*खोल दे पंख मेरे, कहता है परिंदा, अभी और उड़ान बाकी है,* *जमीं | Static GK 🎓
*खोल दे पंख मेरे, कहता है परिंदा, अभी और उड़ान बाकी है,* *जमीं नहीं है मंजिल मेरी, अभी पूरा आसमान बाकी है,* *लहरों की ख़ामोशी को समंदर की बेबसी मत समझ ऐ नादाँ,* *जितनी गहराई अन्दर है, बाहर उतना तूफ़ान बाकी है…