Get Mystery Box with random crypto!

Important Physics Notes पृष्ठ तनाव (surface tension): द्रव के | LearningMantras NEET JEE CA CS Class 11 12 Commerce

Important Physics Notes

पृष्ठ तनाव (surface tension): द्रव के स्वतंत्र पृष्ठ में कम-से-कम क्षेत्रफल प्राप्त करने की प्रवृत्ति होती है, जिनके कारण उसका पृष्ठ सदैव तनाव की स्थिति में रहती है. इसे ही पृष्ठ तनाव कहते हैं. किसी द्रव का पृष्ठ तनाव वह बल है, जो द्रव के पृष्ठ पर खींची काल्पनिक रेखा की इकाई लंबाई पर रेखा के लंबवत कार्य करता है. यदि रेखा कि लंबाई (l) पर F बल कार्य करता है। पृष्ठ तनाव, T = F/l
पृष्ठ तनाव का S.I. मात्रक न्यूटन/मीटर होता है।


द्रव के पृष्ठ के क्षेत्रफल में एकांक वृद्धि करने के लिए, किया गया कार्य द्रव के पृष्ठ तनाव के बराबर होता है. इनके अनुसार पृष्ठ तनाव का मात्रक जूल/मीटर^२ होगा, द्रव का ताप बढ़ाने पर पृष्ठ तनाव कम हो जाता है और क्रांतिक ताप (critical temp) पर यह शून्य हो जाता है।

संसंजक बल (cohesive force): एक ही पदार्थ के अणुओं के मध्य लगने वाले आकर्षण-बल को संसंजक बल कहते हैं . ठोसों में संसंजक बल का मान अधिक होता है, फलस्वरूप उनके आकार निश्चित होते हैं. गैसों में संसंजक बल का मान नगण्य होता है.
आसंजक बल (adhesive force): दो भिन्न पदार्थों के अणुअों के मध्य लगने वाले आकर्षण-बल को आसंजक बल कहते हैं. आसंजक बल के कारण ही एक वस्तु दूसरी वस्तु से चिपकती है.

केशिकत्व (capillarity tube): एक ऐसी खोखली नली, जिसकी त्रिज्या बहुत कम तथा एक समान होती है, केशनली कहलाता है. केशनली में द्रव के ऊपर चढ़ने या नीचे दबने की घटना को केशिकत्व (capillarity) कहते है।
किस सीमा तक द्रव केशनली में चढ़ता या उतरता है, यह केशनली की त्रिज्या पर निर्भर करता है. संकीर्ण नली में द्रव का चढ़ाव अधिक तथा चौड़ी नली में द्रव का चढ़ाव कम होता है. सामान्यतः जो द्रव कांच को भिंगोता है, वह केश नली में ऊपर चढ़ जाता है, और जो द्रव कांच को नही भिंगोता है वह नीचे दब जाता है.जैसे- जब केशनली को पानी में डुबाया जाता है, तो पानी ऊपर चढ़ जाता है और पानी का सतह केशनली के अंदर धंसा हुआ रहता है. इसके विपरीत केशनली को जब पाने में डुबाया जाता है, तो पारा केशनली में बर्तन में रखे पारे की सतह से नीचे ही रहता है और केशनली में पारा की सतह उभरा हुआ रहता है।

केशिकत्व के उदाहरण:

(i) ब्लॉटिंग पेपर- स्याही की शीघ्र सोख लेता है, क्योंकि इसमें बने छोटे-छोटे छिद्र केशनली की तरह कार्य करते हैं।

(ii) लालटेन या लैंप की बत्ती में केशिकत्वन के कारण ही तेल ऊपर चढ़ता है।

(iii) पेड़-पौधों की शाखाओं, तनों एवं पंक्तियों तक जल और आवश्यक लवण केशिकत्व की क्रिया के द्वारा ही पहुँचते हैं।

(iv) कृत्रिम उपग्रह के अंदर (भारहीनता की अवस्था) यदि किसी केशनली को जल में खड़ा किया जाए तो नली में चढ़ने वाले जल स्तंभ का प्रभावी भार शून्य होने के कारण जल नली के दूसरे सिरे तक पहुंच जाएगा चाहे केशनली कितनी भी लंबी क्यों न हो

(v) वर्षा के बाद किसान अपने खेतों की जुताई कर देते है, ताकि मिट्टी में बनी केशनलियां टूट जाए और पानी ऊपर ना आ सके व मिट्टी में नमी बनी रह सके

(vi) पतली सुई पृष्ठ तनाव के कारण ही पानी पर तैराई जा सकती है।

(vii) साबुन डिटर्जेंट आदि जल का पृष्ठ तनाव कम कर देता है, अतः वे मैल में गहराई तक चले जाते हैं जिससे कपड़ा ज्यादा साफ़ होता है. साबुन के घोल के बुलबुले बड़े इसलिए बनते हैं की जल में साबुन घोलने पर उसका पृष्ठ तनाव कम हो जाता है।

(viii) पानी पर मच्छरों के लार्वा तैरते रहते है, परंतु पानी में मिट्टी का तेल छिड़क देने पर उसका पृष्ठ तनाव कम हो जाता है, जिससे लार्वा पानी में डूब कर मर जाते है.