Get Mystery Box with random crypto!

'जिस रस में कीड़े पड़ते हों, उस रस पर विष हँस - हँस डालो;' | प्रेरक सूक्तियाँ

"जिस रस में
कीड़े पड़ते हों,
उस रस पर विष
हँस - हँस डालो;"

- माखनलाल जी ‘चतुर्वेदी’, भारतीय कवि
Makhanlal Ji Chaturvedi |
संदर्भ:– ‘अमर–राष्ट्र’ नामक कविता से उद्धृत
प्रेषक:- आशीष सारस्वत जी (ग्रुप सदस्य)