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जब मनुष्य स्वयं की खुशामत से उत्तेजित और खुश होने लगता है,, त | MOTIVATIONAL GREAT THOUGHTS

जब मनुष्य स्वयं की खुशामत से उत्तेजित और खुश होने लगता है,,

तब उसके विकास पर सीमा लग जाती है, धीरे धीरे वह खुद को श्रेष्ठ मानने लगता है
और फिर नए बदलाव करने के लिए कार्य नही करता है,
इस कारण से धीरे धीरे उसका व्यक्तित्व और उसकी कला समाज में भूतकाल बन जाती है।


- इसलिए कभी अपनी खुशामत और अपने गुणगान पर ज्यादा खुश या ध्यान नही देना चाहिए।

संदर्भ - राजनीति
@Motivational_GreatThoughts