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* सत्य को जानो * * सांईं मंदिरों के माध्यम से चल रही है भा | महादेव🕉🙏

* सत्य को जानो *

* सांईं मंदिरों के माध्यम से चल रही है भारत के इस्लामीकरण की मुहिम*
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*सांई का प्रचार-प्रसार भारत के महापुरूषों और देवी-देवताओं का अपमान कर धीरे-धीरे उन्हें मंदिरों से हटवाकर भारत के इस्लामीकरण की प्रक्रिया की तैयारी है।यदि हिंदू समाज में चेतना नही आई तो भयंकर परिणाम भुगतना होगा।*

*सांई बाबा के मुस्लिम होने के प्रश्न पर उक्त सांई चरित्र में सारी चीजें स्पष्ट लिखी हैं। जैसे-*

* -वह स्वयं और उनके भक्त ‘अल्लाहोअकबर’ का नारा लगाते थे।*

*– बाबा स्वयं ‘अल्लाह मालिक’ है, बोला करते थे। ‘सबका मालिक एक’ यह सांई का नारा नही था, बल्कि गुरूनानक देव जी का नारा था।*

*– बाबा को नत्र्तकियों का अभिनय तथा नृत्य देखने और गजल कब्बालियां सुनने का शौक था। अल्लाह का नाम सदा उनके होठों पर रहता था।*

*-उक्त पुस्तक (‘सांई सत्चरित्र’)के पेज 37 पर लिखा है।*

*सांई किबाबा मस्जिद में निवास करने से पहले दीर्घकाल तक तकिया में रहे।*

*-बाबा के माता-पिता या जन्मस्थान का कोई अता-पता किसी पुस्तक से नही मिलता, इसका कारण यही है कि बाबा की असलियत को लोगों से छुपाकर रखा जाए।*

*-पुस्तक के पेज नं. 43 पर लिखा है कि बाबा के लिए चंदन समारोह का एक बार आयोजन किया गया, जिसे कोरहल के एक मुस्लिम भक्त अमीर शक्कल दलाल ने आयोजित कराया था। प्राय: इस प्रकार का उत्सव सिद्घ मुस्लिम संतों के सम्मान में ही किया जाता है।*

*– बाबा देवी-देवताओं की पूजा का सख्त विरोधी था, वह सब लोगों से देवी-देवताओं की पूजा छोडक़र अपने आपको ही सब कुछ मानने मनवाने का दबाव दिया करता था।*

*(उक्त पुस्तक के पेज 75 पर आया है।)*

*-बाबा की मान्यता थी हिंदुओं के सभी देवी-देवता भ्रमित करने वाले हैं।*

*-पुस्तक के पेज 87 पर आया है कि उन्होंने एक हाजी को अपने पास से 55 रूपये निकालकर दिये। तब से हाजी बाबा से खुश होकर नियमित उनकी मस्जिद में आने लगा।*

*-पुस्तक के पेज 93 पर लिखा है कि एक बार एक मामलतदार अपने एक डाक्टर मित्र के साथ शिरडी आए। डा. का कहना था कि मेरे इष्ट श्रीराम हैं, मैं किसी यवन (मुसलमान) को शीश नही झुकाउंगा।*

*-बाबा अपने भक्तों से आशीर्वाद देते समय हमेशा यही कहता था कि अल्लाह तुम्हारी इच्छा पूरी करेगा। (पेज नं. 104)।*

*सांई चरित्र की उक्त पुस्तक में ऐसे और भी अनेक प्रमाण हैं जिनसे यह स्पष्ट होता है कि बाबा एक मुसलमान था। वह मांसाहारी था और उसके मांस के बर्तनों में कुत्ते तक साथ खा लिया करते थे, वह कई-कई दिन तक नहाता नही था, उनके कपड़े बहुत गंदे रहते थे और 1858 में वह चोरी में पकड़ा गया था।*

*वह बिरयानी को अपने भक्तों में प्रसाद के रूप में बांटा करता था। जिसके लिए मस्जिद से एक मौलवी आता था और वह फातिहा पढक़र उस प्रसाद को लोगों में बांटने के लिए तैयार करता था।*

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*आज देश के हजारों मंदिरों को एक षडयंत्र के तहत सांई मंदिर में तब्दील किया जा रहा है। जिससे भारतीय धर्म और संस्कृति को नष्ट कर भारत के धार्मिक लोगों की भावनाओं का लाभ उठाकर उनका इस्लामीकरण करने का मार्ग प्रशस्त किया जा रहा है।*

*सांई चरित्र के पृष्ठ 197 पर बाबा ने स्वयं को एक मुसलमान होना स्वीकार किया है। इसके बावजूद भी लोग उन्हें एक हिंदू देवता के रूप में या भगवान के रूप में पूजने की जिद करते हैं तो इसके पीछे के असली कारण को हमें पहचानना होगा, और यह कारण इन लोगों के सांई मंदिरों से होने वाली कमाई के माध्यम से आर्थिक हितों की पूर्ति होना है।*