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❛तकदीर ने चाहा जैसे ढल गये हम, बहुत संभल के चले फिर भी फिसल गय | Static GK 🎓

❛तकदीर ने चाहा जैसे ढल गये हम,
बहुत संभल के चले फिर भी फिसल गये हम।

किसी ने विश्वास तोड़ा किसी ने दिल,
और लोगों को लगता है की बदल गये हम।❜