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'मृत्यु जब तक कल्पना की वस्तु रहती है, तब तक चाहे उसका जितना प | प्रेरक सूक्तियाँ

"मृत्यु जब तक कल्पना की वस्तु रहती है, तब तक चाहे उसका जितना प्रत्याख्यान कर लिया जाय; परन्तु यदि वह सामने हो?"
- जयशंकर प्रसाद, साहित्यकार
Jayshankar Prasad | #Kalpana
प्रेषक:- आशीष सारस्वत जी (ग्रुप सदस्य)