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‘शब्द-सामर्थ्य-65’ भ्रम, संदेह, दुविधा और संशय में अंतर ! # | हिंदी व्याकरण परिचर्चा

‘शब्द-सामर्थ्य-65’

भ्रम, संदेह, दुविधा और संशय में अंतर !

# सामान्य शब्दों में भ्रम (illusion) का अर्थ है- कुछ का कुछ समझ लेना । अर्थात् मिथ्या बोध, मिथ्या ग्रहण, या भ्रांति । भ्रम से ही भ्रमण शब्द बना है, जिसका अर्थ है घूमना ।
घूमना को भ्रमणा भी कह सकते हैं । भ्रमणीय का अर्थ है घूमने वाला , जिसे भ्रमणकारी भी कहते हैं । जिसके मूल में ही भ्रम हो, उसे भ्रममूलक कहेंगे ।

# भ्रम में अगर आसक्ति हो जाए तो उसे भ्रमासक्ति या dillusion कहेंगे ।

# संदेह (संस्कृत है और पुल्लिंग है) में तय नहीं है कि सत्य क्या है ! Doubt इसका अंग्रेजी सामानांतर है।

# भ्रम में गलत ही होगा, संदेह में गलत हो भी सकता है नहीं भी ।

# संशय( suspicion) पुल्लिंग शब्द है, ‘शी’ धातु से बना है । सम् +शी + अच् = संशय । संशय का अर्थ है पड़े रहना या लेटना, अर्थात् डाँवाडोल स्थिति है -पता ही नहीं है कि क्या होगा । किसी बात के बारे में निश्चय ही नहीं है , कोई निराकरण हुआ नहीं है ...न जाने क्या हो। अर्थात संशय में एक उत्कंठा है , जिज्ञासा है - लेकिन स्थिति साफ नहीं है। इसी से तो संशयवाद बना है । संशय + वद् +घञ =संशयवाद ।
धन्यवाद