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Positive Motivation

टेलीग्राम चैनल का लोगो positive_motivation — Positive Motivation P
टेलीग्राम चैनल का लोगो positive_motivation — Positive Motivation
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अच्छी बातें, अच्छे विचार और अच्छे संस्कार!!
ये हैं सफलता के मंत्र अपार!!
👉 खुद से वादा
👉 मेहनत ज्यादा
👉 मजबूत इरादा
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नवीनतम संदेश 5

2022-02-02 07:23:48
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2022-02-02 07:23:43
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2022-01-25 05:56:48
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2021-10-12 04:53:35 परिवार को मालिक बनकर नही,
बल्कि माली बनकर संभाले,
जो ध्यान तो सबका रखता है लेकिन
अधिकार किसी पर भी नही जताता हैं ।
271 views01:53
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2021-10-05 07:43:23
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2021-10-05 07:42:16
किसी के साथ टाइम वेस्ट
करने से अच्छा है, वो टाइम अपने
सपने को पूरा करने में इन्वेस्ट करो .


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2021-09-28 14:36:16 झूठा सुख...

एक बार एक नदी में हाथी की लाश बही जा रही थी। एक कौए ने लाश देखी, तो प्रसन्न हो उठा, तुरन्त उस पर आ बैठा। यथेष्ट मांस खाया। नदी का जल पिया। उस लाश पर इधर-उधर फुदकते हुए कौए ने परम तृप्ति की डकार ली।
वह सोचने लगा, अहा ! यह तो अत्यन्त सुन्दर यान है, यहाँ भोजन और जल की भी कमी नहीं। फिर इसे छोड़कर अन्यत्र क्यों भटकता फिरूँ ? कौआ नदी के साथ बहने वाली उस लाश के ऊपर कई दिनों तक रमता रहा। भूख लगने पर वह लाश को नोचकर खा लेता, प्यास लगने पर नदी का पानी पी लेता। अगाध जलराशि, उसका तेज प्रवाह, किनारे पर दूर-दूर तक फैले प्रकृति के मनोहरी दृश्य-इन्हें देख-देखकर वह विभोर होता रहा।
नदी एक दिन आखिर महासागर में मिली। वह मुदित थी कि उसे अपना गंतव्य प्राप्त हुआ। सागर से मिलना ही उसका चरम लक्ष्य था, किन्तु उस दिन लक्ष्यहीन कौए की तो बड़ी दुर्गति हो गई। चार दिन की मौज-मस्ती ने उसे ऐसी जगह ला पटका था, जहाँ उसके लिए न भोजन था, न पेयजल और न ही कोई आश्रय। सब ओर सीमाहीन अनंत खारी जल-राशि तरंगायित हो रही थी।
कौआ थका-हारा और भूखा-प्यासा कुछ दिन तक तो चारों दिशाओं में पंख फटकारता रहा, अपनी छिछली और टेढ़ी-मेढ़ी उड़ानों से झूठा रौब फैलाता रहा, किन्तु महासागर का ओर-छोर उसे कहीं नजर नहीं आया। आखिरकार थककर, दुख से कातर होकर वह सागर की उन्हीं गगनचुंबी लहरों में गिर गया। एक विशाल मगरमच्छ उसे निगल गया।

शारीरिक सुख में लिप्त मनुष्यों की भी गति उसी कौए की तरह होती है, जो आहार और आश्रय को ही परम गति मानते हैं और अंत में अनन्त संसार रूपी सागर में समा जाते है।

जीत किसके लिए, हार किसके लिए,
ज़िंदगी भर ये तकरार किसके लिए।
जो भी आया है वो जायेगा एक दिन,
फिर ये इतना अहंकार किसके लिए॥
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2021-09-24 19:09:44 जैसे जैसे मेरी उम्र में वृद्धि होती गई, मुझे समझ आती गई कि अगर मैं Rs. 300 की घड़ी पहनूं या Rs. 30000 की, दोनों समय एक जैसा ही बताएंगी।

मेरे पास Rs. 300 का बैग हो या Rs. 30000 का, इसके अंदर के सामान में कोई परिवर्तन नहीं होंगा।

मैं 300 गज के मकान में रहूं या 3000 गज के मकान में, तन्हाई का एहसास एक जैसा ही होगा।

आख़िर में मुझे यह भी पता चला कि यदि मैं बिजनेस क्लास में यात्रा करूं या इक्नामी क्लास में, अपनी मंजिल पर उसी नियत समय पर ही पहुँचूँगा।

इसीलिए, अपने बच्चों को बहुत ज्यादा अमीर होने के लिए प्रोत्साहित मत करो बल्कि उन्हें यह सिखाओ कि वे खुश कैसे रह सकते हैं और जब बड़े हों, तो चीजों के महत्व को देखें, उसकी कीमत को नहीं।

फ्रांस के एक वाणिज्य मंत्री का कहना था -

ब्रांडेड चीजें व्यापारिक दुनिया का सबसे बड़ा झूठ होती हैं, जिनका असल उद्देश्य तो अमीरों की जेब से पैसा निकालना होता है, लेकिन गरीब और मध्यम वर्ग लोग इससे बहुत ज्यादा प्रभावित होते हैं।

क्या यह आवश्यक है कि मैं Iphone लेकर चलूं फिरू, ताकि लोग मुझे बुद्धिमान और समझदार मानें??

क्या यह आवश्यक है कि मैं रोजाना Mac'd या KFC में खाऊँ ताकि लोग यह न समझें कि मैं कंजूस हूँ??

क्या यह आवश्यक है कि मैं प्रतिदिन Friends के साथ उठक-बैठक Downtown Cafe पर जाकर लगाया करूँ, ताकि लोग यह समझें कि मैं एक रईस परिवार से हूँ??

क्या यह आवश्यक है कि मैं Gucci, Lacoste, Adidas या Nike का ही पहनूं ताकि High Status वाला कहलाया जाऊँ??

क्या यह आवश्यक है कि मैं अपनी हर बात में दो चार अंग्रेजी शब्द शामिल करूँ ताकि सभ्य कहलाऊं??

क्या यह आवश्यक है कि मैं Adele या Rihanna को सुनूँ ताकि साबित कर सकूँ कि मैं विकसित हो चुका हूँ??

नहीं दोस्तों !!!

मेरे कपड़े तो आम दुकानों से खरीदे हुए होते हैं।
Friends के साथ किसी ढाबे पर भी बैठ जाता हूँ।

भूख लगे तो किसी ठेले से ले कर खाने में भी कोई अपमान नहीं समझता।

अपनी सीधी सादी भाषा में बोलता हूँ।

चाहूँ तो वह सब कर सकता हूँ जो ऊपर लिखा है।

लेकिन,

मैंने ऐसे लोग भी देखे हैं जो एक Branded जूतों की जोड़ी की कीमत में पूरे सप्ताह भर का राशन ले सकते हैं।

मैंने ऐसे परिवार भी देखे हैं जो मेरे एक Mac'd के बर्गर की कीमत में सारे घर का खाना बना सकते हैं।

बस मैंने यहाँ यह रहस्य पाया है कि बहुत सारा पैसा ही सब कुछ नहीं है, जो लोग किसी की बाहरी हालत से उसकी कीमत लगाते हैं, वह तुरंत अपना इलाज करवाएं।

मानव मूल की असली कीमत उसकी नैतिकता, व्यवहार, मेलजोल का तरीका, सहानुभूति और भाईचारा है, ना कि उसकी मौजूदा शक्ल और सूरत।

सूर्यास्त के समय एक बार सूर्य ने सबसे पूछा, मेरी अनुपस्थिति में मेरी जगह कौन कार्य करेगा??

समस्त विश्व में सन्नाटा छा गया। किसी के पास कोई उत्तर नहीं था। तभी कोने से एक आवाज आई।

दिये ने कहा - "मै हूं ना" मैं अपना पूरा प्रयास करुंगा।

आपकी सोच में ताकत और चमक होनी चाहिए। छोटा-बड़ा होने से फर्क नहीं पड़ता, सोच बड़ी होनी चाहिए। मन के भीतर एक दीप जलाएं और सदा मुस्कुराते रहें।
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2021-08-12 14:47:42 लक्ष्य प्राप्ति की राह
एक किसान के घर एक दिन उसका कोई परिचित मिलने आया। उस समय वह घर पर नहीं था।

उसकी पत्नी ने कहा: वह खेत पर गए हैं। मैं बच्चे को बुलाने के लिए भेजती हूं। तब तक आप इंतजार करें।

कुछ ही देर में किसान खेत से अपने घर आ पहुंचा। उसके साथ-साथ उसका पालतू कुत्ता भी आया।

कुत्ता जोरों से हांफ रहा था। उसकी यह हालत देख, मिलने आए व्यक्ति ने किसान से पूछा... क्या तुम्हारा खेत बहुत दूर है ?

किसान ने कहा: नहीं, पास ही है। लेकिन आप ऐसा क्यों पूछ रहे हैं ?

उस व्यक्ति ने कहा: मुझे यह देखकर आश्चर्य हो रहा है कि तुम और तुम्हारा कुत्ता दोनों साथ-साथ आए...

लेकिन तुम्हारे चेहरे पर रंच मात्र थकान नहीं जबकि कुत्ता बुरी तरह से हांफ रहा है।

किसान ने कहा: मैं और कुत्ता एक ही रास्ते से घर आए हैं। मेरा खेत भी कोई खास दूर नहीं है। मैं थका नहीं हूं। मेरा कुत्ता थक गया है।

इसका कारण यह है कि मैं सीधे रास्ते से चलकर घर आया हूं, मगर कुत्ता अपनी आदत से मजबूर है।

वह आसपास दूसरे कुत्ते देखकर उनको भगाने के लिए उसके पीछे दौड़ता था और भौंकता हुआ वापस मेरे पास आ जाता था।

फिर जैसे ही उसे और कोई कुत्ता नजर आता, वह उसके पीछे दौड़ने लगता।

अपनी आदत के अनुसार उसका यह क्रम रास्ते भर जारी रहा। इसलिए वह थक गया है।

देखा जाए तो यही स्थिति आज के इंसान की भी है।

जीवन के लक्ष्य तक पहुंचना यूं तो कठिन नहीं है, लेकिन राह में मिलने वाले कुत्ते, व्यक्ति को उसके जीवन की सीधी और सरल राह से भटका रहे हैं।

इंसान अपने लक्ष्य से भटक रहा है और यह भटकाव ही इंसान को थका रहा है।

यह लक्ष्य प्राप्ति में सबसे बड़ी बाधा है। आपकी ऊर्जा को रास्ते में मिलने वाले कुत्ते बर्बाद करते है।

भौंकने दो इन कुत्तो को और लक्ष्य प्राप्ति की दिशा में सीधे बढ़ते रहो.. फिर एक ना एक दिन मंजिल मिल ही जाएगी।

लेकिन इनके चक्कर में पड़ोगे तो थक ही जाओगे। अब ये आपको सोचना है कि किसान की तरह सीधी राह चलना है या उसके कुत्ते की तरह।

सफलता के लिए सही समय कि नहीं,सही निर्णय की जरूरत होती है।

प्रेम दुर्लभ है उसे पकड़ कर रखें, क्रोध बहुत खराब है, उसे दबाकर रखें। भय बहुत भयानक है, उसका सामना करें, स्मृतियाँ बहुत सुखद है उन्हें संजोकर रखें।
सदैव प्रसन्न रहिये।
जो प्राप्त है, पर्याप्त है।।

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2021-08-12 14:44:40 ज़िन्दगी में जो भी करना है
खुदा के भरोसे और
अपने दम पर कीजिए,
लोगों के भरोसे पर नहीं क्योंकि,
लोग कंधो पर तब ही उठाते हैं
जब मिट्टी में मिलाना हो।

@Positive_Motivation
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