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कहा गया कि उत्प्रेषक्ष की रिट जारी करना उच्च न्यायालय के अधिका | Indian constitution..

कहा गया कि उत्प्रेषक्ष की रिट जारी करना उच्च न्यायालय के अधिकार क्षेत्र का एक पर्यवेक्षी क्षेत्राधिकार है और इस पर अदालती कार्यवाही एक अपीलीय अदालत के रूप में कार्य करने की पात्र नहीं है। कानून की एक त्रुटि जो स्पष्ट रूप से द्स्तावेजों में अंकित है को तो रिट द्वारा सुधारा जा सकता है लेकिन तथ्य की त्रुटि को सहीं नहीं किया जा सकता है। हालांकि, यदि एक तथ्य का निष्कर्ष 'कोई सबूत नहीं है' पर आधारित है तो इसे कानून की एक त्रुटि के रूप मे माना जाएगा जिसे उत्प्रेषण द्वारा ठीक किया जा सकता है।

4- निषेधाज्ञा (Prohibition)

निषेधाज्ञा का अर्थ है "मना करना या बंद करना" और आम बोलचाल में इसे 'स्टे आर्डर' के रूप में जाना जाता है। जब कोई निचली अदालत या एक अर्ध न्यायिक निकाय एक विशेष मामले में अपने अधिकार क्षेत्र में प्रद्त्त अधिकारों को अतिक्रमित कर किसी भी मुक़दमें की सुनवाई करती है तो सुप्रीम कोर्ट या अन्य कोई भी उच्च न्यायालय द्वारा रिट जारी की जाती है। भारत में, निषेधाज्ञा को मनमाने प्रशासनिक कार्यों से व्यक्ति की रक्षा के लिए जारी किया जाता है।

5- अधिकार पृच्छा (Quo warranto)

Quo warranto एक लैटिन शब्द है जिसका अर्थ है "किस वारंट द्वारा"। जब न्यायालय को लगता है कि कोई व्यक्ति ऐसे पद पर नियुक्त हो गया है जिसका वह हकदार नहीं है तब न्यायालय इस (अधिकार पृच्छा) को जारी कर सकता है और व्यक्ति को उस पद पर कार्य करने से रोक देता है। संविधान द्वारा निर्मित कार्यालयों के खिलाफ इसे जारी किया जा सकता है जैसे- एडवोकेट जनरल, विधान सभा के अध्यक्ष, नगर निगम अधिनियम के तहत वाले अधिकारी, एक स्थानीय सरकारी बोर्ड के सदस्य, विश्वविद्यालय के अधिकारी और शिक्षक। लेकिन इसे निजी स्कूलों की प्रंबंध समिति के खिलाफ जारी नहीं किया जाता है क्योंकि उनकी नियुक्ति किसी प्राधिकरण के तहत नहीं होती है।