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प्रशासक समिति जय सत्य सनातन आज की हिंदी तिथि युगाब | प्रशासक समिति हिन्दी चैनल

प्रशासक समिति

जय सत्य सनातन

आज की हिंदी तिथि

युगाब्द-५१२५
विक्रम संवत-२०८०
तिथि - सप्तमी दोपहर 02:01 तक तत्पश्चात अष्टमी
https://www.prashasaksamiti.com/2023/06/panchang_9.html

दिनांक - 10 जून 2023
दिन - शनिवार
विक्रम संवत् - 2080
शक संवत् - 1945
अयन - उत्तरायण
ऋतु - ग्रीष्म
मास - आषाढ़ (गुजरात, महाराष्ट्र में ज्येष्ठ)
पक्ष - कृष्ण
नक्षत्र - शतभिषा दोपहर 03:39 तक तत्पश्चात पूर्वभाद्रपद
योग - विष्कम्भ दोपहर 12:49 तक तत्पश्चात प्रीति
राहु काल - सुबह 09:16 से 10:58 तक
सूर्योदय - 05:53
सूर्यास्त - 07:25
दिशा शूल - पूर्व दिशा में
ब्राह्ममुहूर्त - प्रातः 04:30 से 05:12 तक
निशिता मुहूर्त - रात्रि 12:18 से 01:00 तक
व्रत पर्व विवरण -
विशेष - सप्तमी को ताड़ का फल खाया जाय तो वह रोग बढ़ानेवाला तथा शरीर का नाशक होता है । अष्टमी को नारियल का फल खाने से बुद्धि का नाश होता है । (ब्रह्मवैवर्त पुराण, ब्रह्म खंडः 27.29-34)

लसोड़ा ( गोंदी ) सेवन से स्वास्थ्य लाभ

लसोड़ा को हिन्दी में गोंदी, गोंदे और निसोरा भी कहते हैं । यह मधुर, कसैला, शीतल, कृमिनाशक, विषनाशक, बालों के लिए हितकारी, अग्निवर्द्धक, वातशामक, पाचक, कफ निकालनेवाला, अतिसार व जलन दूर करनेवाला, दर्द और सब प्रकार के विष को नष्ट करनेवाला होता है ।

इसमें प्रोटीन, कार्बोहाइड्रेट, वसा, फाइबर, आयरन, फॉस्फोरस व कैल्शियम मौजूद होते हैं । यह हड्डियों को मजबूत बनाता है और शरीर को कई अन्य बीमारियों से राहत देता है । कच्चे लसोड़े का साग और अचार भी बनाया जाता है ।

लसोड़े के औषधीय उपचार

अतिसार : लसोड़े की छाल को पानी में घिसकर पिलाने से अतिसार ठीक होता है ।

हैजा (कालरा) : लसोडे़ की छाल को चने की छाल में पीसकर हैजा के रोगी को पिलाने से हैजा रोग में लाभ होता है ।

दांतों का दर्द : लसोड़े की छाल का काढ़ा बनाकर उस काढ़े से कुल्ला करने से दांतों का दर्द दूर होता है ।

शक्तिवर्द्धक : लसोड़े के फलों को सुखाकर उनका चूर्ण बना लें । इस चूर्ण को चीनी की चाशनी में मिलाकर लड्डू बना लें । इसको खाने से शरीर मोटा होता है और कमर मजबूत जाती है ।

शोथ (सूजन) : लसौड़े की छाल को पीसकर उसका लेप आंखों पर लगाने से आंखों के शीतला के दर्द में आराम मिलता है ।

पुनरावर्तक ज्वर : लसोड़ा की छाल का काढ़ा बनाकर 20 से लेकर 40 मिलीलीटर को सुबह और शाम सेवन करने से लाभ होता है ।

प्रदर रोग : लसोड़ा के कोमल पत्तों को पीसकर रस निकालकर पीने से प्रदर रोग और प्रमेह दोनों मिट जाते हैं ।

दाद : लसोड़ा के बीजों की मज्जा को पीसकर दाद पर लगाने से दाद मिट जाता है ।

फोड़े-फुंसियां : लसोड़े के पत्तों की पोटली बनाकर फुंसियों पर बांधने से फुंसिया जल्दी ही ठीक हो जाती हैं ।

गले के रोग : लसोड़े की छाल के काढ़े से कुल्ला करने से गले के सारे रोग ठीक हो जाते हैं ।

नोट: इसका स्वभाव शीतल होता है । लसोड़ा का अधिक मात्रा में उपयोग मेदा (आमाशय) और जिगर के लिए हानिकारक हो सकता है ।

शनिवार के दिन विशेष प्रयोग

शनिवार के दिन पीपल के वृक्ष का दोनों हाथों से स्पर्श करते हुए 'ॐ नमः शिवाय' मंत्र का 108 बार जप करने से दुःख, कठिनाई एवं ग्रहदोषों का प्रभाव शांत हो जाता है । (ब्रह्म पुराण)

हर शनिवार को पीपल की जड़ में जल चढ़ाने और दीपक जलाने से अनेक प्रकार के कष्टों का निवारण होता है । (पद्म पुराण)

आर्थिक कष्ट निवारण हेतु

एक लोटे में जल, दूध, गुड़ और काले तिल मिलाकर हर शनिवार को पीपल के मूल में चढ़ाने तथा ‘ॐ नमो भगवते वासुदेवाय' मंत्र जपते हुए पीपल की ७ बार परिक्रमा करने से आर्थिक कष्ट दूर होता है ।

जय श्री राम
  हिन्दू राष्ट्र भारत

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