वरिष्ठ नागरिक दिवस पर * * * * * पुराना मोबाइल * * * * | हिंदी मंच - सकारात्मक भाव
वरिष्ठ नागरिक दिवस पर
* * * * * पुराना मोबाइल * * * * *
बाप के पैर के नाप से तो उसका पैर कब का बड़ा हो चुका था। अच्छे लालन-पालन से उसका शरीर का आकार बाप के शरीर से अधिक हो गया था। बूढ़े बाप का शारीरिक कद कुछ छोटा अवश्य था किंतु सामाजिक कद काफी बड़ा होने के बावजूद बेटा उसे बौना ही समझ रहा था। कारण वह ऑफिसर जो हो गया था। यूं तो उसका बाप के पास आना जाना कम ही था,पर वह जब भी जाता था, बाप के लिए कुछ ना कुछ जरूर ले ही जाता था। पिछली बार भी अपने बूढ़े बाप को वह अपना रिटायर्ड मोबाइल फोन देकर एहसान कर गया था।
इस मोबाइल फोन का प्रयोग बूढ़ा अपने बेटा बेटियों के हालचाल जानने को कम तथा अपने जीवित होने की सूचना देने को प्रतिदिन ही किया करता था।"वह अपना दुख बांटने के लिए बात कर रहा है"ऐसा कभी भी अपने बेटे-बेटियों पर प्रकट नहीं होने देता था। और ना ही यह प्रकट होने देता था कि वह एकाकी जीवन व्यतीत कर रहा है। जबकि वास्तविकता यह थी कि उसकी जीवन संगनी 2 वर्ष पूर्व ही उससे विदा लिए बिना ही चल बसी थी। कारण कि लंबी बीमारी में पति के साथ रहने,उलाहने एवं डांट डपट सहने के बाद या यूं कहें कि इलाज के लिए पति ने ही उसको घर से निकाल दिया था हलाॅकि वह पति से अलग रहना ही नहीं चाहती थी।
इस प्रकार बेटे के घर ही शरण लेकर उसने अपना शरीर त्यागा था।
पता नहीं क्यों बुढ़िया डांट डपट सहते हुए भी यहां तक कि गालियां खाते हुए भी पति के साथ ही रहना चाहती थी। या कि वह अपने आधुनिक बेटे बहू के आदर सत्कार से तंग आ चुकी थी। एक बार तो उसने अपनी समस्त हिम्मत को एकत्रित कर पति को ही चुनौती दे डाली थी कि-मैं तो बेटे के साथ 15 दिन रह कर आई हूं। तुम 5 दिन ही रह लो तो जानू!
"अच्छा अच्छा, वहां तुझे कांटों पर सोना पड़ता है,मार झेलनी पड़ती है? इतना बड़ा शहर है, बड़े-बड़े डॉक्टर हैं अच्छा इलाज हो सकता है, सो तो नहीं, यहां पड़ी रहती है। ना बोलना, ना बताना, ना खाना, ना पीना। तेरा ही तो बेटा है, तू तो वहीं जा मैं कहता हूं।
"यह उलाहना था या प्यार। बुढ़िया उसे बुड्ढे का जवाब मानकर सुनती रही, बोली कुछ भी नहीं। बुढ़िया ने पिछली बार बेटे के घर जो खून का घूंट पिया था कुछ ही देर में उसकी उल्टी कर दी।
बोली -वो लोग मुझसे कहते थे पहले बसीयत करा दो।...................2
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