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g के मान में परिवर्तन: i) पृथ्वी की सतह से ऊपर या नीचे जाने पर | Math#Science#Reasoning#Tet#Ctet#Supertet.com

g के मान में परिवर्तन:
i) पृथ्वी की सतह से ऊपर या नीचे जाने पर g का मान घटता है।
ii) 'g' का मान महत्तम पृथ्वी के ध्रुव (pole) पर होता है।
iii) 'g' का मान न्यूनतम विषुवत रेखा (equator) पर होता है.
iv) पृथ्वी की घूर्णन गति बढ़ने पर 'g' का मान कम हो जाता है।
v) पृथ्वी की घूर्णन गति घटने पर 'g' का मान बढ़ जाता है।

नोट: यदि पृथ्वी अपनी वर्तमान कोणीय चाल से 17 गुनी अधिक चाल से घूमने लगे तो भूमध्य रेखा पर रखी हुई वस्तु का भार शून्य हो जाएगा

लिफ्ट में पिंड का भार (weight of a body in lift):
i) जब लिफ्ट ऊपर की ओर जाती है तो लिफ्ट में स्थित पिंड का भार बढ़ा हुआ प्रतीत होता है।
ii) जब लिफ्ट नीचे की ओर जाती है तो लिफ्ट में स्थित पिंड का भार घटा हुआ प्रतीत होता है।
iii) जब लिफ्ट एक समान वेग से ऊपर या नीचे गति करती है, तो लिफ्ट में स्थित पिंड के भार में कोई परिवर्तन प्रतीत नही होता
iv) यदि नीचे उतरते समय लिफ्ट की डोरी टूट जाए तो वह मुक्त पिंड की भांति नीचे गिरती है. ऐसी स्थिति में लिफ्ट में स्थित पिंड का भार शून्य होता है. यही भारहीनता की स्थति है।
v) यदि नीचे उतरते समय लिफ्ट का त्वरण गुरुत्वीय त्वरण से अधिक हो तो लिफ्ट में स्थित पिंड उसकी फर्श से उठकर उसकी छत से जा लगेगा

ग्रहो की गति संबंधित केप्लर का नियम:
i) प्रत्येक ग्रह सूर्य के चारों ओर दीर्घवृत्ताकार (eliiptical) कक्षा में परिक्रमा करता है तथा सूर्य ग्रह की कक्षा के एक फोकस बिंदु पर स्थति होता है।
ii) प्रत्येक ग्रह का क्षेत्रीय वेग (areal velocity) नियत रहता है. इसका प्रभाव यह होता है कि जब ग्रह सूर्य के निकट होता है, तो उसका वेग बढ़ जाता है और जब वह दूर होता है, तो उसका वेग कम हो जाता है।
iii) सूर्य के चारों ओर ग्रह एक चक्कर जितने समय में लगाता है, उसे उसका परिक्रमण काल (T) कहते है. परिक्रमण काल का वर्ग (T^2) ग्रह की सूर्य से औसत दूरी (r) के घन (r^3) के अनुक्रमानुपाती होता है. यानी कि T^2 ∝ r^3

यानी कि सूर्य से अधिक दूर के ग्रहों का परिक्रमण काल भी अधिक होता है. उदाहरण: सूर्य के निकटतम ग्रह बुध का परिक्रमण काल 88 दिन है, जबकि दूरस्थ ग्रह वरुण (neptune) का परिक्रमण काल 165 वर्ष है।