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13. राज्य सरकार की नौकरियों में अन्य राज्यों के लोग भी सेलेक्ट | Indian constitution..

13. राज्य सरकार की नौकरियों में अन्य राज्यों के लोग भी सेलेक्ट हो सकेंगे.

क्या 370 को हटाना संभव है?

भाजपा नेता सुब्रमण्यम स्वामी कहते हैं कि अनुच्छेद 370 हटाने के लिए संसद में कानून बनाने की जरूरत नहीं है. राष्ट्रपति एक अधिसूचना जारी कर इस धारा को खत्म कर सकते हैं.
अप्रैल 2018 में सुप्रीम कोर्ट ने अनुच्छेद 370 को लेकर कहा था कि सालों से बने रहने के चलते अब यह धारा एक स्थायी प्रावधान बन चुकी है, जिससे इसको खत्म करना असंभव हो गया है. हालाँकि अब सुप्रीम कोर्ट इस मुद्दे पर सुनवाई के लिए तैयार है.

सुप्रीम कोर्ट जिस याचिका पर सुनवाई करेगा, उसमें तर्क दिया गया है कि यह धारा संविधान के भाग 21 के तहत एक प्रावधान है. इसके शीर्षक में ही अस्थायी प्रावधान होना लिखा था. यह स्थायी नहीं है.
ज्ञातव्य है कि जम्मू और कश्मीर उच्च न्यायालय भी आर्टिकल 370 को स्थायी मान चुका है.

ध्यान रहे कि भारतीय संविधान के अनेक कानून जम्मू-कश्मीर में लागू हो गए हैं और अब संविधान के *अनुच्छेद-356 के तहत कश्मीर में 6 महीने राज्यपाल शासन के बाद राष्ट्रपति शासन भी लगाया जा सकता है.* सीएजी, चुनाव आयोग समेत कई संवैधानिक संस्थाओं का जम्मू-कश्मीर में बराबर का अधिकार है.

अनुच्छेद 370 हटाने की अड़चनें क्या हैं?

नेशनल कॉन्फ्रेंस नेता उमर अब्दुल्ला और महबूबा मुफ्ती का मानना है कि अनुच्छेद 370 ने ही जम्मू-कश्मीर और शेष भारत को जोड़ रखा है. यह दोनों के बीच एकमात्र संवैधानिक कड़ी है.
इस बात की भी संभावना है कि आर्टिकल 370 के हटते ही अलगाववादी जनमत संग्रह के मुद्दे को तूल देंगे और जम्मू-कश्मीर विवाद के अंतरराष्ट्रीयकरण का प्रयास करेंगे जिससे भारत सरकार के ऊपर इंटरनेशनल प्रेशर बढेगा.

असल में यदि राजनीतिक इच्छा शक्ति हो तो इस मुद्दे का समाधान निकाला जा सकता है लेकिन वर्तमान सरकार के साथ अन्य सरकारें भी इस मुद्दे को लटकाकर अपने राजनीतिक हितों को साधना चाहती हैं.

जम्मू & कश्मीर में आतंक की मुख्य वजह वहां के कुछ अलगाववादी नेताओं के स्वार्थी हित हैं. ये अलगाववादी नेता पाकिस्तान के इशारों पर जम्मू & कश्मीर के गरीब लड़कों को भडकाते हैं और आतंक का रास्ता चुनने को मजबूर करते हैं हालाँकि ये नेता अपने लड़कों को विदेशों में पढ़ाते हैं.

अब समय की जरूरत यह है कि कश्मीर के लोग इन अलगाववादी नेताओं के स्वार्थी हितों को समझें और इस प्रदेश में मौजूद पर्यटन की संभावनाओ को बढ़ावा देकर इस प्रदेश को सही मायने में भारत का स्विट्ज़रलैंड बनायें.
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