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*त्रिस्पर्षा महाद्वादशी इस वर्ष 27 फरवरी 2022 को तथा इसका महत् | Shri Rajendra Das ji Maharaj, Malook Peeth Vrindavan

*त्रिस्पर्षा महाद्वादशी इस वर्ष 27 फरवरी 2022 को तथा इसका महत्व*

*‘पद्म पुराण’ में, देवऋषि नारदजी भगवान शिव से निवेदन करते हैं: “हे सर्वशक्तिमान! कृपया त्रिस्पर्षा एकादशी के व्रत का वर्णन करें, जिसे सुनकर कोई भी इस संसार से अंतिम मुक्ति प्राप्त करता है.”*

*इस दिन उपवास रखना, यहां तक कि उस व्यक्ति को भी मोक्ष प्रदान कर सकता है जो संत की हत्या का दोषी है. हजार अश्वमेघ संस्कार और सौ वाजपेयी संस्कार करने का पुण्य प्रदान करता है. जो इस व्रत को करता है, वह अपने पिता के वंश, माता के वंश और पत्नी के वंश के साथ विष्णु लोक में स्थापित होता है. इस व्रत के दौरान हर किसी को 12 अक्षर मंत्र (ॐ नमो भगवते वासुदेवाय) का पाठ करना चाहिए. जो इस व्रत को करता है, वह सभी धार्मिक व्रतों के फल का भोगी बन जाता है.*

त्रिस्पर्षा एकादशी की पूजा विधि
*त्रिस्पर्षा एकादशी के दिन सुबह सुबह जल्दी स्नान करके साफ़ वस्त्र धारण करना चाहिए.*
*प्रातः काल भगवान विष्णु और देवी लक्ष्मी की पूजा करनी चाहिए.*
*इस दिन उपवास करने की परंपरा हैं. भोजन में परिवार के किसी भी सदस्य को चावल और ज्यो का सेवन नहीं करना चाहिए.*
*यदि निर्जला उपवास करने में सक्षम हो, तो आंशिक उपवास भी कर सकते हैं.*
*उपवास समाप्त होने पर द्वादशी पर ब्राह्मण भोज करवाना चाहिए या इसके स्थान पर कुछ दान करना चाहिए. त्रिस्पर्षा एकादशी व्रत एक हजार एकादशी के उपवास के बराबर पुण्य प्रदान कर सकती है. जो बारहवें दिन अपने व्रत को पूरा करता है उसे बहुत लाभ प्राप्त होता है. जो एकादशी की रात को जागता है, वह भगवान नारायण के ज्ञानवर्धक रूप में पुण्य प्राप्त करता है.*

* मलूकपीठ वृन्दावन*