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स्त्री को लिखने दिया जाता प्रेम स्त्री को लिखने दिया जाता प्र | हिंदी मंच - सकारात्मक भाव

स्त्री को लिखने दिया जाता प्रेम

स्त्री को लिखने दिया जाता प्रेम
तो अलग होती प्रेम की तासीर
अलग दुनिया होती
अलग कोण की दृष्टि से देखा जाता प्रेम
जिस्मो को जीतने हराने के दम्भ से परे
हार जाने का नाम होता प्रेम

स्त्री को लिखने दिया जाता प्रेम
तो बुद्ध से पहले अनेको बुद्ध मिले होते
"युद्ध" शब्द महत्वहीन पड़ा होता शब्दकोष में कहीं
"सीमायें" किसी और ग्रह का शब्द करार दिया जाता तब

स्त्री को लिखने दिया जाता प्रेम
तो दुनिया (ग्लोबल विलेज) व्यापार गाँव नहीं
प्रेम गाँव होती
और प्रेम के किस्से
हैरां करने के लिए प्रचलित ना होते इस कदर

स्त्री को लिखने दिया जाता प्रेम
तो पुरुष प्रेम के नये रहस्य पढ़ता
जो परे ही रहे उसकी बुद्धि और भाव से
जिसे खुली आँख से कभी नही पढ़ पाया पुरुष
स्त्री लिखती बंद आँख से अनुभूत प्रेम के रोमांच

स्त्री को नहीं लिखने दिया गया प्रेम
इसी लिए
पहरेदारियों में जकड़ा प्रेम
सहज जीवन नहीं बन पाया

इसीलिये
पूछती है स्त्री
कि प्रेम के बारे में तुम
जानते ही क्या हो पुरुष।

वीरेंदर भाटिया
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