंगे.
1.5K viewsDewanshu, 05:40
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2022-07-15 08:50:58 Prashnotri Hetu

Jai mata ki bhaiya
Ayurveda mein mukhyata saari bimariyo ka reason vaat pitt aur kaph ka asantulan btaya gaya hai... Swayam se , Ya anya tareeke se kaise pata kara jaaye ki kisko kaunsa dosh hai yah jis wajah se vartamaan evam bhavishya mein aani wali bimariyo se pehle hi bacha jaa sake?

Dhanyavaad

उत्तर -
देखिये जब हम इसे उपर उपर से देखते हैं ऐसी स्थिति में हमे यह त्रिदोष दीखते हैं वात पित्त एवं कफ लेकिन जब हम इनकी उत्पत्ति देखते हैं समय हमे यह पता चलता है की

कफ का निर्माण - भूमि एवं जल तत्त्व से होता है
वात का निर्माण - आकश एवं वायु तत्त्व से होता है
पित्त का निर्माण - अग्नि एवं जल तत्त्व से होता है

भौतिक शरीर में होने वाले दोष इन पञ्च तत्त्व से आते हैं लेकिन इन पञ्च तत्त्व में दोष ओने की संभवना तभी है जब शेष १९ तत्त्व में भी दोष उत्पन्न होने लगें. यही कारण है की मैंने कुछ समय पूर्व आयुर्वेद ज्योतिष एवं ग्रह के विषय में एक पोस्ट डाला था यदि किसी साधक द्वारा वह नही पढ़ा गया है उसे इस लिंक पर क्लिक करके अवश्य पढ़ें -

https://t.me/rajyogipk/5590 - इसके माध्यम से आप यह समझ सकेंगे की किस प्रकार से ग्रह के माध्यम से वनस्पति का कार्य प्रणाली है एवं कैसे आयुर्वेदाचार्य मनुष्य को कभी बीमार न होने देने पर शोध करते थे.

अब आते हैं मूल प्रश्न पे की कैसे बेमारी से बचा जा सके - वर्तमान समय में वायु जल भूमि आकाश यह समस्त तत्त्व दूषित हैं और कहीं न कहीं इनके कारण ही बीमारी हो रही है और इनकी शुद्धि करना तो अब संभव नही है इसलिए बेहतर है की क्रिया का अभ्यास करें साफ़ खाएं कोशिश करें नशा ना करें वर्ना क्रिया का अभ्यास करें बाकी कुछ करें या ना करें कुछ लाभ रहेगा ही रहेगा.
1.7K viewsDewanshu, 05:50
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2022-07-14 16:31:01 आज की प्रश्नोत्री के लिए प्रश्न
सर जी संस्था से जब में तंत्र मंगवाके पहनता हूं थो शुरू में ऊर्जा फील होता हैं पर कुछ महीने तक उसे पहेने रखने के बाद नॉर्मल लगता हैं,पता नही चलता की वो दूषित होगया या नहीं भले ही हम उसे बहुत सावधानी से पहने रखे हैं फिर चाहे कही भी वाशरूम या गंदी जगह टच होने ना दिया हो,तो मेरा प्रश्न हैं हमको पता कैसे चलेगा की वो दूषित हुआ हैं या नहीं जी. और क्या तंत्र को बार बार पहना उतारना नही चाहिए?

उत्तर -
इस प्रश्न में कई भाग हैं पहला तंत्र की उर्जा से सम्बंधित, दूसरा शरीर से सम्बन्धित, तीसरा दूषित होने से सम्बन्धित इसे विस्तार से समझना आवश्यक है पूर्व में कई बार समझाया गया है लेकिन जब तकस अधक कांसेप्ट नही समझेंगे तब तक इस तरह के प्रश्न मन में आते रहंगे

प्रथम - तंत्र धारण करने से पूर्व शरीर की उर्जा को आप प्रतिदिन महसूस कर रहे हैं वह आपके लिए रोज़ ही एक जैसी है लेकिन तंत्र धारण करते ही शरीर की उर्जा में परिवर्तन आता है जो की साकारत्मक होता है और जैसे जैसे मनुष्य में परिवर्तन तंत्र के अनुसार आ जाता है वह मनुष्य को वह अंतर महसूस होना बंद हो जाता है. उदाहरण हेतु यदि आप किसी इतर को लगाते हैं आपको अंतर महसूस होगा थोड़ी डिअर बाद सब सामन्य हो जायेगा आपके लिए. तंत्र धारण करने से वह शरीरिक उर्जा में परिवर्तन लाता है अब आप इसे किसी भी तरह से समझ सकते हैं ये कह लीजिये एक तंत्र धारण करने से जादू हो जाता है काम बन जाते हैं अथवा उर्जा में परिवर्तन आ जाता है और मनुष्य के निर्णय उत्थान की और ले जाते हैं यह आपकी इच्छा है.

दूसरा - तंत्र धारण करने के बाद सब सामान्य हो जाता है - जैसे ही तंत्र अपने अनुसार सकारात्मक परिवर्तन शरीर में ले आता है शरीर उसी अनुसार ढल जाता है उसके बाद जब आवश्यकता होती है तभी तंत्र उर्जा का और निवेश शरीर में करता है अन्यथा नही - यदि आपने केमिस्ट्री पढ़ी है यह उर्जा की संतुलन प्रक्रिया को पूर्ण करना ओसमोसिस कहलाता है और जब संतुलन हो जाता है इसे ही एक़ुइलिब्रिअम कहते हैं. अब
तंत्र में एक निर्धारित उर्जा रहती है जो धीरे धीरे शरीर उपयोग करता रहता है एक निर्धारित समय के बाद तंत्र की उर्जा समाप्त हो जाती है जो की निर्भर करता है तंत्र के अनुसार एवं अनेक चीज़े हैं जिसपे यह निर्भर करेगा लेकिन सामान्यत ४ से ५ वर्ष तंत्र दुहित न ही तो वह कार्य करता है.

तृतीय - तंत्र दूषित होने का अर्थ है तंत्र अपनी समत उर्जा एक साथ निष्काषित कर दे और पूर्ण रूप से उर्जा हीन हो जाये अर्थात न उसके बाद प्रभाव सकारात्मक होंगे ना नकारात्मक बस शांत हो जायेगा प्रभाव.

यह तंत्र विशेष पर निर्भर करता है की कौन सा तंत्र किस स्थिति में दूषित होता है लेकिन सभी तंत्र मल अथवा मूत्र के संपर्क में आने से दूषित हो जाते हैं वह फर्क नही पड़ता की मल अथवा मूत्र किसका है.

आशा करता हूँ तंत्र सम्बन्धी किसी भी प्रकार की समस्या अब किसी साधक को नही होगी.
1.6K viewsDewanshu, 13:31
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2022-07-13 13:05:00 मृत्युभय प्रयोग -

यह एक ऐसा प्रयोग है जिसमे माला आसन दीक्षा मंत्र किसी की भी आवश्यकता नही है सिर्फ एक जड़ी से होता है यह प्रयोग जिसके कारण से शत्रु को दिया जाता है दंड, इस दंड से यह यह हानि शत्रु को होती हैं -

• भविष्य के प्रति चिंतित होकर प्रलाप करेगा
• भूत – प्रेत आदि देखेगा
• सारे शारीर में दर्द होगा
• अँधेरे में रहेगा
• सर चकराएगा
• गीत, शोर, गंध आदि सहन नहीं कर पाएगा
• उलटी, पेशाब, पसीना की अधिकता होगी
• छूने से बिद्केगा
• मूत्र रुक जाएगी
• चीखेगा , भागेगा, अपनी जन इन्द्रियों को पकडे रहेगा
• बार – बार काम भाव से उत्तेजित होगा , पर सम्भोग से पहले ही स्खलित हो जायेगा
• सांस लेने में तकलीफ प्रारंभ हो जाएगी
• कफ के साथ खून वमन करेगा
• हाथ – पाँव सुन्न हो जायेंगे
• शरीर अकडा रहेया (खासकर ) कमर
• सोते समय डरेगा
• चौककर उठेगा
• त्वचा में खुजली होगी
• सर्दी की लहर के साथ भीषण ज्वर प्रारम्भ हो जायेगा

एक ऐसा प्रयोग जिससे मनुष्य अपने शत्रु को प्रताड़ित कर सकता है, कई बार शत्रु अति शक्तिशाली होता है जिस कारण से आप बल अथवा बुद्धि से परास्त नही कर सकते हैं लेकिन तंत्र प्रयोग एक ऐसा माध्यम है जिससे आप शत्रु को आणि दे सकते हैं.

देखिये ऐसे प्रयोग अति कठोर शत्रु पर ही करने चाहिए अन्यथा समाज में संतुलन बिगड़ जायेगा.

पूर्ण जानकारी - https://t.me/rajyogipk/5877
1.6K viewsDewanshu, 10:05
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2022-07-13 11:23:37 नमस्कार
मेरा सवाल हे

मै साधना शेत्र मे आना चाहता हू ओर इस विषय पर आप की वीडियो जिस पर आप साधना कि शुरुआत कैसे करे उस को मैने हाल ही मे देखा हे और मै शरीर को तैयार करने के लिए सर्थिता का अभ्यास कर रहा हू लेकिन मेरे भीतर के नेगेटिव भावनाओ को कैसे खत्म करू जो पिछले कुछ सालो मे घटित घटनाओ के कारण उत्पन्न हुई।

कृपा कर के मुझे कोई सरल तरीका बताय जिस से मे अपनी इस परेशानी को दूर कर सकू
धन्यवाद।

उत्तर - साधक का मूल प्रश्न है की शरीर में उत्पन्न नकारात्मकता का अंत कैसे करें -

नकारात्मकता भौतिक नही है यह एक आन्तरिक उर्जा में उत्पन्न द्वेष है अथवा यह उर्जा के दूषित होने के कारण उत्पन्न होती है क्यूंकि यह भौतिक नही है इसलिए इसका निवारण भी आंतरिक है दवाएं जो केमिकल से बनती हैं वह सिर्फ भौतिक शरीर अर्थात अन्नमय कोष पर कार्य करती है इसीलिए कभी कोई समस्या जड़ से खत्म नही होती है, आयुर्वेद एवं दैवीय प्रक्रियाएं यह आन्तरिक शरीर जैसे प्राणमय मनोमय कोष तक कार्य करती हैं इसीलिए बाधा पूर्ण रूप से समाप्त हो जाती है.

नकारात्मकता समाप्त करने हेतु अनेक उपाय हैं -

निशुल्क उपाय -

१. माता बगलामुखी कवच पाठ
२. माता चिन्नमस्ता हवन - मात्र हवन करें
३. मटकी में कमलगट्टा, काला तिल, राइ, समुद्री नमक, और काली मिर्च के कुछ दाने - ७ मटकी बना के अपने सर से घुमा के बहते जल में प्रवाहित करें.
४. ६ अनाज की पोटली बना के पूरे शरीर से घुमा के पीपल के पेड़ के पास जहाँ उसकी छाया ना आती हो वहां गाड़ दें

सशुल्क उपाय -

१. संस्था द्वारा उपलब्ध सिद्ध मद्य का सेवन २१ दिन करें यह मद्य महाविद्या की शक्ति से बनता है
२. माई कालिका तंत्र धारण कर सकते हैं

यह दो सर्वाधिक उपयोगी उपाय हैं जिनसे अनेक साधकों को लाभ प्राप्त हुआ है.

निशुल अथवा सशुल्क जो भी आपके लिए आसन हो दोनों में से आप किसी का भी इच्छा अनुसार चयन कर सकते हैं.
1.6K viewsDewanshu, 08:23
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2022-07-13 09:35:28 मेरा प्रश्न है
क्या तामसिक साधनाओं में पूर्ण सफलता एवं प्रत्यक्षीकरण के लिए साधक में पहले से ही किसी देवता या मंत्र की एक निश्चित ऊर्जा का होना आवश्यक है; या एक शुरुवाती साधक भी निर्धारित विधि एवं
नियमो का पालन करते हुए भी पूर्ण प्रत्यक्षीकरण प्राप्त कर सकता है

उत्तर -
मेरा सभी साधकों से एक निवेदन है आप प्रश्न करते समय आपको किस माध्यम से यह सूचना प्राप्त हुई है वह भी लिखें जैसे साधक का प्रश्न है तामसिक साधना से पूर्व देवी देवता की साधना करने से उर्जा प्राप्त होती है. इससे मुझे उसी अनुसार उत्तर देने में आसानी होगी.

अब समझिये तमस से तामसिक आया है तमस का मूल अर्थ है अन्धकार, अज्ञान अथवा काला इसी प्रकार से तामसिक साधना का अर्थ है वह साधनाएं जो अंधकारमय है अथवा जिनसे शक्ति तो प्राप्त हो सकती है लेकिन ज्ञान नही अथवा जीवन का प्रकाश नही और दैविक साधनाएं जीवन में प्रकाश, ज्योति, जाग्रति प्रदान करती हैं. तमस का दूसरा अर्थ है वीर्य अब इसे समझाने के लिए अलग से विडियो बनाना पड़ेगा अभी के लिए यह समझें की वीर्य तमस है.

अब आप समझें इस दोनों का आपस में कोई लेना देना नही है प्रकाश और अंधकार एक साथ कैसे हो सकते हैं ? इसलिए यह कहना की दैविक साधना करना ज़रूरी है यह उचित नही है लेकिन जिस प्रकार से प्रत्येक शक्ति का महाशक्ति का अधिकार है अथवा उनके माध्यम से वह नियंत्रित है उसी प्रकार से नाना प्रकार की तामसिक शक्तियां माता काली द्वारा नियंत्रित है इसलिए यदि माता महाकाली का साधक पर आशीर्वाद है ऐसे में साधक को तामसिक शक्ति द्वारा क्षति नही पहुचाई जा सकती है.

मूल नियम किसी भी साधना हेतु है - नियंत्रण , स्थिरता , अनुशाशन एवं एकाग्रता यदि आप इनका पालन करेंगे आप किसी भी साधना को पूर्ण कर सकेंगे.

जीवन में कई साधना करने पर व्यक्ति किसी एक साधना में सफल होते हैं लेकिन कल्पना करना और यह सोचना की मैं अपने जीवन में १० - ५० दिन किसी की पूजा की साधना की अब यह उसका कर्तव्य है की वह मुझे दर्शन दे या मेरे सारे काम करे तो ऐसा संभव नही है आपको प्रयास करते रहना है परिणाम मिलते रहेंगे.
1.5K viewsDewanshu, 06:35
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