हिंदी व्याकरण - एकल शब्द 03 व्याकरण का ज्ञाता – वैयाकरण शत्रु का नाश करने वाला – शत्रुघ्न जिसका कोई आदि और अंत न हो – शाश्वत जो सब कुछ जानता हो – सर्वज्ञ सब कुछ पाने वाला – सर्वलब्ध जो गुप्त रूप से निवास करता हो – छद्मवासी दिन और रात के बीच का समय – गोधूलि वेला जिसका अर्थ स्वयं ही सिद्ध है – सिद्धार्थ वह व्यक्ति जिसका ज्ञान अपने ही स्थान तक सीमित है – कूपमंडूक भोजन करने के बाद का बचा हुआ अन्न/जूठन – उच्छिष्ट जिसे सूँघा न जा सके – आघ्रेय वह कवि जो तत्काल कविता कर सके – आशुकवि जिसका कोई शत्रु न जन्मा हो – अजातशत्रु जो इंद्रियों (गो) द्वारा न जाना जा सके – अगोचर किसी बात को अत्यधिक बढाकर कहना – अतिशयोक्ति जिसे बुलाया न गया हो – अनाहूत जो सबके मन की बात जनता हो – अंतर्यामी जो मापा न जा सके – अपरिमेय किसी वस्तु को प्राप्त करने की तीव्र इच्छा – अभीप्सा आवश्यकता से अधिक धन का ग्रहण न करना – अपरिग्रह मार्ग में खाने के लिए भोजन – पाथेय जो भोजन रोगी के लिए उचित हो – पथ्य जो भोजन रोगी के लिए निषिद्ध हो – अपथ्य अविवाहित महिला – अनूढा वह स्त्री जिसके पति ने दूसरी शादी कर ली हो – अध्यूढ़ा ⋅वह स्त्री जिसका पति परदेश से लौटा हो – आगतपतिका वह स्त्री जिसका पति अन्य स्त्री के साथ रात को रहकर प्रातः लौटे – खंडिता ⋅वह स्त्री जिसका पति दूर स्थान पर गया हो – प्रोषितपतिका वह स्त्री जिसके हाल ही शिशु उत्पन्न हुआ हो – प्रसूता पति द्वारा छोड़ दी गयी पत्नी – परित्यक्ता जिस स्त्री का विवाह अभी हुआ हो – नवोढ़ा जानने की इच्छा – जिज्ञासा जीतने, दमन करने की इच्छा – जिगीषा किसी को मारने की इच्छा – जिघांसा भोजन करने (खाने) की इच्छा – जिघत्सा/बुभुक्षा ग्रहण करने,पकड़ने की इच्छा – जिघृक्षा ज़िंदा रहने(जीने) की इच्छा – जिजीविषा तैर कर पार करने/तर जाने की इच्छा – तितीर्षा सांसारिक वस्तुओं को प्राप्त करने की इच्छा – एषणा जो दूसरों में केवल दोषों को ही खोजता हो – छिद्रान्वेषी जिसे खरीद/मोल लिया गया हो – क्रीत पर्वत के नीचे तलहटी की भूमि – उपत्यका उत्तर और पूर्व के बीच की दिशा – ईशान/ईशान्य जिसने अपना ऋण पूरा चुका दिया हो – उऋण जहाँ धरती और आकाश मिलते दिखाई देते हैं – क्षितिज । 1.7K views15:55