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भारतीय संविधान के विकास का संक्षिप्त इतिहास 1757 ई. की प्लास | Indian constitution..

भारतीय संविधान के विकास का संक्षिप्त इतिहास

1757 ई. की प्लास की लड़ाई और 1764 ई. बक्सर के युद्ध को अंग्रेजों द्वारा जीत लिए जाने के बाद बंगाल पर ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी ने शासन का शिकंजा कसा. इसी शासन को अपने अनुकूल बनाए रखने के लिए अंग्रेजों ने समय-समय पर कई एक्ट पारित किए, जो भारतीय संविधान के विकास की सीढ़ियां बनीं. 

1. 1773 ई. का रेग्‍यूलेटिंग एक्ट: इस एक्ट के अंतर्गत कलकत्ता प्रेसिडेंसी में एक ऐसी सरकार स्थापित की गई, जिसमें गवर्नर जनरल और उसकी परिषद के चार सदस्य थे, जो अपनी सत्ता का उपयोग संयुक्त रूप से करते थे. इसकी मुख्य बातें इस प्रकार हैं - 
(i) कंपनी के शासन पर संसदीय नियंत्रण स्थापित किया गया. 
(ii) बंगाल के गवर्नर को तीनों प्रेसिडेंसियों का जनरल नियुक्त किया गया.
(iii) कलकत्ता में एक सुप्रीम कोर्ट की स्थापना की गई.

2. 1784 ई. का पिट्स इंडिया एक्ट: इस एक्ट के द्वारा दोहरे प्रशासन का प्रारंभ हुआ- 
(i) कोर्ट ऑफ़ डायरेक्टर्स - व्यापारिक मामलों के लिए 
(ii) बोर्ड ऑफ़ कंट्रोलर - राजनीतिक मामलों के लिए.

3. 1793 ई. का चार्टर अधिनियम: इसके द्वारा नियंत्रण बोर्ड के सदस्यों तथा कर्मचारियों के वेतन आदि को भारतीय राजस्व में से देने की व्‍यवस्‍था की गई.

4. 1813 ई. का चार्टर अधिनियम: इसके द्वारा (i)कंपनी के अधिकार-पत्र को 20 सालों के लिए बढ़ा दिया गया. 
(ii) कंपनी के भारत के साथ व्यापर करने के एकाधिकार को छीन लिया गया. लेकिन उसे चीन के साथ व्यापर और पूर्वी देशों के साथ चाय के व्यापार के संबंध में 20 सालों के लिए एकाधिकार प्राप्त रहा.
(iii)कुछ सीमाओं के अधीन सभी ब्रिटिश नागरिकों के लिए भारत के साथ व्यापार खोल दिया गया.

5. 1833 ई. का चार्टर अधिनियम: इसके द्वारा (i)कंपनी के व्यापारिक अधिकार पूर्णतः समाप्त कर दिए गए. 
(ii) अब कंपनी का कार्य ब्रिटिश सरकार की ओर से मात्र भारत का शासन करना रह गया. 
(iii) बंगालग के गवर्नर जरनल को भारत का गवर्नर जनरल कहा जाने लगा. 
(iv) भारतीय कानूनों का वर्गीकरण किया गया तथा इस कार्य के लिए विधि आयोग की नियुक्ति की व्यवस्था की गई.

6. 1853 ई. का चार्टर अधिनियम: इस अधिनियम के द्वारा सेवाओं में नामजदगी का सिद्धांत समाप्त कर कंपनी के महत्वपूर्ण पदों को प्रतियोगी परीक्षाओं के आधार पर भरने की व्यवस्था की गई.

7. 1858 ई. का चार्टर अधिनियम: (i) भारत का शासन कंपनी से लेकर ब्रिटिश क्राउन के हाथों सौंपा गया. 
(ii) भारत में मंत्री-पद की व्यवस्था की गई. 
(iii)15 सदस्यों की भारत-परिषद का सृजन हुआ. 
(iv)भारतीय मामलों पर ब्रिटिश संसद का सीधा नियंत्रण स्थापित किया गया.

8. 1861 ई. का भारत शासन अधिनियम: गवर्नर जनरल की कार्यकारिणी परिषद का विस्तार किया गया, 
(ii) विभागीय प्रणाली का प्रारंभ हुआ, 
(iii) गवर्नर जनरल को पहली बार अध्यादेश जारी करने की शक्ति प्रदान की गई. 
(iv) गवर्नर जरनल को बंगाल, उत्तर-पश्चिमी सीमा प्रांत और पंजाब में विधान परिषद स्थापित करने की शक्ति प्रदान की गई.

9. 1892 ई. का भारत शासन अधिनियम: (i)अप्रत्यक्ष चुनाव-प्रणाली की शुरुआत हुई, 
(ii) इसके द्वारा राजस्व एवं व्यय अथवा बजट पर बहस करने तथा कार्यकारिणी से प्रश्न पूछने की शक्ति दी गई.

10. 1909 ई० का भारत शासन अधिनियम [मार्ले -मिंटो सुधार] - 
(i) पहली बार मुस्लिम समुदाय के लिए पृथक प्रतिनिधित्व का उपबंध किया गया. 
(ii) भारतीयों को भारत सचिव एवं गवर्नर जनरल की कार्यकारिणी परिषदों में नियुक्ति की गई. 
(iii) केंद्रीय और प्रांतीय विधान-परिषदों को पहली बार बजट पर वाद-विवाद करने, सार्वजनिक हित के विषयों पर प्रस्ताव पेश करने, पूरक प्रश्न पूछने और मत देने का अधिकार मिला. 
(iv) प्रांतीय विधान परिषदों की संख्या में वृद्धि की गई।