Get Mystery Box with random crypto!

JUDGE BOOK l जज बुक

टेलीग्राम चैनल का लोगो judge_book — JUDGE BOOK l जज बुक J
टेलीग्राम चैनल का लोगो judge_book — JUDGE BOOK l जज बुक
चैनल का पता: @judge_book
श्रेणियाँ: शिक्षा
भाषा: हिंदी
ग्राहकों: 4.35K

Ratings & Reviews

3.00

3 reviews

Reviews can be left only by registered users. All reviews are moderated by admins.

5 stars

0

4 stars

1

3 stars

1

2 stars

1

1 stars

0


नवीनतम संदेश 10

2023-04-21 11:48:27
बॉलीवुड इंडस्ट्री से नया अपडेट सामने आया है. कहा जा रहा है कि पिछले दिनों आराध्या बच्चन की लाइफ और हेल्थ को लेकर एक खबर वायरल हुई थी जो बाद में फेक बताई गई थी. 11 साल की आराध्या को लेकर जो ये खबर उड़ी, वह ऐश्वर्या और अभिषेक को पसंद नहीं आई. ऐसे में पेरेंट्स ने उस यूट्यूब टैब्लॉइड के खिलाफ एक्शन लिया, जिसने यह खबर फैलाई थी.
कहा जा रहा है कि आराध्या ने इस मामले को लेकर हाई कोर्ट का दरवाजा खटखटाया है. अपनी रिपोर्ट में कहा है कि जिस भी मीडिया ऑर्गेनाइजेशन ने यह खबर उनके खिलाफ लिखी है, उसके खिलाफ कार्रवाई की जाए और रोका जाए, क्योंकि वह एक माइनर हैं. दिल्ली हाई कोर्ट में जस्टिस सी हरिशंकर की एकल जज पीठ 20 अप्रैल को आराध्या बच्चन की याचिका पर सुनवाई करेगी. हालांकि, बच्चन परिवार की ओर से इस मामले पर अबतक कोई स्टेटमेंट जारी नहीं हुआ है. न ही किसी ने रिएक्ट किया है.
बता दें कि आराध्या बच्चन अक्सर ही लाइमलाइट में रहती हैं. कुछ दिनों पहले यह मम्मी ऐश्वर्या राय बच्चन के साथ नीता और मुकेश अंबानी के कल्चरल सेंटर प्रोग्राम का हिस्सा बनी थीं. यहां आराध्या का देसी अंदाज देखने को मिला था.
557 views08:48
ओपन / कमेंट
2023-04-21 05:41:56 Hi! Stuck with Assignments? We are here to help you with assured quality. We are a group of International Researchers and deal in complex dissertations, research papers, thesis, and other projects in diverse fields  such as Law.

For more details, kindly contact: 7654714848 (Whatsapp)
380 views02:41
ओपन / कमेंट
2023-04-20 14:08:08 UPSC CDS GK PAPER 2023.pdf
591 views11:08
ओपन / कमेंट
2023-04-20 14:07:06 RHC_001168_17259_7224.pdf
575 views11:07
ओपन / कमेंट
2023-04-20 10:37:44
जज साहब के द्वारा शराबी की परिभाषा

https://t.me/Judge_book
650 viewsedited  07:37
ओपन / कमेंट
2023-04-20 10:36:03 *Crime Reporter Ajmer*

*बलात्कार का आरोपी बरी
*

अजमेर विशिष्ठ न्यायाधीश लैंगिक अपराधों से बालकों का संरक्षण अधिनियम प्रकरण व बालक अधिकार संरक्षण अधिनियम प्रकरण संख्या 02 अजमेर के जिला न्यायाधीश श्री रंजन सिंह ने बलात्कार के एक मामले मे किशनगढ़ निवासी मोहित सेनी को संदेह का लाभ देते हुए बरी किया है, आरोपी की और से पैरवी दीपक पाराशर एडवोकेट ने की।

धोलाभाटा, अजमेर निवासी पीड़िता ने पुलिस थाना अलवरगेट अजमेर में दिनांक 19-06-2019 को इस आशय की रिपोर्ट दर्ज करायी कि दिनांक 12-11-2018 को आरोपी मोहित सैनी पुष्कर से घुमाते हुए उसे वैशालीनगर स्थित जंकयार्ड रेस्टोरेंट में ले गया जहाँ पीड़िता को नशीला पेय पदार्थ पिलाकर उसकी मदहोशी की हालत में उसके साथ बलात्कार किया और उसके फोटोग्राफ खींच लिये जिन्हें सोशल मीडिया पर डालने की धमकी देकर उसे ब्लैकमेल करते हुए उसके पश्चात समय समय पर बलात्कार करता रहा।

पुलिस द्वारा अनुसंधान के पश्चात किशनगढ़ निवासी आरोपी मोहित सैनी पुत्र हरिशंकर के विरुद्ध आरोप पत्र अन्तर्गत धारा 376, 376(2)N भा. द.स. मे प्रस्तुत किया जिसमें अभियोजन पक्ष की तरफ़ से पीढ़िता व उसके माता पिता बहन सहित 12 गवाहों को न्यायालय के समक्ष परीक्षित करवाया गया तथा 17 से अधिक दस्तावेजों को प्रदर्शित करवाया दोनों पक्षों की बहस सुनने के पश्चात न्यायालय द्वारा आरोपी को संदेह का लाभ देते हुए बरी किया गया ।
569 views07:36
ओपन / कमेंट
2023-03-23 08:41:39 Hi! Stuck with Assignments? We are here to help you with assured quality. We are a group of International Researchers and deal in complex dissertations, research papers, thesis, and other projects in diverse fields hu such as Law.

For more details, kindly contact: 7654714848 (Whatsapp)
24 views05:41
ओपन / कमेंट
2023-03-22 22:34:49 ×××××× Legal Update ××××××

शादीशुदा गर्लफ्रेंड को पाने के लिए हाईकोर्ट पहुंचा शख्स, कोर्ट ने 5 हजार का लगाया जुर्माना


https://t.me/Judge_book

====+====+====+====+====

गुजरात हाईकोर्ट में एक अजीबोगरीब मामला सामने आया। मामले में प्रेमी ने अपनी शादीशुदा प्रेमिका की कस्टडी दिलाने की अपील की। अपील करने वाला कथित प्रेमी लिव-इन को लेकर किए गए एग्रीमेंट के आधार पर ये कस्टडी मांग रहा था चौंकाने वाली बात ये है कि जिस गर्लफ्रेंड की कस्टडी मांगी गई, वो पहले से शादीशुदा है और अपने पति के साथ रह रही थी।

मामले में जस्टिस विपुल एम. पंचोली और जस्टिस हेमंत एम. प्रच्छक की डिवीजन बेंच ने दोनों पक्षों की दलीलें सुनीं। याचिकाकर्ता की ओर से दायर हैबियस कॉर्पस की याचिका कोर्ट ने खारिज कर दी और याचिकाकर्ता पर 5 हजार रुपए का जुर्माना लगाया।

हैबियस कॉर्पस याचिका क्या होती है ये भी समझ लीजिए। हैबियस कॉर्पस एक लैटिन शब्द है, जिसका मतलब है- टू प्रेजेंट ए बॉडी। यानी किसी व्यक्ति को सशरीर उपस्थित करना। कानूनी भाषा में कहें तो कोर्ट के समक्ष किसी व्यक्ति को प्रस्तुत करना।

मामला गुजरात राज्य का है। एक शख्स ने हाईकोर्ट में याचिका दायर कर अपनी शादीशुदी गर्लफ्रेंड की कस्टडी मांगी। शख्स का कहना था कि महिला की शादी उसकी मर्जी के खिलाफ किसी दूसरे व्यक्ति से कर दी गई लेकिन वो ससुराल छोड़कर याचिकाकर्ता के साथ रहने लगी थी। कुछ दिन बाद पति और ससुराल वाले महिला को जबरदस्ती अपने साथ ले गए।

शख्स ने ये भी कहा कि महिला ने याचिकाकर्ता के साथ लिव-इन-रिलेशनशिप का एग्रीमेंट भी साइन किया है। याचिकाकर्ता के वकील ने कहा कि महिला को उसकी मर्जी के खिलाफ ससुराल में रखा गया है। पति ने महिला को अवैध रूप से बंदी बनाकर रखा है।

याचिका में हाईकोर्ट से पुलिस को पति से महिला की कस्टडी वापस याचिकाकर्ता को दिलाने की मांग की गई थी। राज्य सरकार ने याचिका का विरोध किया और कहा- याचिकाकर्ता के पास ऐसा कोई अधिकार नहीं है। अगर महिला अपने पति के साथ रह रही है तो ये नहीं कहा जा सकता कि वो अवैध कस्टडी में है।

कोर्ट ने याचिका खारिज करते हुए कहा कि महिला का अपने पति के साथ रहने को अवैध कस्टडी नहीं कहा जा सकता है और याचिकाकर्ता के पास वर्तमान याचिका दायर करने का कोई अधिकार नहीं है।

केस टाइटल:- भगवान राजाभाई चौधरी बनाम गुजरात राज्य
कोरम:- जस्टिस विपुल एम. पंचोली और जस्टिस हेमंत एम. प्रच्छक
R/spl.Cri.App.No.2933/2023


Join now

https://t.me/Judge_book
207 views19:34
ओपन / कमेंट
2023-03-22 20:14:58 *सुप्रीम कोर्ट का अहम् फैसला, अब पत्नी पति के रिश्तेदारों को 498A केस में नहीं फंसा पाएगी*

जो कानून IPC 498a केस महिलाओ की सुरक्षा के लिए बनाया गया था आज वो समाज के लिए चिंता का विषय बन गया है। जब पति पत्नी की आपस में नहीं बनती तो पति और ससुराल वालो को सबक सिखाने के लीये पत्निया कानून का हथियार बनाकर इस्तेमाल करती है। दहेज़ उत्पीड़न IPC की धारा 498a का इस्तेमाल महिलाये अब पति और ससुराल वालो से बदले की भावना से करती है।

सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने दहेज प्रताड़ना मामले (Dowry Harassment Case) में बड़ा आदेश दिया है। उसने कहा है कि 498ए (दहेज प्रताड़ना) (Section 498A of IPC) मामले में पति के रिलेटिव के खिलाफ स्पष्ट आरोप के बिना केस चलाना कानूनी प्रक्रिया का दुरुपयोग है। न्‍यायालय के अनुसार, पति के रिश्तेदार (महिला के ससुरालियों) (Relatives of Husband) के खिलाफ सामान्‍य और बहुप्रयोजन वाले आरोप के आधार पर केस चलाया जाना कानूनी प्रक्रिया का दुरुपयोग (Misuse of 498A) है।

सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस एस. अब्दुल नजीर की अगुवाई वाली बेंच ने कहा कि पति के रिलेटिव यानी महिला के ससुराल वालों के खिलाफ जनरल आरोप के आधार पर अगर मुकदमा चलाया जाता है तो यह कानूनी प्रक्रिया का दुरुपयोग की तरह होगा।

सुप्रीम कोर्ट ने इस बात पर चिंता जाहिर करते हुए कहा कि आजकल दहेज प्रताड़ना यानी आईपीसी की धारा-498ए के प्रावधान का पति के रिश्तेदारों के खिलाफ अपना स्कोर सेटल करने के लिए टूल की तरह इस्तेमाल किया जा रहा है। प्रॉब्लम ये है की इस तरह के क्रिमिनल केस जिसमें बरी होने के बाद भी आरोपी के लिए यह गंभीर दाग छोड़ जाता है समाज में उसकी गुड विल ख़राब हो जाती है। महिला के इस कानून को गलत इस्तेमाल के लिए रोकना चाहिए ।

क्या था पूरा मामला?

महिला ने अपने पति और उसके रिलेटिव (ससुरालियों) के खिलाफ दहेज प्रताड़ना का केस दर्ज किया गया था। एफआईआर और कानूनी कार्रवाई खारिज करने के लिए पति और उसके रिश्तेदारों ने पटना हाई कोर्ट में अर्जी दाखिल की थी। हाई कोर्ट ने अर्जी खारिज कर दी जिसके बाद सुप्रीम कोर्ट में पति के रिश्तेदारों यानी महिला के ससुरालियों ने अर्जी दाखिल कर क्रिमिनल केस खारिज करने की गुहार लगाई। याचिका में कहा गया कि उन्हें प्रताड़ित करने के लिए यह केस दर्ज किया गया है। वहीं महिला का आरोप था कि उसे दहेज के लिए मानसिक और शारीरिक तौर पर प्रताड़ित किया गया। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि सवाल यह है कि क्या पति के रिश्तेदारों यानी महिला के ससुरालियों के खिलाफ जनरल और बहुप्रयोजन वाले आरोप को खारिज किया जाए या नहीं?

अदालत ने कहा-

राजेश शर्मा व अन्य बनाम यूपी राज्य (2018) 10 एससीसी 472,
अर्नेश कुमार बनाम बिहार राज्य और अन्य (2014) 8 एससीसी 273,
प्रीति गुप्ता और अन्य बनाम झारखंड राज्य और अन्य (2010) 7 एससीसी 667,
गीता मेहरोत्रा ​​​​और अन्य बनाम यूपी राज्य और अन्य (2012) 10 एससीसी 741,
के सुब्बा राव बनाम तेलंगाना राज्य (2018) 14 एससीसी 452

जैसे फैसलों का जिक्र करते हुए कहा कि दहेज प्रताड़ना मामले में कानून का दुरुपयोग चिंता का विषय है। पति के रिलेटिव के खिलाफ इस कानून का दुरुपयोग होता है और उस दौरान उसके असर को नहीं देखा जाता है। अगर जनरल और बहुप्रयोजन वाले आरोप को चेक नहीं किया गया तो यह कानूनी प्रक्रिया का दुरुपयोग होगा। जब तक पहली नजर में पति के रिलेटिव के खिलाफ साक्ष्य न हो तो इस तरह के अभियोजन चलाने को लेकर शीर्ष अदालत ने पहले ही कोर्ट को सचेत कर रखा है।

सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि पति की अपील नहीं है। लेकिन, अन्य ससुरालियों ने अर्जी दाखिल की है। हमारा मानना है कि आरोप जनरल और बहुप्रयोजन वाला है। इस तरह केस नहीं चलाया जा सकता है। हम इस मामले में क्रिमिनल कार्रवाई को खारिज करते हैं। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि आरोपियों के खिलाफ विशेष रोल तय नहीं है और जनरल व बहुप्रयोजन वाले आरोप के आधार पर आरोपी के खिलाफ जी केस नहीं चलाया जा सकता है।

केस टाइटल – कहकशां कौसर @ सोनम बनाम बिहार राज्य
केस नंबर – क्रिमिनल अपील 195 ऑफ़ 2022





https://t.me/Judge_book
257 views17:14
ओपन / कमेंट
2023-03-22 18:19:51 Notice167932768831.pdf
365 views15:19
ओपन / कमेंट