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‘शब्द-सामर्थ्य-71’ बलिदान का अर्थ कैसे हुआ आत्मोत्सर्ग या स | हिंदी व्याकरण परिचर्चा

‘शब्द-सामर्थ्य-71’

बलिदान का अर्थ कैसे हुआ आत्मोत्सर्ग या सर्वोच्च त्याग ? शहीद का शाब्दिक अर्थ क्या है ? साथ ही ‘त्याग’ और ‘बलिदान’ में अंतर ?

# आज भले ही बलिदान का अर्थ शहादत, कुर्बानी, oblation या immolation होता हो; लेकिन बलिदान का अर्थ है - सेवा और उत्सर्ग की अंतिम सीमा, पूर्णतया निष्काम भाव से सर्वस्व समर्पण ।

# बलि शब्द के मूल में हिब्रू भाषा का शब्द ‘बाल’ है, जिसका अर्थ है - ‘ऊपर, सबसे ज्यादा या फिर सर्वोच्च’ ।

# बल वाला बली है। महान बल वाला महाबली है। जो अतुलनीय बल को धारण करे उसे अतुलितबलधामी कहेंगे ! इसमें दीर्घ ‘ई’ है।

# संस्कृत का बलम् , हिंदी का बल, बलमा, इंग्लिश का बालकनी ( balcony) आदि के मूल में यही हिब्रू शब्द है। बाल शरीर या सिर के ऊपर होता ही है ।

# जिसे हम मलाई कहते हैं, उसे अरबी- फ़ारसी में बालाई कहते हैं, क्योंकि यह दूध के सबसे ऊपर होता है ।

# बहरहाल बलि का अर्थ है सर्वोच्च और दान का अर्थ देना । इस तरह बलिदान सर्वोच्च दान है- जब जान ही दे दी जाए । तो, आत्मोत्सर्ग बलिदान है ।

# अगर आप को अध्यात्म में ले चलूँ तो काम, क्रोध, लोभ, मद, मोह आदि अज्ञानता के पशु को विवेक के ‘असि’ या खड्ग से काटना ही बलिदान है ।
# पशुओं को काटना बलिदान नहीं हो सकता । ‘शहादत’ शब्द बलिदान का पर्याय है, जिसका शाब्दिक अर्थ है - ‘साक्षी होना’ और जो फ़ारसी मूल ‘श-ह-द’ से बना है ।

# शहादत देने वाला अपने परम लक्ष्य को इतनी शिद्दत से महसूस करता है कि उसको पाने के लिए साक्ष्य के रूप में अपने जान की बाजी लगा देता है । ध्यान दें कि जिसकी शहादत सर्वोच्च है, उसे ‘शहीद-ए-आजम’ कहा जाता है ।

# चलते-चलते त्याग और बलिदान में अंतर को भी देख ही लें । ‘त्याग’ शब्द ‘त्यज्’ धातु से बना है जिसका अर्थ है छोड़ना । तो, किसी के भलाई के लिए कुछ छोड़ना त्याग है ; लेकिन बलिदान सर्वोच्च त्याग है ।

# आशा करता हूँ कि बलिदान शब्द आप ठीक से समझ पाए होंगे ।
धन्यवाद