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Sahaj Kriyayog Sadhna Adhyatmik Trust

टेलीग्राम चैनल का लोगो rajyogipk — Sahaj Kriyayog Sadhna Adhyatmik Trust S
टेलीग्राम चैनल का लोगो rajyogipk — Sahaj Kriyayog Sadhna Adhyatmik Trust
चैनल का पता: @rajyogipk
श्रेणियाँ: धर्म
भाषा: हिंदी
देश: भारत
ग्राहकों: 5.22K
चैनल से विवरण

This channel is parallel branch of Adbhut Rajsik Sadhnayen Youtube channel where we will provide you Gupt sadhna's & Dhyaan Gupt mantras..
Direct Message Shreem Dewanshu - @DOccult
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Dewanshu@CM4

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2022-08-29 16:02:46 नमस्कार, अगिया बेताल साधना हेतु संकल्प कबसे दिलवाया जायेगा और क्या इसका शुल्क है ??
धन्यवाद

उत्तर -
सितम्बर माह २०२२ का पेड ग्रुप जबसे बनाया गया उससे पूर्व ही बताया जा चूका है की सितम्बर का के पेड ग्रुप में समस्त साधना निशुल्क है न उसमे किसी साधना सामग्री को आपको संस्था से क्रय करना है न ही दीक्षा का कोई शुल्क है न ही किसी संकल्प का, अब यह किस प्रकार से समझाया जाये मैं समझ नही पा रहा हूँ.

संस्था में संकल्प जैसा विधान नही है लेकिन इस अगिया बेताल साधना में शिव संकल्प लिया जाता है क्यूंकि इन्हें शिव के गण कहा गया है और मनुष्य इसमें किसी प्रकार की गलती से स्वयं को नुक्सान न पंहुचा लें. संकल्प पूर्णत निशुल्क है आप जिस दिन साधना शुरू करेंगे आपको संस्था द्वारा संकल्प दे दिया जायेगा आप उसे पढ़ लें और अपनी साधना शुरू करें.
1.1K viewsDewanshu, 13:02
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2022-08-29 07:35:21 1. मात्र एक बार मंत्र पढ़ने से होगा वशीकरण पूर्णतः परीक्षित।

2. 3 दिन में सिद्ध हुआ अगिया बेताल समान भी कर देगा यहां से वहां और दिखायेगा चमत्कार।

3. ऐसा तंत्र प्रयोग जिससे होगी सभी तरह की किया कराया का 1 दिन में नाश।

4. महामृत्युंजय का सत्य

5. पेशाप करने से सिद्ध होगा इब्लीस

6. कैसे जगाएं अनाहत चक्र

7. जीवन समय कैसे बढ़ायें

8. ब्रह्म राक्षस घर बैठे कैसे होगा सिद्ध ?

9. स्वप्न वाराही किसी के सपने को भी बदल देगी और दिखाएगी आपको भविष्य

10. महाबंध त्रिबंध।

सितम्बर माह 2022 के पेड ग्रुप की अधिकः जानकारी हेतु -






ग्रुप की खासियत किसी भी साधना समाग्री को आपको संस्था से क्रय करने की आवश्यकता नही, निशुल्क साधनाएं।

निर्धारित शुल्क 1280

संपर्क सूत्र मनीष जी @sahajky
1.3K viewsDewanshu, edited  04:35
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2022-08-28 07:05:47 माता महाविद्या हवन -

प्रत्येक रविवार माता महाविद्या हवन संस्था द्वारा साधक कल्याण हेतु किया जाता है साधक निर्धारित शुल्क 155 जमा करके अपना नामंकन करवा सकते हैं।

जिन साधकों के हवन हो रहे हैं वह अपने अनुभव अवश्य भेजे मनीष जी को @sahajky पर।

हवन आज रात्रि 28 अगस्त 2022 को 8 बजे शुरू होगा उससे पूर्व नामांकन करवा लें।

21 अगस्त 2022 - हवन का चित्र
https://t.me/mahavidyahawan/31
1.4K viewsDewanshu, 04:05
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2022-08-27 13:54:23 Namashkar sir mera prashn hain ki kya koi esi apsara sadhna nahi hain jisme apsara ek jivan sathi ke rup me hamare sath rahe aur woh kisiko pata na chalne de ki woh apsara hain aur usme shaktiyan bhi sabhi apsara wali ho?

Kripiya agar hai to us sadhna ke bare main bataein purn mantra aur vidhan sahit . Dhanyawad.

उत्तर -
सर्वप्रथम यहाँ जुड़े सभी साधकों से मेरा अनुरोध है की वह प्रश्नोत्तरी एवं साधना प्रश्नोत्तरी में अंतर समझें प्रत्येक माह एक साधना प्रश्नोत्तरी रहती है जिसमे साधक वह साधनाएं जो सार्वजानिक रूप से दी जा चुकी हैं उन्हें मुझसे प्रश्न के माध्यम से प्राप्त कर सकते हैं दूसरा प्रश्नोत्तरी है जिसमे साधक अपने प्रश्नों का उत्तर प्राप्त कर सकते हैं दोनों के लिए अलग अलग पोस्ट आती हैं इसलिए दोनों को आपस में मिला के खिचड़ी न बनायें यह दोनों अलग इस्लिएय की गयी है जिससे आज से १० वर्ष बाद भी साधक दोनों में अंतर कर सकें और एक साधनाएं साधक एक साथ प्राप्त कर सकें.

कथा अनुसार - घृताची अप्सरा एक ऐसी अद्भुत अप्सरा हैं जो जिनमे जो इच्छाएं अपने प्रकट की है वह सभी उपस्थित हैं यह अप्सरा सिद्ध होने के बाद मनुष्य रूप में आपके साथ रह सकती है और एक स्त्री अथवा पत्नी के सामान आपके साथ जीवन यापन करेंगी जिसमे इनमे अप्सरा की समस्त शक्तियां निहित हैं. घृताची ने पूव भी अनेक संतान को जन्म दिया है इसलिए इससे आप संतान प्राप्ति भी कर सकते हैं और इस अप्सरा की सुन्दरता के विषय मेंअनेक कथाओं में बताया गया है की इन्हें देखने मात्र से भी पुरुषों का वीर्य स्खलित हो जाता था इससे अधिक लिखना मर्यादा के खिलाफ होगा इसलिए यह स्खलन किसका हुआ यह आप पौराणिक कथा में पढ़ सकते हैं.

* यह अप्सरा सौन्दर्य की देवी के सामान है जिसका स्पर्श मनुष्य के जीवन में नवीन ज्योति उत्पन्न कर सकता है साथ ही यह सम्पुर्ण सत्य का ज्ञान रखने वाली है जिससे इसकी सिद्धि अकरने वाला साधक शत प्रतिशत इसी जीवं में मुक्ति को प्राप्त कर सकता है यदि वह घृताची द्वारा दिए गये ज्ञानपथ पर चले.

* महिलाएं इनकी साधना से सौन्दर्य एवं पुष्ट शरीर की प्राप्ति करती हैं और महिला एवं पुरुष निरोगी जीवन यापन कर सकते हैं

* समस्त रोग नाश की विद्या एवं ऐसी प्राकृतिक विधियाँ जिससे मनुष्य अपने जीवन को प्रकृति के साथ योग स्थापित करके दीर्धायु कर सके

* इस साधना को महिला एवं पुरुष अलग अलग शरीरिक लाभ हेतु कर सकते हैं महिलाएं इन्हें एक मित्र के रूप में एवं पुरुष इन्हें पत्नी के रूप में भी प्राप्त कर सकते हैं (इस साधना को विवाहित पुरुष एवं महिलाएं दोनों कर कर सकते हैं)

* घृताची द्वारा माता महाविद्या मातंगी की साधना में अनंत लाभ एवं असंख्य देवी देवता की सिद्धि प्राप्ति में मदद मिलती है लेकिन माता मातंगी की सिद्धि यह अप्सरा अपने साधक को अवश्य करवा सकती है.

* घृताची अपने साधक को सुख, ऐश्वर्य, सत्ता (सट्टा नही), शाशन प्रशाशन, राजनीति एवं सामाजिक स्तर पर लाभ प्रदान करती है.

* अनेक महाऋषियों द्वारा रचित गुप्त विद्याएँ अथवा ज्ञान अपने साधक को प्रदान करती है जिसमे विशेष रूप से बिना गर्भ प्रकृति में वीर्य की सुरक्षा एवं उससे मनुष्य में परिवर्तन का ज्ञान सम्मिलित है - इससे अधिक विस्तार से मैं इस विषय में शब्दों का चयन नही कर सकता हूँ

* घृताची वाम एवं सात्विक दोनों प्रकार से कुण्डलिनी जागरण के सत्य का दर्शन आपके साधक को कराती है

* यह अपने साधक को सूर्य के सामान कीर्ति एवं प्रकाशवान बनाती है

इसके अनेक लाभ हो सकते हैं उनमे से कुछ मुख्य मैंने सार्वजानिक किये हैं.


यह अप्सरा की पूर्ण साधना विधि जिसमे किसी सामग्री दीक्षा आदि की आवश्यकता नही है वह सितम्बर माह २०२२ के पेड ग्रुप में प्रदान की जाएगी इच्छुक साधक ग्रुप से जुड़ सकते हैं अन्य साधना जो सितम्बर माह में प्रदान की जाएगी उसकी पूर्ण जानकारी आप इस विदेप के माध्यम से प्राप्त कर सकते हैं -

1.4K viewsDewanshu, edited  10:54
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2022-08-27 09:48:28 सितम्बर माह २०२२ में निशुल्क जुड़ें -





इस विडियो को पूरा देखें लाइक , शेयर और कमेंट में अपने विचार रखें - कमेंट के आधार पर ३ साधकों का चयन होगा जिन्हें निशुल्क रूप से सितम्बर माह के ग्रुप में जोड़ा जायेगा.

यदि किसी ने व्यक्तिगत रूप से संस्था में बताया की

उन्होंने विडियो में कमेंट किया है अथवा
स्क्रीन शॉट मुझे व्यक्तिगत रूप से भेजा उनका चयन नही होगा.

चयन की प्रक्रिया लोटरी के माध्यम से होगी जिनका नाम भी आएगा उन्हें जोड़ दिया जायेगा.
1.3K viewsDewanshu, 06:48
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2022-08-26 16:23:27 नमस्कार , कृपया करके वैताल या योगनी या यक्षणि की कोई सात्विक साधना देने की कृपा करे हनुमान जी पूजा नहीं छोड़ सकता ,

उत्तर -
ऐसे आप अकेले साधक नही है इस विश्व में जो इस दुविधा में हैं जिन्हें किसी पर भरोसा नही है यदि आप हनुमान जी की पूजा करते हैं आपको इस प्रकार की साधना की आवश्यकता क्यूँ है और यदि आपको यक्षिणी आदि साधना करनी है तो हनुमान जी की पूजा क्यूँ करनी है ?

मनुष्य हमेशा तभी जीवन में कष्ट झेलता है जब वह एक साथ + और - दोनों को जोड़ कर चलना चाहता हैं, हनुमान जी की पूजा से यदि आपको लाभ नही मिल रहा है या तो आप हनुमान जी की पूजा भी सही से नही कर रहे हैं अथवा आप की श्रद्धा में कमी है जिस कारण से आपको फल नही मिल रहा है और श्रद्धा में कमी का ही परिणाम है की आप अन्य साधनाएं करना चाहते हैं वह किसी भी लाभ के लिए क्यूँ न हो.

देखिये ऐसी दुविधा से बाहर आयें की हनुमान जी की पूजा और कोई सात्विक साधना दोनों एक साथ करेंगे तो किसी १ में भी सफलता मिल पायेगी, इसके पीछे का कारण समझने के लिए जो रस निकास के विषय में मैं इस प्रश्न के उत्तर में बताया है वह समझें. https://t.me/rajyogipk/6007

भौतिक रूप से यक्षिणी बेताल हनुमान जी की अधीनता ले सकते हैं लेकिन सिद्धि नही हो सकती है दोनों की एक साथ ऐसी कोई विधि मेरे पास नही है क्यूंकि हनुमान जी की पूजा में मनुष्य क्या क्या करता है मुझे इसकी जानकारी नही है लेकिन राजसिक साधना में हनुमान जी की पूजा मना है अथवा यदि करनी है तो आपको राजसिक विधि से ही करनी होगी उस स्थिति में आप दो राजसिक साधनाएं एक साथ कर सकते हैं.

पूजा पाठ जिसमे न्यास विग्योग आदि होता है यह वैदिक विधि है आज तक मैंने कभी इसके विषय में नही बताया क्यूंकि मुझे शून्य जानकारी है इस विषय में न मैंने कभी इससे सम्बंधित कोई जानकारी प्राप्त की है साथ ही मुझे सात्विक विधि से की जाने वाली किसी भी साधना जो यक्ष यक्षिणी जैसी हों उनकी भी जानकारी नही है आप इसके लिए किसी अन्य मार्गदर्शक से संपर्क करें जिसे इसकी जानकारी हो.
1.5K viewsDewanshu, 13:23
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2022-08-26 11:31:12 नमस्कार
क्या पूर्व जन्म मे की गयी साधनाओ का प्रभाव इस जन्म मे भी रहता है?

क्या कोई ऐसा तरीका है जिससे हम पूर्व जन्म में की गयी साधनाओं से कनेक्ट हो सकें ।

उत्तर -
एक शब्द में यदि उत्तर देना है तो जी अवश्य मिलेगा आपको पूर्व जन्म की गयी साधना का प्रभाव इस जन्म में यदि आप इस जन्म में मुक्त नही होते हैं तो इस जन्म में की गयी साधना का प्रभाव अगले जन्म में और यह भी संभव है की आपको सम्मिलित प्रभाव मिलें.

इसके पीछे का रहस्य समझते हैं - इस रहस्य में मैं कुछ प्रश्न आपके विवेक पर निर्धारित करने के लिए छोड़ दूंगा -

जब भी मनुष्य कुछ भी कर्म करते हैं उसकी छाप कारण शरीर पर पड़ती है और भौतिक शरीर ही बदलते हैं लेकिन कारण शरीर हेमशा एक ही रहता है पहले इसे समझ लेते हैं - मनुष्य की उत्पत्ति में कारण शरीर सूक्ष्म शरीर और भौतिक शरीर हैं

कारण शरीर सूक्ष्म में परिवर्तित होता है और सूक्ष्म भौतिक में - आम भाषा में उर्जा शरीर जो कारण और सूक्ष्म है उसे आत्मा कह देते हैं. यदि आपको इना समझ में आ गया है इसके बाद अब समझिये भौतिक शरीर द्वारा कुछ भी कर्म किये गये हैं अब वह गलत हैं यह सही इसे मनुष्य अलग अलग आधार पर निर्धारित करेंगे लेकिन भक्ति पूजा साधना इनका भी प्रभाव कारण शरीर पर पड़ता है जिस प्रकार से मनुष्य अपने पिछले जीवन के कर्म इस जन्म में भोगता है उसी प्रकार से मनुष्य अपने पिछले जन्म की साधना का लाभ भी इस जन्म में भोगेगा. इसलिए आप जो भी साधना करते हैं अथवा जो भी भक्ति करते हैं उसका लाभ अवश्य मिलता है अब यह किस प्रकार से जीवन चक्र में मिलता है इसे समझाने में तो पूरी किताब लिखनी पड़ेगी लेकिन कम शब्दों में आप यह समझ लीजिये आपकी की गयी भक्ति जीवन चक्र में लाभ देने में कुछ वर्ष का समय ले सकती है लेकिन साधना उसी भक्ति को कम समय में परिवर्तित कर सकती है. इसका अर्थ यह नही है की भक्ति की सिद्धि साधना से ही प्राप्त होगी भक्ति उसी प्रकार से जैसे मनुष्य को अपने घर से २०० किलोमीटर दूर जाना है वह शांति से धीरे धीरे प्रकृति का नांद लेता हुआ जाये शांत मन और चित्त से और साधना का अर्थ है की वह हवाई जहाज़ से जाये एक ही स्थान पर पहुच तो जायेंगे लेकिन कुछ अंतर रहेगा. खैर.

पूर्व जन्म में की गयी साधना अथवा भक्ति के फल आपको स्वतः मिल सकते हैं लेकिन ऐसी कुछ साधनाएं होती है जिससे आप उन भक्ति के फल को इस जन्म में शीघ्र प्राप्त कर सकते हैं जैसे - काल चक्र भेदन साधना आदि आदि.

साधक ऐसी साधना को करने से पूर्व काया क्रमवीक्षण करवा के यह जान सकते हैं की सच में पूर्व जन्म से कोई भक्ति अथवा साधना का लाभ आप अपने साथ लेके आये हैं या नही वह अत्यंत आवश्यक है उसके बाद ही कुछ ऐसा करें.


मेरा आप सभी कर्म के विषय में प्रश्न है जो भी इसका सही उत्तर देगा उसे मेरे द्वारा प्रत्यक्ष लखनऊ आश्रम में क्रिया की शिक्षा दी जाएगी -

यदि कोई व्यक्ति हत्या करता है उसके कर्म पर क्या प्रभाव पड़ेगा?

हत्या यदि किसी पुलिस ऑफिसर द्वारा की गयी है,
किसी जल्लाद द्वारा की गयी है
किसी सामान्य मनुष्य द्वारा की गयी है

क्या तीनो पर कर्म का एक ही प्रभाव पड़ेगा ?

इसी प्रश्न को उल्टा ले सकता है यदि कोई अकाल मृत्यु को प्राप्त होता है वह एक अतानक कर रहा है एक देश की रक्षा कर रहा है ऐसे में किसे अतृप्तता में भटकना होगा ?

उत्तर पूर्ण आध्यत्मिक व्याख्या के अनुसार होना चाहिए न की समाज के अनुसार समाज के अनुसार हम सब सविधान के दायरे में हैं जो पूर्व लिखित है की किस गलती की क्या सजा मिलेगी.

उत्तर देने हेतु आप मुझे व्यक्तिगत रूप से @doccult पर मेसेज कर सकते हैं.
1.5K viewsDewanshu, 08:31
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2022-08-26 10:54:45 विश्वेश्वरी साधना के जाप पूर्ण होने के बाद देवी हमें ज्ञान किस प्रकार प्रदान करती हैं। प्रत्यक्ष होकर या मानसिक रूप से। ये साधक से किस प्रकार जुड़ती है।

उत्तर - देवी विश्वेश्वरी साधना -

ज्ञान
और सूचना में अंतर है प्रत्यक्ष होके यदि कोई शब्दों के माध्यम से आपको कुछ बताएगा वह सूचना है ज्ञान नही और देवी के माध्यम से ज्ञान की प्राप्ति होती है जो की आन्तरिक रूप से होती है. देवी प्रत्यक्ष हो सकती हैं लेकिन उस स्थिति में भी ज्ञान आपको आन्तरिक ज्ञानमय कोष से प्राप्त होता न की शब्दों में.

शक्ति के साथ भाषा - दैवीय शकित्यों की कोई भाषा नही हो सकती है शक्तियां अधिकतर आपको ज्ञान काल चक्र के अनुसार प्रदान करती हैं उदाहरण हेतु आपको यह जानना है की शरीर में जीवन कैसे आता है तो आपको यह ज्ञान भौतिक शरीर से पूर्व कारण शरीर से भौतिक शरीर में जीवन आने की पूर्ण प्रक्रिया से प्राप्त होगा और वह आपको एक चल चित्र जैसा महसूस होगा.

देवी विश्वेश्वरी के माध्यम से आप नाना प्रकार का ज्ञान प्राप्त कर सकते हैं सृष्टि, तंत्र, मंत्र आदि से सम्बन्धित लेकिन समस्त ज्ञान को शब्दों में पिरोना आपकी अपनी बुद्धि एवं विवेक पर निर्भर करता है.

शक्ति का प्रत्यक्षीकरण - मनुष्य एक निर्धारित उर्जा पर कार्य करता है और शक्तियों की अपनी उर्जा है जिसमे वह रहती हैं जब मनुष्य की उर्जा उस उर्जा के बराबर हो जाती है वह मंत्र जप से हो या ध्यान से उस स्ठिती में वह शक्ति के दर्शन कर लेता है इसीलिए यह कहा जाता है की हमेशा अपनी उर्जा से अधिक उर्जा की शकित्यों को प्रत्यक्ष करना उचित है क्यूंकि वह मोक्ष का मार्ग खोलती है.

यदि निम्नलिखित भाग नही समझ में आता है उसके लिए साधक चिंतित न हों

उदाहरण हेतु -
मान लीजिये की आन्तरिक शरीर की उर्जा की यूनिट को हम "Q" मान लेते हैं , अर्थात जब आप कुछ नही कर रहे हैं तब आपके शरीर की उर्जा है Q लेकिन यह उर्जा 100Q तक जा सकती है (विभिन्न क्रिया के माध्यम से) जो की निराकार की उर्जा है और जिस शक्ति को आप प्रत्यक्ष करना चाहते हैं उसकी उर्जा की शक्ति है 6Q अर्थात जब आपकी शरीर की उर्जा 6Q होगी उस समय आप Q से 6 Q के बीच जितनी भी शक्तियाँ हैं उन्हें आप देख सकेंगे. अब 6Q तक जाने के लिए आपको मन्त्र जप एवं ध्यान करना है आप इसे १ दिन में भी प्राप्त कर सकते हैं और १ वर्ष में भी यह अब पूर्ण रूप आपके अनुशाशन, नियंत्रण एवं एकाग्रता पर निर्भर करता है.
1.4K viewsDewanshu, 07:54
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2022-08-26 10:40:30 नमस्कार देवांशू जी
तंत्र श्रे्त्र मे नया होने की वजह से मेरा यह सवाल हे की जेसे अगर एक व्यक्ती किसी शक्ती की साधना करता है तो अगर वह सात्विक साधना करता हे तो ऐसा व्यक्ति राजसिक शक्ती तथा तामसिक शक्ती की भी सिद्धी कर सकता हे?
उदाहरण के तौर पर अगर वह किसी काम के लिए राजसिक साधना की सिद्धी करता हे ओर फिर भविष्य मे किसी विशेष काम के लिए वह सात्विक साधना करता है
ओर यदी ऐसा हो सकता है तो अंदरूनी ऊर्जा मे इसका क्या असर होगा?
धन्यवाद

उत्तर -
ऐसे प्रश्न यह साबित करते हैं की साधक की सीखने में रूचि है और वह कांसेप्ट समझना चाहते हैं और एक बार कांसेप्ट समझ में आ गया तो साधक आसानी से साधना कर सकते हैं जीवन में कभी भी -

देखिये उर्जा को समझने से पूर्व आपको कुछ चीज़े काल्पनिक तरह से समझनी होगी और इसी के आधार पर निर्णय करना होगा - जब भी मनुष्य किसी भी मंत्र का जप करते हैं उस समय शरीर में नाड़ीयों में रक रस उत्पन्न होता है जहाँ जहां चक्र होते हैं उस मंत्र से सम्बन्धित वहां चक्र के माध्यम से रस उत्पन्न होता है जब आप कोई भी साधना सिद्ध कर लेते हैं उस रस की उत्पत्ति समाप्त हो जाती है और पुनः उर्जा शरीर सामान्य हो जाता है और यदि सिद्धि बीच में खंडित होती है तो वह रस वहीं रहता है उसे स्वयं से समाप्त होने में ६ से ८ माह लग सकते हैं. अब यहाँ से समझें यदि आप साधना सिद्ध कर चुके हैं तो आप नयी साधना प्रथम साधना की सिद्धि के बाद कभी भी शुरू कर सकते हैं और यदि सिद्धि खंडित हुई है ऐसी स्थिति में आपको ६ से ८ माह इंतज़ार करना चाहिए. और यदि इंतज़ार नही करते हैं और नयी साधना करने लगते हैं तो अनेक प्रकार के रस शरीर में उत्पन्न हो जायेंगे जो हमेशा की दोष निर्माण करेंगे और साधना सफल नही होने देंगे

उपाय - यदि साधक ६ से ८ माह इंतज़ार नही करते हैं -

१. शोधन क्रिया -
इस क्रिया को ४० दिन लगातार करने से शरीर में उप्तन्न संस्त रस का एक साथ नाश होता है - क्रिया को ऐसे लिख के सिखा पाना मुश्किल है इसलिए इसे सीखने के लिए आपको किसी शिविर अथवा रविवार को लखनऊ आश्रम आना होगा.

२. सिद्ध मध्य सेवन - २१ दिवस तक सप्त चक्र सिद्ध मद्य के सेवन से यह उर्जा शरीर में उत्पन्न रस का नाश होता है.

३. योगनिद्रा - प्रति दिवस यदि योगनिद्रा का अभ्यास ४० दिवस तक करेंगे ऐसे में भी आपको इसका लाभ मिलेगा.

तंत्र एवं योग आपस में योग स्थापित करते हैं दोनों एक दुसरे के बिना संभव नही हैं.
1.3K viewsDewanshu, 07:40
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2022-08-26 10:24:14 प्रणाम योगी जी
आपसे एक बात पूछनी थी की सब वली संत फकीरों ने एक मालिक, एक खुदा, एक रब या एक भगवान की ही सेवा भगति की है। सब संतो फकीरों ने भी कहा के सबका मालिक एक ही है। तो गुरू जी उस एक मालिक की सेवा भगति के लिए क्या करना चाहिए, के उसका आशीर्वाद मिले।
क्या गुरुमंत्र मालिक से मिलाप करवा सकता है

उत्तर -
कई बार कटु वाक्य सहयाद मनुष्य जो बेहतर समझने में लाभ दे सकते हैं, आज से पूर्व कम से कम मैंने गुरु की सत्यता के विषय में १०० बार बताया होगा लेकिन मनुष्य वर्तमान समय में सिर्फ सूचना के आधार पर जीवन यापन कर रहे हैं कोई नवीनता नही है जीवन में किसी संत ने ये कहा फ़कीर ने ये कहा ऋषि ने ये कहा ये सूचनाएँ सिर्फ अनेक ऑनलाइन सुनते और विडियो के माध्यम से देखते हैं लेकिन कभी स्वयं से कुछ जांच पड़ताल नही करते हैं की सच में कहा है या नही कहा है तो कहाँ कहा है बस भेड़ चाल में चलते रहते हैं इसी का कारण है की मनुष्य आज के समय में दुःख को प्राप्त करते हैं.

सनातन संस्कृति जिसमे मनुष्य के गोत्र के अनुसार देवी देवता कुल देवी देवता ग्राम देता स्थान देवता अथवा देवी प्रत्येक शरीर पर उपस्थित देवता आधारित हैं मनुष्य उन महा ऋषियों की कही गयी बातों को न समझते हुए न उनकी लेखनी का अध्ययन करते हुए वेड उपनिषद इनका शिक्षा प्राप्त न करते हुए बस ४ लाइन अथवा २ मिनट का विडियो सुन के देख के धारणा बना लेता है की इश्वर क्या है !

सर्वप्रथम यह समझें गुरु आध्यात्म में आज्ञा चक्र को कहते हैं और उसी के आधार पर मनुष्य अपने जीवन में नाना प्रकार की योगिक क्रिया से उस सत्य को जान पाता है - निराकार की सत्यता क्या है और निरकार ही सभी में साकार रूप से उपलब्ध हैं और यह जीवन ही पुनः साकार से निराकार की और जाने का है और निराकार की ओर जाने का पथ सिर्फ मन्त्र से नही जा सकता है, इसमें मन्त्र से कुछ लाभ अवश्य मिल सकता है लेकिन सिर्फ मन्त्र काफी नही है जिन संत ने इसके विषय में बताया है उन्होंने अपनी वर्षों की तपस्या का अंत बताया है आपको अपने जीवन का हर एक दिन नही बताया है.

संस्था से यदि आप गुरु मंत्र की इच्छा करते हैं संस्था में किसी प्रकार से गुरु मंत्र नही दिए जाते हैं आप महा वतार बाबा जी का मन्त्र जप कर सकते हैं - ॐ क्रिया बाबा जी नमः ॐ

क्या इस मन्त्र के जप से मनुष्य निरकार की सत्यता को जान पायेगा नही उसके लिए योग आवश्यक है क्रियायोग ध्यान का अभ्यास करें प्रत्येक माह पेड ग्रुप में क्रियायोग ध्यान एवं योगनिद्रा के विषय में जानकारी दी जाती है अथवा आप किसी भी आगामी शिविर में आके प्रत्यक्ष रूप से सीख सकते हैं.

अथवा साधक निशुल्क रूप से प्रत्येक रविवार दुपहर १ बजे से शाम ६ बजे के बीच आके सीख सकते हैं लखनऊ आश्रम अथवा कार्यालय में.
1.3K viewsDewanshu, 07:24
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