2022-04-30 17:40:01
क्या विद्यार्थी, क्या अध्यापक, क्या ग्रामीण, क्या नागरिक, क्या धनी, क्या निर्धन सभी भारत-निवासियों का स्वास्थ्य धीरे धीरे गिर रहा है। जिन भारत-निवासियों की आयु सैकड़ों वर्ष की होती थी, आज उनको ५० वर्ष भी सुखपूर्वक जीवित रहना कठिन हो रहा है। बहुत से लोगों का कहना है कि कलियुग है, इसमें तो आयु और भी अल्प होगी, किन्तु मैं इसे मानने को तैयार नहीं हूँ। दूसरे देश के निवासी तो अपनी आयु धीरे धीरे वैज्ञानिक साधनों से बढ़ा रहे है और हमारे देशवासी कपाल पर हाथ रक्खे कलियुग की दोहाई दे रहे हैं। अंगरेजों की औसत आयु ४४ वर्ष है, फ्रांसीसियों की ४५, जर्मनों की ४१, डेम्सों की ५०; वेलजियनों की ४७, स्वेडन वालों की ५१ और हालैंड निवासियों की ४८ वर्ष है। केवल
भारत ही ऐसा देश है जिसके निवासियों की औसत आयु केवल २५ वर्ष है। हास का क्रम यदि ऐसा ही जारी रहा तो हम बिल्कुल निकम्मे हो जायगे और जीवन संग्राम में हम किसी देश से आँख न मिला सकेंगे।
यूरोपीय देश के लेखकों और कवियों की आयु ८०, ८०, ६०, वर्ष की होती है; किन्तु हमारे यहाँ के अधिकांश कवि और लेखक केवल ४०, ५०, वर्ष की आयु में बूढ़े हो जाते हैं। दूसरे देशों के विद्यार्थी ३०, ४० वर्ष में तरुण होते हैं, हमारे यहाँ का विद्यार्थी समुदाय ३०, ४० वर्ष में बुढ़ापे में पदार्पण करता है; दूसरे देशों के धनिक.....
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