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ख़बबिस साधना अनुभव :- सर्व प्रथम में श्रीम देवांशु जी और मनीष | Sahaj Kriyayog Sadhna Adhyatmik Trust

ख़बबिस साधना अनुभव :-

सर्व प्रथम में श्रीम देवांशु जी और मनीष जी और मयंक जी को प्रणाम और धन्यवाद करता हु।
में शायद २ साल से संस्था से जुड़ा हूं। मेने बहुत से पोस्ट पढ़े टेलीग्राम ग्रुप में और ज्यादा से ज्यादा पेड़ ग्रुप भी ज्वाइन किए। फिर एक दिन मेने अपनी समस्या देखकर साधना करने का मन बनाया।
जैसे देवांशुजी ने बताया था की अगर कम समय के अंदर कुछ पाना चाहते हो तो तामसिक साधना एवं तंत्र में ही व्यक्ति ज्यादा रुचि रखता है, मेरा भी वो ही हाल था।
शारीरिक, मानसिक और आर्थिक सभी समस्या थी फिर भी देवांशुजी और मनिषजी के मारदर्शन से मेने साधना करने का सोच लिया।
जी हा मेने एक पूर्ण तामसिक साधना की तैयारी की और कैसे भी करके सामग्री मंगवा ली,
प्रथम बार मेरे ज्यादा बोल बोल करने और उतावले स्वभाव के कारण मेने साधना की गुप्तता भंग करदी।
दूसरी बार मेने पूर्ण गुप्तता रखकर साधना की दीक्षा ली और दिए गए मुहूर्त से साधना शुरू की, ये साधना खब्बीस साधना थी।
मेरे पहले दो दिन सामान्य ही रहे थे, जैसे कुछ हुआ ही नहीं, तो मेरे मन में थोड़ा वहम भी था की शायद ये सब जूठ है। पर मेने साधना शुरू रखी। तीसरे दिन शायद आधा माला हुई होगी तब मुझे किसके चिल्लाने की आवाज आई पर मेने आंखे नहीं खोली। ये मेरा प्रथम अनुभव था , फिर मुझे थोड़ा विश्वास हुआ की कुछ तो है। में जहा job करता हु वहा पर भी मुझे किसके होने की भनक लगती रही। ४ दिन जब में साधना कर रहा था तब मुझे लगा की कोई मेरे पास बैठा है और मेरे चहरे के एक दम पास आकर मुझे देख रहा है। पर मेने साधना शुरू रखी और आंख नहीं खोली, पर जब में रात को सोने जा रहा था तब मुझे लगा की किसी ने मुझे पुकारा। पर मुझे मनिष्जी ने कहा था की आपको साधना पे ध्यान देना है अनुभव पे नही, तो मेने वो दिन कुछ हुआ ही नहीं ऐसा सोचकर सो गया।
जब ५ दिन हुआ में हररोज की तरह साधना करने गया तब ४ या ५ बार ही ईलम बोला था उतने में मुझे कुछ अजीब सी आवाजें सुनाई देने लगी पर फिर भी मेने अपनी साधना जारी रखी, जब मेरा जाप पूर्ण होने आया तब मुझे बहुत ही अजीब बदबू आई और आवाजे आनी बंद हो गई। जब में सोने गया तब मुझे ऐसा लगा की मेरे बिस्तर के पास की कुर्सी में कोई बैठा था।
अगले दिन यानी के ६ दिन किसी गुप्त कारण की वजह से मैं अपनी साधना नहीं कर सका और अपनी साधना खंडित कर बैठा। मुझे बहुत अफसोस हुआ की मेरी साधना अधूरी रह गई।
खैर कोई बात नही पर मुझे इस साधना से बहुत कुछ सीखने को मिला है।
में मनीष जी और देवांशुजी का दिल से शुक्रिया अदा करना चाहता हु क्योंकि उनके द्वारा मुझे समय समय पर मार्गदर्शन मिलता रहा। मेरी गलती की वजह से साधना सफल नहीं कर पाया पर सीखने को बहुत कुछ मिला।
और एक बात की आज जब में ऑफिस से निकल रहा था तो मुझे आभास हुआ की शायद खब्बिस मेरे पीछे खड़ा है,पर मेने अनदेखा करके ऑफिस लोक करके घर आ गया, उतना ही नही पर वो ही भनक और आवाज जो साधना के दौरान सुनाई दे रही थी वो आज भी रात को मुझे हुई।
अगर मेरे और से अनुभव लिखने में कोई गलती हुई हो तो माफी चाहता हु पर ये मेरी एक रोमांचक साधना रही है।
में देवांशुजी और मनिषजी और संस्था का शुक्र गुजार हु।